दर्शन कोण और वस्तु का आभासी आकार
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दर्शन कोण –
किसी वस्तु द्वारा नेत्र पर निर्मित अर्थात् बनाये गये कोण को दर्शन कोण कहते हैं।
जब वस्तु नेत्र से दूर होती है तो उसके द्वारा निर्मित darshan kon छोटा होता है ,
किन्तु जब वहीं वस्तु नेत्र के समीप होती है , तो उसके द्वारा निर्मित दर्शन कोण बड़ा होता है।
चित्र के अनुसार जब वस्तु AB स्थिति में होती है , तो रेटिना पर उसका छोटा , वास्तविक और उल्टा प्रतिबिम्ब A’B’ बनता है ,
किन्तु जब वही वस्तु CD पर होती है , तो रेटिना पर उसका प्रतिबिम्ब B’C’ बनता है।
पहली स्थिति में वस्तु द्वारा निर्मित दर्शन कोण AOB = α तथा दूसरी स्थिति में , दर्शन कोण COD = β है। चित्र से स्पष्ट है कि β > α तथा B’C’>A’B’।
इस प्रकार , रेटिना पर बने किसी वस्तु के प्रतिबिम्ब का आकार दर्शन कोण पर निर्भर करता है।
यदि वस्तु द्वारा निर्मित darshan kon ka मान अधिक है तो वस्तु का बड़ा प्रतिबिम्ब बनेगा
अर्थात् वस्तु बड़ी दिखाई देगी , किन्तु यदि वस्तु द्वारा निर्मित darshan kon छोटा है , तो वस्तु का छोटा प्रतिबिम्ब बनेगा और वस्तु छोटी दिखाई देगी।
दूर स्थित वस्तु द्वारा निर्मित darshan kon छोटा होता है।
ज्यों ज्यों वस्तु को नेत्र के समीप लाया जाता है त्यों त्यों darshan kon का मान बढ़ता जाता है।
अतः वस्तु का आकार बढ़ता दिखाई देता है यद्यपि वस्तु का आकार निश्चित रहता है।
किन्तु वस्तु स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी तक ही स्पष्ट दिखाई देती है , इससे कम दूरी पर स्थित होने पर स्पष्ट दिखाई नहीं देती।
स्पष्ट है कि स्पष्ट दृष्टि की न्यनतम दूरी पर किसी वस्तु द्वारा निर्मित darshan kon सबसे बड़ा होता है।
अतः स्पष्ट दृष्टि की न्यूनतम दूरी पर स्थित वस्तु अधिक स्पष्ट और अधिक बड़ी दिखाई देती है।
दर्शन कोण से सम्बन्धित उदाहरण –
1. व्यक्ति का आकार चिड़िया की तुलना में अधिक होता है , किन्तु यदि व्यक्ति दूर पहाड़ी पर बैठा है और चिड़िया नजदीक है तो व्यक्ति द्वारा निर्मित दर्शन कोण चिड़िया द्वारा निर्मित darshan kon से छोटा होता है।
अतः दूर पहाड़ी पर बैठा व्यक्ति पास बैठी चिड़िया से भी छोटा प्रतीत होता है।
2. तारों का आकार चन्द्रमा की तुलना में अधिक है , किन्तु वे चन्द्रमा की तुलना में हमसे दूर हैं।
इस प्रकार चन्द्रमा द्वारा निर्मित darshan kon तारों द्वारा निर्मित दर्शन कोण से बड़ा होता है।
अतः चन्द्रमा तारों से बड़ा दिखाई देता है।
3. पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय चन्द्रमा , सूर्य और पृथ्वी के मध्य होता है।
इस स्थिति में दोनों के द्वारा निर्मित दर्शन कोण बराबर होते हैं।
अतः पूर्ण सूर्य ग्रहण के समय चन्द्रमा सूर्य को पूरा ढँक लेता है , यद्यपि चन्द्रमा की अपेक्षा सूर्य का व्यास 250 गुणा अधिक है।
प्रकाशिक यंत्र (Optical Instruments ) –
जिन यन्त्रों की सहायता से निकटवर्ती या दूरवर्ती वस्तुओं को देखा जाता है , उन्हें प्रकाशिक यन्त्र कहते हैं।
कुछ प्रकाशिक यन्त्र , जैसे – आँख , फोटोग्राफिक कैमरा आदि वस्तु का वास्तविक प्रतिबिम्ब बनाते हैं , उन्हें वास्तविक प्रतिबिम्ब प्रकाशिक यन्त्र कहते हैं।
कुछ प्रकाशिक यन्त्र , जैसे – सूक्ष्मदर्शी , दूरदर्शी आदि वस्तु का आभासी प्रतिबिम्ब बनाते हैं , उन्हें आभासी प्रतिबिम्ब प्रकाशिक यन्त्र कहते हैं।
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