प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of Light)
Table of Contents
प्रकाश का विवर्तन –
जब तरंगों के मार्ग में कोई अवरोध (Obstacle) आता है या तरंगें किसी छिद्र में से गुजरती हैं तो तरंगें अवरोध या छिद्र के किनारों पर आंशिक रूप से मुड़ जाती है।
इस घटना को तरंगों का विवर्तन कहते हैं।
हम जानते हैं कि ध्वनि , तरंगों के रूप में आगे बढ़ती है।
अतः जब ध्वनि के मार्ग में कोई अवरोध आ जाता है , तो वह मुड़कर चलने लगती है।
यही कारण है कि कमरे के बाहर की आवाज कमरे के अन्दर चारों ओर फैलकर वहाँ बैठे प्रत्येक व्यक्ति को सुनाई देने लगती है।
किनारों पर ध्वनि तरंगों का मुड़ना ध्वनि का विवर्तन कहलाता है।
वास्तव में विवर्तन , प्रत्येक प्रकार की तरंग का एक गुण होता है।
प्रकाश भी एक तरंग है अतः उसमें भी विवर्तन का गुण होता है।
सामान्य परिस्थितियों में प्रकाश का विवर्तन दृष्टिगोचर नहीं होता , किन्तु जब प्रकाश किसी छोटे छिद्र से गुजरता है
या उसके मार्ग में कोई महीन वस्तु (अवरोध) [जैसे -बाल , तार इत्यादि] आ जाती है तो प्रकाश किनारे पर कुछ मुड़ जाता है जिससे प्रकाश रंगीन दिखाई देने लगता है।
चित्र में AB एक संकीर्ण स्लिट है।
चूँकि प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है , पर्दे के केवल A’B’ भाग को प्रकाशित होना चाहिए।
प्रकाश को ज्यामितीय छाया A’X और B’Y में प्रवेश नहीं करना चाहिए। चित्र में AB एक अवरोध है।
प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है।
अतः ज्यामितीय छाया A’B’ में प्रकाश को प्रवेश नहीं करना चाहिये।
यह उस समय होता है , जबकि स्लिट का आकार या अवरोध का आकार बड़ा होता है।
किन्तु जब स्लिट का आकार या अवरोध का आकार छोटा होता है (प्रकाश के तरंगदैर्घ्य की कोटि का) , तो प्रकाश ज्यामितीय छाया में अतिक्रमण कर जाता है
तथा ज्यामितीय छाया के बाहर प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है।
तीक्ष्ण धार वाले किनारों पर प्रकाश का मुड़ना तथा अवरोध द्वारा बनी ज्यामितीय छाया में प्रकाश के अतिक्रमण की घटना को प्रकाश का विवर्तन कहते हैं।
विवर्तन और हाइगन का सिद्धांत (Diffraction and Huygen’s Principle)
हाइगन के प्रकाश के तरंग सिद्धांत के अनुसार , तरंगाग्र का प्रत्येक बिन्दु द्वितीयक तरंगिकाओं के स्वतंत्र स्त्रोत की तरह कार्य करता है।
जब एक ही तरंगाग्र के विभिन्न बिन्दुओं से चलने वाली द्वितीयक तरंगिकाएँ अध्यारोपित होती हैं , तो उनमें व्यतिकरण होता है।
इस प्रकार , एक ही तरंगाग्र के विभिन्न बिन्दुओं से चलने वाली तरंगिकाओं के व्यतिकरण के कारण विवर्तन की घटना होती है।
विवर्तन के प्रकार –
विवर्तन की घटना को दो वर्गों में बाँटा गया है –
1. फ्रेनेल विवर्तन
2. फ्रॉनहॉफर विवर्तन।
1. फ्रेनेल विवर्तन (Fresnel Diffraction) –
इस प्रकार के विवर्तन में स्त्रोत और पर्दा दोनों ही अवरोध से सीमित दूरी पर होते हैं।
अतः आपतित प्रकाश गोलाकार या बेलनाकार होता है।
यह इस बात पर निर्भर करेगा कि प्रकाश स्त्रोत बिन्दुवत् है या रैखिक।
स्पष्ट है कि आपतित तरंगाग्र अवरोध के विभिन्न बिन्दुओं पर एक ही समय नहीं पहुँच पाता।
फलस्वरूप अवरोधों के विभिन्न बिन्दुओं से चलने वाली द्वितीयक तरंगिकाएँ समान कला में नहीं होती।
ऋजुकोर द्वारा प्राप्त विवर्तन फ्रेनेल विवर्तन होता है।
2. फ्रॉनहॉफर विवर्तन (Fraunhoffer Diffraction) –
इस प्रकार के विवर्तन में स्त्रोत और पर्दा दोनों ही अवरोध से अनन्त दूरी पर होते हैं।
इसके लिए अवरोध पर आपतित प्रकाश किरणों को उत्तल लेंस की सहायता से एकान्तर किया जाता है
तथा विवर्तित समान्तर किरणों को अन्य उत्तल लेंस की सहायता से पर्दे पर फोकस किया जाता है।
स्पष्ट है कि अवरोध पर आपतित तरंगाग्र समतल तरंगाग्र होता है।
अतः अवरोध के विभिन्न बिन्दुओं से चलने वाली द्वितीयक तरंगिकाएँ समान कला में होती है।
एकल स्लिट द्वारा प्राप्त विवर्तन फ्रॉनहॉफर विवर्तन होता है।
ऋजुकोर द्वारा प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of Light at a Straight Edge)
मानलो S एक संकीर्ण स्लिट है जो एकवर्णीय प्रकाश स्त्रोत से प्रदीप्त किया गया है।
स्लिट S के सामने तीक्ष्ण ऋजुकोर (सीधी कोर) वाला एक अवरोध AB इस प्रकार रखा गया है कि उसकी कोर स्लिट के समान्तर रहे।
अवरोध AB से कुछ दूरी पर उसके समान्तर एक पर्दा XY रखा गया है।
चित्र में WW’ एक बेलनाकार तरंगाग्र है।
ज्यामितीय प्रकाशिकी के अनुसार पर्दे XY के बिन्दु O के ऊपर प्रकाश की तीव्रता एकसमान होनी चाहिये क्योंकि इस भाग में प्रकाश किरणें बिना किसी रूकावट के सीधे पहुँच जाती है।
बिन्दु O के नीचे ज्यामितीय छाया में पूर्णतः अन्धकार होना चाहिए क्योंकि इस भाग में प्रकाश किरणें अवरोध AB द्वारा रोक ली जाती हैं किन्तु ऐसा नहीं होता।
वास्तव में निम्न प्रतिरूप प्राप्त होता है –
१. ज्यामितीय छाया वाले भाग OY में भी कुछ प्रकाश पहुँच जाता है जिसकी तीव्रता तेजी से कम होती जाती है और O से कुछ ही दूरी पर बिन्दु P1 पर तीव्रता शून्य हो जाती है।
इस प्रकार बिन्दु P1 के पश्चात् ही पूर्ण अन्धकार होता है।
२. प्रदीप्त क्षेत्र OX में कोर की लम्बाई के समान्तर दीप्त और अदीप्त फ्रिंजे दिखाई देती है।
बिन्दु O के ऊपर जाने पर फ्रिंजों की चौड़ाई कम होती जाती हैं , साथ ही साथ दीप्त फ्रिंजों की तीव्रता घटती जाती है और अदीप्त फ्रिंजों की तीव्रता बढ़ती जाती है।
अन्त में बिन्दु P के ऊपर फ्रिंजे समाप्त हो जाती है और प्रकाश की तीव्रता एकसमान दिखाई देती है।
एकल स्लिट द्वारा प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of Light due to straight slit)
मानलो AB , d चौड़ाई का एक संकीर्ण स्लिट है।
उस पर λ तरंगदैर्घ्य का समतल तरंगाग्र WW₁ अभिलम्बवत् आपतित होता है।
यदि प्रकाश पूर्णतः (Strictly) सरल रेखा में गमन करता तो पर्दे XY पर स्लिट का चमकीला प्रतिबिम्ब बनता , जिसका आकार और आकृति स्लिट के समान ही होता , लेकिन वास्तव में ऐसा नहीं होता।
पर्दे पर विवर्तन चित्र दिखाई पड़ता है जिसमें केंद्रीय प्रधान उच्चिष्ठ के दोनों ओर निम्निष्ठ और द्वितीयक उच्चिष्ठ प्राप्त होते हैं।
यह पाया गया है कि –
1. केन्द्रीय उच्चिष्ठ की चौड़ाई , द्वितीयक उच्चिष्ठों की चौड़ाई की दुगुनी होती है।
2. द्वितीयक उच्चिष्ठों की तीव्रता क्रमशः कम होती जाती है।
3. स्लिट की चौड़ाई अत्यंत कम होने पर ही विवर्तन चित्र दिखाई देता है।
मानलो स्लिट AB को अनेक भागों में विभाजित किया गया है।
तब हाइगन के सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक भाग से द्वितीयक तरंगिकाएँ निकलेंगी।
ये द्वितीयक तरंगिकाएँ प्रारम्भ में समान कला में होती हैं और सभी दिशाओं में फैल जाती है।
इन द्वितीयक तरंगिकाओं के व्यतिकरण के कारण प्रकाश का विवर्तन हो जाता है।
विवर्तित किरणों के मार्ग में एक उत्तल लेंस L₂ रखा जाता है , जो इसके फोकस तल पर रखे पर्दे XY पर विवर्तन चित्र बनाता है।
केन्द्रीय उच्चिष्ठ (Central maximum) –
मानलो पर्दे XY पर O एक बिन्दु है जो स्लिट AB के मध्य बिन्दु C के ठीक विपरीत ओर है ,
चूँकि स्लिट और पर्दे के बीच की दूरी स्लिट की चौड़ाई की तुलना में बहुत अधिक होती है ,
सभी तरंगिकाएँ बिन्दु O पर समान दूरी तय करके समान कला में पहुँचती हैं।
अतः ये तरंगिकाएँ एक दूसरे को प्रबलित (Rainforce) करती हैं।
फलस्वरूप बिन्दु O पर प्रकाश की तीव्रता अधिकतम होती है। इसे केन्द्रीय उच्चिष्ठ कहते हैं।
उच्चिष्ठों की तीव्रता (Intensities of maxima) –
1. केन्द्रीय उच्चिष्ठ की तीव्रता सर्वाधिक होती है क्योंकि उसकी तीव्रता स्लिट के प्रत्येक भाग से आने वाली समस्त तरंगिकाओं के कारण होती है।
2. प्रथम द्वितीयक उच्चिष्ठ की तीव्रता केन्द्रीय उच्चिष्ठ की तीव्रता से कम होती है , क्योंकि उसकी तीव्रता तीसरे भाग से आने वाली तरंगिकाओं के कारण होती है।
प्रथम दो भागों से आने वाली तरंगिकाएँ विपरीत कला में पहुँचती हैं।
अतः एक दूसरे के प्रभाव को नष्ट कर देती है।
3. द्वितीय द्वितीयक उच्चिष्ठ की तीव्रता और कम होती है , क्योंकि उसकी तीव्रता पाँचवें भाग से आने वाली तरंगिकाओं के कारण होती है।
प्रथम चार भागों से आने वाली तरंगिकाएँ एक दूसरे के प्रभाव को समाप्त कर देती है।
इस प्रकार द्वितीयक उच्चिष्ठों की तीव्रता क्रमशः कम होने लगती है।
श्वेत प्रकाश प्रयुक्त करने पर :-
जब स्लिट पर श्वेत प्रकाश आपतित होता है तो रंगीन विवर्तन चित्र प्राप्त होता है।
केंद्रीय उच्चिष्ठ श्वेत तथा अन्य द्वितीयक उच्चिष्ठ रंगीन होते हैं।
चूँकि द्वितीयक उच्चिष्ठों की चौड़ाई λ के अनुक्रमानुपाती होती है ,
अतः लाल रंग के द्वितीयक उच्चिष्ठ की चौड़ाई बैंगनी रंग के द्वितीयक उच्चिष्ठ की चौड़ाई से अधिक होती है।
विवर्तन प्रदर्शित करने वाले साधारण प्रयोग (Simple experiments demonstrating diffraction) –
1. एक स्लिट से उत्पन्न विवर्तन प्रतिरूप का प्रदर्शन –
एक स्लिट से उत्पन्न विवर्तन प्रतिरूप का प्रदर्शन करने के लिए रेजर ब्लेड प्रयुक्त करते हैं।
दोनों हाथों के अँगूठे और.तर्जनी से दो ब्लेडों को इस प्रकार पकड़ो कि उनके मध्य एक संकीर्ण स्लिट बन जाये।
एक जलते हुए वैद्युत बल्ब को इस संकीर्ण स्लिट में से देखो।
स्लिट की चौड़ाई को पर्याप्त कम करने पर विवर्तन प्रतिरूप दिखाई देते हैं।
द्वितीयक उच्चिष्ठों की स्थिति तरंगदैर्घ्य पर निर्भर करती है। अतः प्रतिरूप रंगीन दिखाई देता है।
लाल या नीले रंग के लिए फिल्टर प्रयुक्त करके विवर्तन प्रतिरूप को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।
2. यदि दूर से आने वाले प्रकाश के मार्ग में एक छोटा सा वृत्तीय अवरोध रख दिया जाये तो अवरोध की छाया के केन्द्र में चमकीला धब्बा दिखाई देता है।
इसका कारण यह है कि वृत्तीय अवरोध के किनारों से प्रकाश का विवर्तन हो जाता है।
ये विवर्तित किरणें अध्यारोपित होकर संपोषी व्यतिकरण उत्पन्न करती हैं।
अतः छाया के केन्द्र पर चमकीला धब्बा दिखाई देता है।
3. यदि एक रूमाल को आँख के समाने फैलाकर दूर स्थित प्रकाश स्त्रोत को देखा जाये तो रूमाल के धागों के बीच बने पतले छिद्रों द्वारा प्रकाश का विवर्तन हो जाता है।
प्रकाश में कई तरंगदैर्घ्य उपस्थित होने के कारण विवर्तन प्रतिरुप रंगीन दिखाई देता है।
ध्वनि और प्रकाश के विवर्तन की तुलनात्मक विवेचना (Comparative interpretation of a diffraction of sound and light)
यदि हम कमरे के अन्दर बैठे हों तो बाहर बातचीत करने वाले व्यक्तियों की आवाज सुन लेते हैं , यद्यपि उन्हें देख नहीं पाते।
इसका कारण यह है कि ध्वनि तरंगें दरवाजों और खिड़कियों के किनारों पर मुड़कर (विवर्तित होकर) कमरे के अन्दर प्रवेश कर जाती हैं ,
किन्तु प्रकाश तरंगें मुड़ नहीं पाती। वास्तव में साधारण ध्वनि तरंगों का तरंगदैर्घ्य 1 मीटर के क्रम का होता है तथा व्यवहार में अवरोधों का आकार भी इसी क्रम का होता है।
अतः ध्वनि तरंगों का मुड़ना या ध्वनि तरंगों में विवर्तन एक साधारण सी घटना होती है ,
किन्तु प्रकाश का तरंगदैर्घ्य बहुत ही कम (जैसे -पीले प्रकाश का तरंगदैर्घ्य लगभग 5.5 ×10 मीटर) होता है।
व्यवहार में अवरोधों का आकार इससे बहुत अधिक होता है।
अतः प्रकाश में विवर्तन की घटना देखने को नहीं मिलती। प्रकाश में विवर्तन की घटना उसी समय परिलक्षित होती है , जबकि अवरोध या छिद्र का आकार प्रकाश के तरंगदैर्घ्य के क्रम का हो।
इसका अर्थ यह है कि सामान्य परिस्थितियों में प्रकाश सरल रेखा में गमन करता है।
अतः किरण प्रकाशिकी वैध है।
किरण प्रकाशिकी उन स्थितियों में असफल हो जाता है , जबकि अवरोध का आकार तरंगदैर्घ्य के क्रम का होता है।
व्यतिकरण और विवर्तन में अन्तर –
व्यतिकरण –
1. दो कला – सम्बद्ध स्त्रोतों से आने वाली तरंगों के अध्यारोपण के कारण व्यतिकरण प्रतिरूप बनता है।
2. सभी दीप्त बैण्डों की तीव्रता एकसमान होती है।
3. व्यतिकरण फ्रिंजों की चौड़ाई एकसमान होती है।
4. न्यूनतम तीव्रता के बिन्दु पूर्णतः काले होते हैं।
विवर्तन –
1. एक ही स्त्रोत के विभिन्न भागों में आने वाली तरंगों के अध्यारोपण के कारण विवर्तन प्रतिरूप बनता है।
2. केन्द्रीय उच्चिष्ठ की तीव्रता अधिक होती है। शेष द्वितीयक उच्चिष्ठों की तीव्रता क्रमशः घटती जाती है।
3. केन्द्रीय उच्चिष्ठ की चौड़ाई अन्य द्वितीयक उच्चिष्ठों की चौड़ाई की तुलना में अधिक होती है।
4. न्यूनतम तीव्रता के बिन्दु पूर्णतः काले नहीं होते।
Dear educationallof.com administrator, You always provide practical solutions and recommendations.
Hi educationallof.com admin, Your posts are always well-supported and evidence-based.
Dear educationallof.com owner, Your posts are always a great source of information.
Hello educationallof.com webmaster, Your posts are always a great source of information.
Dear educationallof.com admin, Thanks for the in-depth post!
Dear educationallof.com owner, Your posts are always interesting.
Dear educationallof.com admin, Keep sharing your knowledge!
Dear educationallof.com admin, Thanks for the informative and well-written post!
Hi educationallof.com admin, Your posts are always well-written and engaging.
Dear educationallof.com owner, You always provide useful links and resources.
Dear educationallof.com webmaster, Your posts are always well structured and easy to follow.
Hi educationallof.com admin, Your posts are always well-referenced and credible.
Hello educationallof.com administrator, Your posts are always well-formatted and easy to read.
To the educationallof.com webmaster, Thanks for the post!
Hello educationallof.com administrator, Thanks for the well-researched and well-written post!
Thanks for sharing. I read many of your blog posts, cool, your blog is very good. https://accounts.binance.com/zh-TC/register?ref=T7KCZASX
Hi educationallof.com admin, Thanks for the great post!
Dear educationallof.com owner, Thanks for the well-researched and well-written post!
Hello educationallof.com webmaster, Thanks for the in-depth post!
Dear educationallof.com webmaster, You always provide valuable information.
Hi educationallof.com webmaster, Your posts are always well researched.