अवर्णकता Achromatism

अवर्णकता Achromatism

अवर्णकता Achromatism

दो या दो से अधिक लेंसों को इस प्रकार संयोजित करें कि इस संयोग द्वारा श्वेत प्रकाश से प्रकाशित वस्तु के सभी रंगों के प्रतिबिम्ब एक ही स्थान पर बने तथा उनका साइज भी एकसमान हो , तो इस संयोग को अवर्णक लेंस संयोग (Achromatic combination of Lens ) कहते हैं तथा इस गुण को अवर्णकता कहते है।

मानलो दो पतले लेंस एक दूसरे के सम्पर्क में रखें गये हैं।

बैंगनी , लाल और पीले रंग के लिए पहले लेंस की फोकस दूरियाँ क्रमशः fv , fr तथा fy तथा दूसरे लेंस की फोकस दूरियाँ क्रमशः fv’ ,fr’ तथा fy’ हैं। मानलो लेंसों के पदार्थ की विक्षेपण क्षमताएं क्रमशः ω और ω’ हैं।

1/fv = (μv – 1) ( 1/R₁ – 1/R₂) …….(1)

या 1/fr = (μr – 1) ( 1/R₁ – 1/R₂) …….(2)

1/fy = (μy – 1) ( 1/R₁ – 1/R₂) …….(3)

जहाँ R₁ और R₂ पहले लेंस की वक्रता त्रिज्याएँ तथा μv , μr और μy क्रमशः बैंगनी , लाल और पीले रंगों के लिए पहले लेंस के पदार्थ के अपवर्तनांक हैं।

समीकरण (1) और (2) से ,

1/fv – 1/fr = (μv – μr ) ( 1/R₁ – 1/R₂)

1/fv – 1/fr = {(μv – μr ) / (μy – 1)} (μy – 1) ( 1/R₁ – 1/R₂)

समीकरण (3) से मान रखने पर ,

1/fv – 1/fr = ω. 1/fy , …… (4)

जहाँ ω = (μv – μr ) / (μy – 1)

दूसरे लेंस के लिए –

इसी प्रकार दूसरे लेंस के लिए ,

1/fv’ – 1/fr’ = ω’. 1/fy’ , …… (5)

समीकरण (4) और (5) को जोड़ने पर ,

(1/fv +1/fv’) – (1/fr + 1/fr’) = ω.1/fy + ω’.1/fy’ ….(6)

यदि बैंगनी और लाल रंगों के लिए लेंस युग्म की फोकस दूरियाँ क्रमशः Fv तथा Fr हों , तो

Fv = 1/fv +1/fv

तथा Fr = 1/fr + 1/fr’

समीकरण (6) में मान रखने पर ,

1/Fv – 1/ Fr = ω.1/fy + ω’.1/fy’ ….(7)

सभी रंगों के प्रतिबिम्ब एक ही स्थान पर बने इसके लिए आवश्यक है कि Fv = Fr

समीकरण (7) में मान रखने पर ,

ω.1/fy + ω’.1/fy’ = 0 ….(8)

ω.Py + ω’.Py‘ ….(9)

जहाँ Py और Py’ क्रमशः दोनों लेंसों की क्षमताएं हैं।

व्यापक रूप में ,

∑ω.1/fy = 0 तथा ∑ωP = 0

समीकरण (8) से ,

ω/fy = – ω’/fy’

ω / ω’ = – fy/ fy’ …….(10)

अतः लेंसों की फोकस दूरियाँ के अनुपात को उनके पदार्थों की विक्षेपण क्षमताओं के अनुपात के बराबर होना चाहिए।

यही अवर्णकता के लिए शर्त –

समीकरण (10) से निम्न निष्कर्ष निकाले जा सकते है –

1. ω और ω’ धनात्मक राशि हैं। अतः fy और fy’ के चिन्ह विपरीत होने चाहिए अर्थात् अवर्णक लेंस युग्म में एक लेंस को उत्तल लेंस तथा दूसरे लेंस को अवतल लेंस होना चाहिए।

2. अवर्णक लेंस युग्म अभिसारी लेंस की तरह कार्य करे , इसके लिए आवश्यक है कि उत्तल लेंस की फोकस दूरी अवतल लेंस की फोकस दूरी से कम हो अर्थात् उत्तल लेंस की क्षमता , अवतल लेंस की क्षमता से अधिक हो।

3. समीकरण (10) से स्पष्ट है कि जिस लेंस की फोकस दूरी कम है उसकी वर्ण विक्षेपण क्षमता भी कम होगी।

चूँकि क्रॉउन काँच की विक्षेपण क्षमता फ्लिंट काँच की विक्षेपण क्षमता से कम होती है।

अतः उत्तल लेंस को क्रॉउन काँच का तथा अवतल लेंस को फ्लिंट काँच का बना होना चाहिए।

4. यदि ω = ω’ हो तो fy =- fy’ या fy + fy’ = 0 अतः लेंसों कआ संयोग एक समतल काँच की प्लेट की भाँति व्यवहार करेगा।

स्पष्ट है कि एक ही पदार्थ के बने दो लेंसों के संयोग से वर्ण विपथन दोष को दूर नहीं किया जा सकता।

ध्यान रहे कि क्रॉउन काँच और फ्लिंट काँच से बने लेंसों को सम्पर्क में रखकर केवल दो रंगों के लिए ही दोनों प्रकार के वर्ण विपथनों को दूर किया जा सकता है।

हमारी आँख नीले व लाल रंगों के बीच अधिक सुग्राही है , अतः दूरदर्शी में प्रयुक्त अवर्णक लेंस नीले व लाल रंगों के लिए अवर्णक होते हैं।

फोटोग्राफिक प्लेट बैंगनी व हरे रंगों के बीच सुग्राही होती है , अतः कैमरे में प्रयुक्त अवर्णक लेंस युग्म बैंगनी व हरे रंगों के लिए अवर्णक होता है।

विशेष स्थिति –

यदि दोनों लेंस एक दूसरे से d दूरी पर स्थित हो तो अवर्णकता के लिए ,

ω₁ / f₁ + ω₂ / f₂ x ( ω₁ + ω₂ ) / f₁f₂ = 0

यदि लेंस एक ही पदार्थ के हों तो ω₁ = ω₂ ( दोनों उत्तल लेंस हों)

इस स्थिति में x =( f₁ + f₂) / 2 , जहाँ x लेंसों के बीच की दूरी है।

नोट –

अवर्णक लेंस युग्म बनाने के लिए क्रॉउन काँच के उत्तल लेंस और फ्लिंट काँच के अवतल लेंस को सम्पर्क में रखकर उन्हें कनाडा बालसम के द्वारा जोड़ दिया जाता है।

उनकी फोकस दूरियाँ इस प्रकार ली जाती है कि उत्तल लेंस द्वारा उत्पन्न विक्षेपण अवतल लेंस द्वारा उत्पन्न विक्षेपण से निष्प्रभावित हो जाय।

कनाडा बालसम एक पारदर्शी सीमेंट होता है , जिसका अपवर्तनांक काँच के अपवर्तनांक के बराबर होता है।

लेंसों की पहचान –

लेंसों की पहचान दो प्रकार से करते हैं-

1.स्पर्श करके –

यदि लेंस बीच में मोटा तथा किनारों पर पतला है तो उत्तल लेंस होगा।

इसके विपरीत यदि बीच में पतला तथा किनारों पर मोटा हो तो वह अवतल लेंस होगा।

2.प्रतिबिंब देखकर-

(a) लेंस को पुस्तक के पन्ने पर रखकर, धीरे धीरे ऊपर उठाते हैं।

यदि अक्षर बड़े होते दिखाई दें तो वह उत्तल लेंस है और यदि अक्षर छोटे होते दिखाई दें तो अवतल लेंस है।

अक्षर के आकार में कोई परिवर्तन न हो तो वह साधारण काँच का टुकड़ा होगा।

(b) लेंस से दूर की वस्तु को देखते हैं।

यदि वह उल्टी दिखाई दे तो लेंस उत्तल है और यदि वस्तु छोटी और सीधी दिखाई दे तो लेंस अवतल है।

लेंसों के उपयोग –

  •  प्रकाशिक यन्त्रों जैसे- सूक्ष्मदर्शी , दूरदर्शी , फोटोग्राफिक कैमरा इत्यादि में।
  • चश्मों में दृष्टिदोष को दूर करने के लिए।
  •  प्रयोगशाला में रीडिंग लेंस के रूप में।
  •  घड़ीसाज द्वारा घड़ी के छोटेे- छोटे पुर्जों को देखने के लिए।

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