Rabies symptoms and prevention
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Rabies symptoms and prevention
कारण (Causes) –
यह एक विषाणुजनित रोग है।
यह विषाणु कुत्ते, बिल्ली, गीदड़, बंदर, खरगोश, चमगादड़ आदि जंतुओं में वृद्धि एवं प्रजनन करता है।
जिन जंतुओं में यह रोग होता है उसे रेविड (Rabid) कहते है।
रोग के लक्षण एक से तीन महीने तक स्पष्ट दिखाई नहीं देते है।
जब एक रेबिज जंतु जैसे कुत्ता किसी मनुष्य को काटता है तो उसके लार के साथ विषाणु शरीर में प्रवेश करके मस्तिष्क में पहुंच जाते हैं।
विषाणु मस्तिष्क में प्रजनन द्वारा अपनी संख्या में वृद्धि करता है एवं रोगी, रोग के तीन से पांच दिनों में मर जाता है।
रेबिज जंतु कुत्ता भी तीन से पांच दिनों में मर जाता है।
लक्षण (Symptoms) –
1. व्यक्ति के शरीर में तेज बुखार तथा स्वर कोष्ठ एवं ग्रसनी की पेशियों मे अनियंत्रित संकुचन से दर्द उत्पन्न हो जाता है।
2 रोगी व्यक्ति तरल भोजन ग्रहण कर में असुविधा महसूस करता है।
3 रोगी जल से डरने लगता है इस कारण इस रोग को हाइड्रोफोबिया (Hydrophobia) कहते हैं।.
4. यह मस्तिष्क तथा मेरूरज्जू को नष्ट करता है।
रोकथाम (Prevention) –
1 पालतू कुत्ते एवं बिल्लियों को रेबीज प्रतिरोधी टीका (anti-rabies) लगवाना चाहिए।
2. रेबिज युक्त जंतुओं को मार देना चाहिए।
3 रेबिज जंतुओं के काटने पर साबुन एवं शुद्ध जल से शीघ्रता पूर्वक कटे स्थान को धोना चाहिए।
डाक्टर की सलाह लेकर रेबीस प्रतिरोधी सुई लगवाना चाहिए।
नियंत्रण (Controle) –
इस रोग का कोई उपचार नहीं है।
रेबिज जंतु काटने पर केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र संकमित होने के पुर्व विषाणु को शरीर से मुक्त कर देना ही उपचार है।
रोगी को विषाणु प्रतिरोधी सीरम देना चाहिए।
इसके पश्चात टीका लगाना चाहिए।
लुई पाश्चर ने सर्वप्रथम (Louis pasteur) ने रेबीज विषाणु को देखा तथा इसके टीके का अविष्कार किया था।
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