न्यूटन के कणिका सिद्धांत की अमान्यता के कारण :-

न्यूटन के कणिका-सिद्धांत की अमान्यता के कारण :-

(न्यूटन के कणिका सिद्धांत की अमान्यता के कारण) इस सिद्धांत की सहायता से प्रकाश के व्यतिकरण , विवर्तन ,

ध्रुवण आदि घटनाओं की व्याख्या नहीं की जा सकती।

इस सिद्धांत के अनुसार सघन माध्यम में प्रकाश का वेग विरल माध्यम में प्रकाश के वेग से अधिक होता है जो कि प्रयोगों से प्राप्त परिणाम के सर्वथा विपरीत है।

प्रकाश स्त्रोत से निरन्तर असंख्य कणिकाएँ निकलती रहती हैं। अतः प्रकाश स्त्रोत का द्रव्यमान कम हो जाना चाहिए , किन्तु यथार्थ में ऐसा नहीं होता।

इस सिद्धांत के अनुसार प्रकाश के वेग को प्रकाश स्त्रोत के ताप पर निर्भर होना चाहिए , किन्तु वास्तव में प्रकाश का वेग प्रकाश स्त्रोत के ताप से स्वतंत्र होता है।

प्रकाश के परावर्तन एवं सघन माध्यम से विरल माध्यम में प्रकाश के अपवर्तन की व्याख्या करने के लिए यह माना गया कि पृष्ठ के अभिलम्बवत् प्रतिकर्षण बल कार्य करता है ,

जबकि विरल माध्यम से सघन माध्यम में अपवर्तन की व्याख्या करने के लिए यह माना गया कि पृष्ठ के अभिलम्बवत् आकर्षण बल कार्य करता है।

ये परिकल्पनाएँ परस्पर विपरीत है। इनका कोई सैद्धांतिक आधार प्रतीत नहीं होता।

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता :-

 एकल स्लिट द्वारा प्रकाश का विवर्तन :-

चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता :-

 दण्ड चुम्बक पर बल आघूर्ण :-

कूलॉम का व्युत्क्रम वर्ग-नियम:-

विद्युत शक्ति की परिभाषा , मात्रक एवं विमीय सूत्र:-

पोलेराइड किसे कहते हैं :-

तरंग प्रकाशिकी किसे कहते हैं ? बताइए

मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग :-

लेंसों से सम्बंधित प्रश्न :-

फ्रेनेल दूरी किसे कहते हैं :-

educationallof
Author: educationallof

28 thoughts on “न्यूटन के कणिका सिद्धांत की अमान्यता के कारण :-

  1. Pingback: - educationallof

Comments are closed.

error: Content is protected !!