लेंसों से सम्बंधित प्रश्न :-
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प्रश्न :- एक लेंस की दोनों वक्रता त्रिज्याएँ भिन्न भिन्न हैं। यदि लेंस को उलट दें तो क्या प्रतिबिम्ब की स्थिति बदल जायेगी ? (लेंसों से सम्बंधित प्रश्न)
(लेेंसों से सम्बंधित प्रश्न) 1 लेंस की दोनों वक्रता त्रिज्याएँ भिन्न भिन्न हैं। यदि लेंस को उलट दें तो प्रतिबिम्ब की स्थिति नहीं बदलेगी क्योंकि
सूत्र 1/f = (μ – 1)(1/R₁ – 1/R₂) से
उत्तल लेंस के लिए ,
1/f = (μ – 1)(1/R₁ – 1/-R₂)
1/f = (μ – 1)(1/R₁ + 1/R₂)
तथा अवतल लेंस के लिए ,
1/f = (μ – 1)(1/-R₁ – 1/R₂)
1/f = – (μ – 1)(1/R₁ + 1/R₂)
स्पष्ट है कि यदि R₁ के स्थान पर R₂ तथा R₂ के स्थान पर R₁ रखें तो f का मान नहीं बदलता।
अतः प्रतिबिम्ब की स्थिति नहीं बदलेगी।
प्रश्न :- एक अवतल दर्पण और एक उत्तल लेंस पानी में रखें गये हैं। उनकी फोकस दूरियों में क्या परिवर्तन होगा ?(लेंसों से सम्बंधित प्रश्न)
अवतल दर्पण की फोकस दूरी में कोई परिवर्तन नहीं होगा , क्योंकि फोकस दूरी वक्रता त्रिज्या की आधी होती है।
दर्पण की वक्रता त्रिज्या माध्यम पर निर्भर नहीं करती।
उत्तल लेंस को पानी में डुबाने पर उसकी फोकस दूरी बढ़ जाती है।
प्रश्न :- धूप के चश्मे के काँच वक्रीय होते हैं , फिर भी इनकी क्षमता शून्य होती है , क्यों ?
धूप के चश्मे के काँच की बाहरी और आन्तरिक सतहें परस्पर समान्तर होती है तथा उनकी वक्रता त्रिज्याएँ बराबर होती हैं।
इस प्रकार 1/f = (μ – 1)(1/R₁ – 1/R₂)
1/f = (μ – 1)(1/R – 1/R) =0
क्षमता P = 1/f =0
प्रश्न :- लेंस में दो फोकस बिन्दु होते हैं , जबकि गोलीय दर्पण में केवल एक। कारण बताइए।
इसका कारण यह है कि लेंस में दो प्रकाशीय पृष्ठ होते हैं , जबकि दर्पण में केवल एक होता है।
प्रश्न :- फ्यूज बल्ब में पानी भरकर देखने पर किताब के अक्षर बडे़ दिखाई देते हैं। क्यों ?
बल्ब की दीवारें उभरी हुई होती हैं। पानी डालने पर वह उत्तल लेंस की तरह कार्य करने लगता है।
अतः अक्षर आवर्धित होकर बडे़ दिखाई देते हैं।
प्रश्न :- जल के भीतर वायु का बुलबुला कैसा व्यवहार करता है ?
अपसारी लेंस की तरह व्यवहार करता है। जल का अपवर्तनांक वायु के अपवर्तनांक से अधिक होता है।
अतः वायु के बुलबुले को जल में रखने पर उसकी प्रकृति बदल जाती है।
प्रश्न :- एक चींटी अनन्त से प्रथम फोकस तक एक उत्तल लेंस की ओर एकसमान चाल से सरकती है। लेंस द्वारा उसके प्रतिबिम्ब की चाल किस प्रकार परिवर्तित होगी ?
जहाँ चींटी अनन्त से 2f तक सरकती है , तो उसका प्रतिबिम्ब f से 2f तक हटता है और जब चींटी 2f से f तक सरकती है तो उसका प्रतिबिम्ब 2f से अनन्त तक दूसरी ओर हटता है। अतः प्रतिबिम्ब की चाल पहले घटती है , तत्पश्चात् बढ़ती है।
प्रश्न :- दो अभिसारी लेंसों को किस प्रकार रखा जाए कि इन पर पड़ने वाला समान्तर किरण पुंज इनसे निकलने के बाद पुनः समान्तर हो जाये ?
दोनों अभिसारी लेंसों को इस प्रकार रखना चाहिए कि उनके बीच की दूरी उनकी फोकस दूरियों के योग के बराबर हो।
इस प्रकार यदि x = f₁ + f₂ हो , तो सूत्र
1/F = 1/f₁ + 1/f₂ – x/ f₁f₂ में मान रखने पर ,
= 1/f₁ + 1/f₂ – f₁ + f₂/ f₁f₂
1/F = 0 , F = ∞
अतः यह युग्म एक समतल काँच की प्लेट की तरह कार्य करेगा। फलस्वरूप आपतित और निर्गत किरणें समान्तर होंगी।
प्रश्न :- स्पष्ट कीजिए कि पानी के अंदर वायु का बुलबुला , जिसका पृष्ठ उत्तल हैं , अवतल लेंस की भाँति क्यों व्यवहार करता है ?
पानी के अन्दर वायु का बुलबुला एक लेंस की भाँति कार्य करता है , जिसका फोकस दूरी निम्न सूत्र द्वारा दी जाती है –
1/f = (gμa – 1)(1/R₁ – 1/R₂)
बुलबुले के दोनों पृष्ठ उभरे हुए होते हैं। अतः उनकी वक्रता त्रिज्याएँ बराबर होती है।
चिन्हों की परिपाटी के अनुसार ,
R₁ =R तथा R₂ = -R
उपयुक्त सूत्र में मान रखने पर ,
1/f = (gμa – 1) 2/R
हम जानते हैं कि , gμa =1/aμg अब चूंकि aμg>1 , gμa<1
अतः (gμa – 1) ऋणात्मक होगा। इस प्रकार पानी के अन्दर वायु के बुलबुले की फोकस दूरी ऋणात्मक होती है।
अतः वह अवतल लेंस की तरह व्यवहार करता है।
कूलॉम का व्युत्क्रम वर्ग-नियम:-
विद्युत शक्ति की परिभाषा , मात्रक एवं विमीय सूत्र:-
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