समुद्री प्रदूषण , कारण एवं उपाय

        समुद्री प्रदूषण          (MARINE POLLUTION)

समुद्री प्रदूषण

बाहरी पदार्थों के आगमन से समुद्री पारिस्थितिक तंत्र में होने वाले हानिकारक परिवर्तन महासागरीय या समुदी प्रदूषण कहलाता है।

समुद्री प्रदूषण के कारण तथा इसके स्त्रोत (Sources of Marine Pollution and its causes):-

1. जहरीले अपशिष्ट (Toxic wastes) –

अनेक प्रकार के जहरीले अपशिष्ट सागर तटों पर नदियों तथा व्यक्तियों के द्वारा लाए जाते हैं जो सागर तटों को अत्यधिक प्रदूषित करते हैं।

2. औद्योगिकीकरण (Industrialization)-

औद्योगिकीकरण से विषैले रसायनों के निकलने से तटवर्ती क्षेत्र का जल विषाक्त हो रहा है।

आज इस विषाक्त जल ने समुद्री जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है मछलियों को संदूषित कर दिया है।

जब ऐसी मछलियाँ खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग की जाती है।

तो उससे अनेक बीमारियों तथा शारीरिक व मानसिक विकार उत्पन्न हो जाते हैं।

3. महानगरीय और निकटवर्ती प्रतिष्ठानों से निसृत्त गन्दगी (Garbage discharge from metropolitan and local establishments):-

मछली उद्योग, पर्यटन, परिवहन और छीजन फेंकने वाले उद्योग अपनी-अपनी तरह से प्रदूषण फैलाते हैं।

विश्व के सभी प्रतिष्ठित महानगर समुद्र तट पर स्थित है।

जिनका मल-जल बहकर समुद्रों में मिलकर प्रदूषण फैलाता है।

Marine pollution, समुद्री प्रदूषण

4. जहाजों और टैंकरों का परिवहन (Transportaiton of ships and Tankers):-

परिवहन ने समुद्र को भारी मात्रा में प्रदूषित किया है।

जहाजों से छलके तेल और टैंकरों के टूटने, फटने तथा युद्धों में डुबाए जाने से महासागरीय पर्यावरण बहुत अधिक क्षतिग्रस्त हुआ है तथा समुद्र तट भी प्रदूषित हो रहे हैं।

5. नाभिकीय हथियारों का समुद्र में परीक्षण (Testing of nuclear weapons in the sea):-

नाभिकीय हथियारों के समुद्र में परीक्षण से जल में रेडियोधर्मी पदार्थ फैल जाती है,

साथ ही लाखों समुद्री जीव-जन्तु मर जाते हैं।

6. अन्य अपशिष्ट (Other wastes):-

उपरोक्त अपशिष्ट पदार्थों के अतिरिक्त आधुनिक समय में सागर तटों को प्रदूषित करने का कार्य मानव द्वारा ही किया जाता है।

प्रत्येक सागर तटों पर प्राकृतिक आनन्द प्राप्त करने हेतु व्यक्ति जाता है,

किन्तु वह वहाँ अपने साथ ले गए खाने के सामान का अपशिष्ट, डिब्बे तथा अन्य कूड़ा-कचरा छोड़कर आता है

जो सागर तटों के पर्यावरण को अत्यधिक नुकसान पहुँचाते हैं।

उदाहरण के लिए मुम्बई का चौपाटी।

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 समुद्री प्रदूषण के प्रभाव 

[EFFECTS OF MARINE POLLUTION)

वर्तमान में समुद्री प्रदूषण के कारण अनेक समुद्री जीव (पौधे एवं जन्तु) मृत्यु को प्राप्त हो रहे

तथा बहुमूल्य समुद्री सम्पदा को हानि हो रही है। समुद्री प्रदूषण के कुछ महत्वपूर्ण प्रभाव निम्नलिखित हैं-

1. नदियों के साथ आने वाले प्रदूषक समुद्री मछलियों और अन्य जीवों की मृत्यु का कारण बन रहे हैं।

2. औद्योगिक संस्थानों के बहिःस्त्राव से समुद्री जल प्रदूषित होकर मछलियों और जलीय जीवों को प्रदूषित कर रहें हैं

जिन्हें खाकर मानव अनेक बीमारियों से प्रभावित हो रहे हैं।

3. समुद्र में पेट्रोलियम तेल के रिसाव से भारी संख्या में व्हेल समेत अनेक जीवों, लाखों जल पक्षियों की मृत्यु हो जाती है।

4. समुद्री गहराई में उपस्थित रसायनों का उपयोग महत्वपूर्ण औषधियों के निर्माण में किया जा रहा है।

प्रदूषण से इनकी गुणवत्ता प्रभावित हो रही है।

5. समुद्री प्रदूषण से मूँगे की बहुमूल्य चट्टानों की खेती लगातार कम होती जा रही है।

जो राष्ट्र के लिए गहरी आर्थिक हानि का कारण बनी है।

6. परमाणु परीक्षणों के कारण अनेक महासागरों का जल तथा जीव रेडियोधर्मिता से प्रभावित हो गए हैं

जो विभिन्न प्रकार के कैंसरों की उत्पत्ति का कारण बन गए हैं।

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समुद्री प्रदूषण नियन्त्रण के उपाय

[MEASURES TO CONTROL MARINE POLLUTION]

समुद्री प्रदूषण के घातक प्रभावों को देखते हुए इस पर नियन्त्रण आवश्यक है।

अतः इस प्रदूषण को रोकने के लिए हमें निम्नलिखित महत्वपूर्ण कदम उठाने होंगे-

1. नदियों को कीटनाशकों, उर्वरकों, औद्योगिक बहिःस्त्रावों से मुक्त रखा जाए।

2. समुद्र के किनारे स्थापित उद्योगों, कारखानों, नगरों के बहिःस्त्रावों को उपचारित करने के बाद ही समुद्र में डाला जाए।

3. समुद्रों में मालवाहक जहाजों और तेल कुओं से होने वाले गम्भीर तेल रिसाव पर रोक के कारगर तरीके ढूँढ़े जाएँ।

4. परमाणु परीक्षणों पर रोक लगाई जाए।

5. परमाणु कचरे को समुद्र में विकसित करने से पहले उसका उचित उपचार कर लिया जाए।

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