Malaria is caused by
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Malaria is caused by
मलेरिया (Malaria)
कारण (Causes)
यह प्रोटोजोआ द्वारा उत्पन्न रोग है।
यह बीमारी प्लाज्मोडियम (Plasmodium) की चार जातियों वाईवेक्स (Vivex), ओवेल (Oval), फैल्सीपेरम (Falsiparum), मलेरी (Malari) द्वारा उत्पन्न होती है।
प्लाज्मोडियम मनुष्य के यकृत लाल रुधिर कणिकाएँ एवं मादा एनाफिलीज मच्छर के अमाशय में वृद्धि करता है।
इस रोग का पता रुधिर परीक्षण के द्वारा लगाया जाता है।
लक्षण (Symptoms) –
मलेरिया में कम्पन्न के साथ तेज बुखार, सिरदर्द एवं पूरे शरीर में दर्द प्रमुख लक्षण हैं।
जब संक्रमित मादा एनाफिलीज मच्छर किसी मनुष्य को काटता है तो उसकी लार से प्लाज्मोडियम परजीवी उसके रुधिर में पहुँच जाते हैं।
ये परजीवी लाल रुधिर कणिकाओं में तेजी से बढ़ते हैं तथा लाल रुधिर कणिकाएँ फट जाती हैं।
रुधिर कणिकाओं के फटने के पश्चात एक विषैला पदार्थ हीमोजाइन (Haemozion) मुक्त होता है।
इन विषैले पदार्थ के कारण मनुष्य को तेज बुखार आता है।
अत्यधिक रुधिर कणिकाओं के नष्ट हो जाने पर रक्त में कमी तथा प्लीहा (Spleen) का आकार बढ़ जाता है।
मलेरिया में रोगी व्यक्ति तीन अवस्था से गुजरता है-
1. ठण्ड अवस्था (Cold Stage)-
इस अवस्था में रोगी व्यक्ति को ज्यादा ठण्ड लगती है तथा शरीर में कम्पन्न होने लगता है।
2. गर्म अवस्था (Hot State)-
इस अवस्था में रोगी के शरीर का तापक्रम उच्च हो जाता है। तेज बुखार के साथ-साथ बहुत अधिक सिर दर्द रहता है।
3. पसीना अवस्था (Sweating State)-
रोगी व्यक्ति के शरीर से पसीना निकलने के कारण तापक्रम 98.4°F हो जाता है।
रोकथाम (Prevention)-
विश्व स्तर पर प्रति वर्ष 30 करोड़ व्यक्ति मलेरिया के शिकार होते है जिनमें से 20 लाख व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है।
मलेरिया से दो विधियों द्वारा बचा जा सकता है –
1 मादा एनोफिलीज मच्छर एवं मनुष्य के बीच सम्पर्क को रोककर।
2 मच्छरों को नष्ट करके।
मच्छरदानी, मच्छर निरोधक क्रीम या सरसों के तेल को लगाकर मच्छर एवं मनुष्य के सम्पर्क को रोका जा सकता है।
दूसरी विधि में डी.डी.टी. (डाइक्लोरो डाईफिनाइल ट्राईक्लोरोएथेन) एवं B.H.C (बेन्जीन हेक्सा क्लोराइड) का छिड़काव करना चाहिए जिससे वयस्क मच्छर के अंडे, लार्वा एवं प्यूपा नष्ट हो जाय।
मिट्टी का तेल (केरोसीन) छिड़क कर भी इनको नष्ट किया जा सकता है।
मच्छरों के वृद्धि वाले स्थानों को समाप्त करना आवश्यक है।
कुछ मछलियाँ जैसे गम्बूसिया (Gambusia), मांगुर (Clarias), गरई (Channa) आदि जो मच्छरों के अण्डे, लार्वा एवं प्यूपा को खाती है
इनके द्वारा मच्छरो पर नियंत्रण पाया जाता है जिसे जैवनियंत्रण (Biological Control) कहते है।
सिंगापुर के वैज्ञानिक ने जीवाणुओं की एक ऐसी स्ट्रेन (Strain) का विकास किया है
जो ऐसे विष (Toxin) को उत्पन्न करते है जिसके द्वारा मच्छरोंके लार्वा नष्ट हो जाते है।
नियंत्रण (Control)-
आज तक मलेरिया प्रतिरोधी टीका (Vaccine) का संश्लेषण नहीं हुआ है।
मलेरिया रोग के लिए मलेरिया प्रतिरोधी औषधि कुनैन (Quinine) दी जाती है। जिसे सिनकोना (Cinchona) पेंड़ की छाल से प्राप्त किया जाता है।
1. 20 अगस्त को मलेरिया दिवस (Malaria Day) मनाया जाता है।
2. 29 अगस्त को मच्छर दिवसः (Mosquito Day) कहा जाता है।
3 मैक्युलांच (Macculoch-1827) ने मलेरिया का नामकरण किया।
4. लैवरेन (Laveran -1880) मलेरिया रोगी व्यक्ति से मलेरिया परजीवी प्लाज्मोडियम की खोज की ।
इस खोज के लिए सन् 1907 में उन्हें नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया।
5. रोनाल्ड रास (Ronald Ross-1897) ने सर्वप्रथम बताया कि मादा एनाफिलीज मच्छर मलेरिया रोग का वाहक है।
इस कार्य के लिए 1902 में नोबल पुरस्कार प्रदान किया गया।
6. सेन्ट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (C.D.R.I.) लखनऊ के वैज्ञानिकों ने अंटेमिसिया (Antemisia) नामक पौधे से अर्टीथर (arteether) नाम पदार्थ प्राप्त होता है
जिसका उपयोग मलेरिया औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
( Malaria is caused by )
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