Typhoid Causes And Prevention
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Typhoid causes and prevention
टायफाइड (Typhold)
कारण (Causes) –
टायफायड एक जीवाणु जनित संक्रामक रोग है जो सालमोनेला टायफी (Salmonella typhi) जीवाणु द्वारा होता है।
यह जीवाणु सामान्यतः रोगी मनुष्य के रक्त, मलमूत्र में पाया जाता है। घरेलू मक्खी रोग के संक्रमण से अधिक सहायक है।
भारत में लगभग दो लाख व्यक्ति प्रतिवर्ष टायफायड या मोतीझरा से ग्रसित होते हैं।
यह बीमारी 1 से 15 वर्ष के बच्चों में होती है।
यदि उपचार सही ढंग से न किया जाय तो तीन या चार सप्ताह में रोगी की मौत हो जाती है।
टायफायड से होने वाली मृत्युदर को स्वच्छता उपायों का सूचकांक माना जाता है।
लक्षण (Symptoms) –
1. इस बीमारी से मानसिक तनाव होने के कारण अशांत एवं अस्थिर महसूस करता है।
सिरदर्द एवं अमाशय में दर्द रहता है।
2 बुखार तीन से चार सप्ताह तक रहता है बुखार 7 से 10 दिनों तक बढ़ते रहता है।
जो कि 103°F से 104°F तक हो जाता है।
3. रोगी को कब्ज की शिकायत रहती है। इस रोग में आंत सबसे अधिक प्रभावितहोती है।
4 शरीर पर मोती के समान चमकदार दाने निकल आते है।
5 खूनी पेचिस हो जाती है जिसमें रक्त की मात्रा अधिक रहती है।
रोकथाम (Prevention) –
1. सभी व्यक्तियों को व्यक्तिगत या सामाजिक रूप से सफाई पर ध्यान देना चाहिए क्योकि यह दूषित जल, वायु एवं भोजन से उत्पन्न होने वाला रोग है।
2 रोगी को स्वच्छ एवं हवादार कमरे में रखना चाहिए।
3. रोगी के मलमूत्र, थूक इत्यादि को नष्ट कर देना चाहिए। इसके लिए जीवाणुनाशक का उपयोग किया जा सकता है।
4. मक्खियों के’ नियंत्रण के लिए कीटनाशकों का उपयोग करना चाहिए।
5 बीमारी का पता लगने पर चिकित्सकों से उपचार कराना चाहिए।
नियंत्रण (Cotrole) –
1. रोग नियंत्रण के लिए प्रतिजैविक (Antibiorics) का उपयोग करना चाहिए जैसे क्लोरोमाइसिटीन ।
2 वाइरस प्रतिरोधी TAB का टीका लगवाना चाहिए।
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