माना दो आवेश q₁ और q₂ एक दूसरे से r दूरी पर स्थित हैं। यदि उनके बीच वायु या निर्वात् हो (परावैद्युतांक), तो कूलॉम के नियम से उनके बीच लगने वाला बल
F = 1/4πε₀ . q₁q₂ /r² ….(1)
जहाँ ε₀ वायु या निर्वात् की निरपेक्ष विद्युतशीलता है।
अब यदि उन आवेशों के मध्य K परावैद्युतांक का कोई माध्यम रख दिया जाये तो उनके मध्य लगने वाला बल
F’ = 1/4πε₀K . q₁q₂ /r² ….(2)
समीकरण (1) में (2) का भाग देने पर ,
F/F’ = K
अतः वायु या निर्वात् में निश्चित दूरी पर रखे दो आवेशों के मध्य लगने वाले बल और किसी माध्यम में उतनी ही दूरी पर रखे उन्हीं दो आवेशों के मध्य लगने वाले बल के अनुपात को माध्यम का परावैद्युतांक कहते हैं।
पुनः हम जानते हैं कि
ε = ε₀K
K = ε/ε₀
शब्दों में ,
माध्यम का परावैद्युतांक = माध्यम की निरपेक्ष विद्युतशीलता / वायु या निर्वात् की निरपेक्ष विद्युतशीलता
अतः किसी माध्यम का परावैद्युतांक उस माध्यम की निरपेक्ष विद्युतशीलता और वायु या निर्वात् की निरपेक्ष विद्युतशीलता के अनुपात के तुल्य होता है।
इस परिभाषा के आधार पर किसी माध्यम के परावैद्युतांक को उस माध्यम की आपेक्षिक विद्युतशीलता (Relative Permittivity)भी कहते हैं।
प्रत्येक पदार्थ का परावैद्युतांक 1 से अधिक होता है।
आगे सारणी में कुछ पदार्थों के सारणी दिये जा रहे हैं –
पदार्थ
1. ऐम्बर 2.8
2. एबोनाइट 2.8
3. काँच 5.10
4. अभ्रक 5.7 से 6.7
5. मोम 2से 2.3
6. पानी 80.4
7. ग्लिसरॉल 4.3
8. केरोसीन 2.0
9. हाइड्रोजन 1.0027
10. नाइट्रोजन 1.00058
11. वायु 1.0000536
ऑक्सीजन 1.00053
नोट :- धातु का परावैद्युतांक अनन्त होता है।
1. विद्युत क्षेत्र की तीव्रता :-
2. एकल स्लिट द्वारा प्रकाश का विवर्तन :-
3. चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता :-
4. दण्ड चुम्बक पर बल आघूर्ण :-
5. कूलॉम का व्युत्क्रम वर्ग-नियम:-
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