कर किसे कहते हैं

कर किसे कहते हैं

कर किसे कहते हैं –

सड़क हो या बिजली, पुल हो या रपटा बाजार हो या खेल का मैदान, सरकारी स्कूल हो या सरकारी अस्पताल, ये सभी स्थान किसी एक व्यक्ति का न होकर सभी व्यक्तियों के लिए होते है

अर्थात् इनका उपयोग गाँव या शहर के सभी व्यक्ति कर सकते हैं।

ये सभी सार्वजनिक सुविधाएँ कहलाती है।

इन कार्यों को कराना सरकार की जिम्मेदारी होती है।

इनके अलावा लोगों को सुविधाएँ उपलब्ध कराना जैसे पानी की व्यवस्था, अस्पताल खुलवाना, बिजली की व्यवस्था, सड़क बनवाना आदि कार्यों को भी सरकार करती है।

इस कार्य के लिए सरकार को धन की आवश्यकता होती है।

धन की व्यवस्था सरकार कर या टैक्स से करती है।

कर सरकार को दिया गया एक अनिवार्य अंशदान होता है।

बजट :-

सरकार को कर या टैक्स के रूप में आय (आमदनी) प्राप्त होती है।

इन करों से प्राप्त धन को वह किन मदों पर खर्च करेगी यह तय किया जाता है।

इस आय-व्यय के लेखा-जोखा को बजट कहते हैं।

इस बजट में एक तरफ यह बताया जाता है कि किस-किस प्रकार के कर (टैक्स) लगाने से सरकार को आमदनी प्राप्त होगी तथा दूसरी तरफ, प्राप्त धन को कहाँ-कहाँ लगाया जाएगा।

करों के प्रकार :-

हम सभी लोग किसी न किसी रूप में सरकार को कर देते हैं।

एक तो हम अपनी आय, जमीन एवं संम्पत्ति पर कर देते हैं

एवं दूसरा वस्तुओं तथा सेवाओं के खरीदने पर सरकार को कर चुकाते हैं।

कर मुख्य रूप से दो प्रकार के होते है-

1. प्रत्यक्ष कर

2. अप्रत्यक्ष कर

प्रत्यक्ष कर :-

प्रत्यक्ष कर वह कर है जो जिस व्यक्ति पर लगाया जाता है वही व्यक्ति इसका भुगतान करता है।

जैसे आयकर सम्पत्ति कर आदि ।

आयकर (Income Tax) :-

आयकर सरकार द्वारा व्यक्ति की आय (आमदनी) पर लगाया जाता है।

सरकार देश में लोगों के जीवन-यापन के लिए एक निश्चित आर्थिक सीमा तय करती है।

इस सीमा से अधिक आय प्राप्त करने वाले लोगों को आयकर देना पड़ता है।

कृषि से होने वाली आय पर सरकार ने आयकर में छूट दे रखी है।

इनके अलावा कारखानों या उद्योग धंधे चलानेवाली कंपनियों को कर देना होता है।

क्योंकि ये आय के साधन हैं।

इस आमदनी में होनेवाले खर्च (कच्चा माल, वेतन आदि) काटकर जो बचता है उसे कारखाने या कंपनी का मुनाफा कहते हैं।

कंपनी के मालिक को इस मुनाफे पर नियमानुसार सरकार को कर देना पड़ता है।

संपत्ति कर शहरी क्षेत्रों में जमीन एवं मकान पर नगर निगम कर वसूल करती है।

अप्रत्यक्ष कर :-

जब हम किसी वस्तु एवं सेवा को खरीदते है तो सरकार उस पर कर लगाती है।

यह कर विक्रेता पर लगाया जाता है परन्तु इस कर की राशि को वस्तु एवं सेवा के मूल्यों में जोड़कर वह उपभोक्ता से वसूली कर लेता है।

इस प्रकार हम देखते हैं कि यह कर किसी एक व्यक्ति पर लगाया जाता है परन्तु उसका भुगतान कोई दूसरा व्यक्ति करता है।

इसलिए इसे हम अप्रत्यक्ष कर कहते हैं जैसे केन्द्रीय उत्पाद शुल्क, बिक्री कर, सेवा कर मनोरंजन कर आदि।

हमारे देश में 1 जुलाई 2017 से GST अर्थात् वस्तु एवं सेवा कर लागू हो गया है।

अब विभिन्न प्रकार के अप्रत्यक्ष करों के स्थान पर एकल कर को अपनाया गया है।

इससे सभी अप्रत्यक्ष कर GST में समाहित हो गए हैं।

वस्तु एवं सेवा कर (GST) –

वस्तु एवं सेवा कर जिसे हम जी.एस.टी. के नाम से जानते हैं।

यह एक अप्रत्यक्ष कर है जो वस्तु एवं सेवा दोनों पर लागू होता है।

इससे पूरे भारत में एक समान कर व्यवस्था लागू हो गई है, अर्थात पूरे देश में किसी भी वस्तु की कीमत एक समान होगी।

पहले किसी कम्पनी की कार को दिल्ली में खरीदते थे और उसी कम्पनी की कार को रायपुर में खरीदते थे तो दोनों कारों की कीमत में अन्तर होता था,

क्योंकि प्रत्येक राज्य में कर की दर अलग-अलग होती थी।

अब कोई भी राज्य किसी भी वस्तु पर मनमाने ढंग से कर नहीं लगा सकता।

‘एक देश एक कर के नियम का पालन सभी राज्यों को करना होगा।’

जी.एस.टी. एक मूल्य संवर्धित कर है जो किसी वस्तु के उत्पादन के प्रत्येक चरण में केवल उसी हिस्से पर लगायी जाती है जितनी उस वस्तु के कीमत में वृद्धि होती है।

हम जानते है कि किसी भी वस्तु को उपभोक्ता तक पहुँचने के लिए विभिन्न चरणों से गुजरना पड़ता है

और प्रत्येक चरण में उस वस्तु के मूल्य में वृद्धि होती है।

मूल्य में की गई यह वृद्धि मूल्य संवर्धन कहलाता है।

माना जा रहा है कि हमारे देश में जी.एस.टी. के लागू होने से वस्तु की कीमतों में कमी आएगी और उपभोक्ताओं को वस्तुएँ सस्ती दर पर सुलम होंगी।

इससे लोगों को कर पटाने में सुविधा होगी और सरकार की कर संबंधी समस्याएँ भी दूर होंगी।

सरकार द्वारा अनिवार्य आवश्यकता की कुछ वस्तुओं को कर से मुक्त रखा गया है।

वहीं अन्य वस्तुओं पर 5,12,18 एवं 28 प्रतिशत के दर से कर लिया जा रहा है।

कर का प्रभाव :-

किसी भी कर को लगाते समय दो बातों का ध्यान रखा जाता है :-

1. उस कर से कितनी आमदनी होगी ?

2. उस कर का असर किस पर होगा-अमीर पर या गरीब पर ?

सरकार वस्तुओं पर कर लगाकर आय प्राप्त करती है।

वस्तुओं और सेवाओं पर कर लगाने से उस वस्तु की कीमतें बढ़ जाती हैं।

चाहे वह अमीर हो या गरीब उसे किसी भी वस्तु को खरीदने पर निर्धारित कर देना पड़ता है।

इसका असर कम करने के लिए सरकार की कोशिश होती है

कि वह जरूरत की चीजों-नमक, साबुन, तेल, खाद्यान्न सामान आदि पर कम दर से कर लगाए और विलासिता की वस्तुओं-टी.व्ही., फ्रीज, एयर कंडीशनर, कार आदि पर ज्यादा।

लेकिन जरूरत की चीजों से अधिक कर इकट्ठा हो जाता है क्योंकि ये अधिक मात्रा में बिकती हैं।

जबकि विलासिता की वस्तुओं या वैसी चीजें, जो केवल अमीर लोग ही खरीद सकते हैं, इससे कम कर इकट्ठा होता है।

हमारे द्वारा सरकार को कर देना आवश्यक है।

कर एकत्रित करने के लिए सरकार समय निर्धारित करती है।

अतः हमारा यह कर्त्तव्य है कि हम सरकार द्वारा तय किए गए कर को निश्चित समय में जमा करें साथ ही सरकार का भी कर्त्तव्य है

कि कर द्वारा प्राप्त आय को सही रूप में सार्वजनिक सुविधाओं के लिए खर्च करे।

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Author: educationallof

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