क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोसों में अन्तर 

क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोसों में अन्तर

 जानिए , क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोसों में अन्तर 

क्रिस्टलीय ठोस :-

1. क्रिस्टलीय ठोस के अणु या परमाणु तीनों विमाओं में एक निश्चित क्रम में सममित रूप से व्यवस्थित होते हैं।

2. इनमें दीर्घ परास कोटि पायी जाती है।

3. इनका गलनांक निश्चित होता है।

4. इनमें विषमदैशिक गुण होता है।

5. ये वास्तविक ठोस होते हैं।

अक्रिस्टलीय ठोस :-

1. अक्रिस्टलीय ठोस के अणु या परमाणु निश्चित क्रम में सममित रूप से व्यवस्थित नहीं होते हैं।

2. इनमें लघु परास कोटि पायी जाती है।

3. इनका गलनांक निश्चित नहीं होता है।

4. इनमें समदैशिक गुण होता है।

5. ये अतिशीतित द्रव होते हैं।

विद्युत् अपघट्यों और धातुओं की चालकता में अन्तर

विद्युत्-अपघट्य की चालकता :-

1. इसकी चालकता धनायनों और ऋणायनों के चलने के कारण होती है।

2. ताप बढ़ने पर इसकी चालकता बढ़ जाती है।

3. विद्युत् अपघट्य में विद्युतधारा प्रवाहित करने पर उसमें रासायनिक परिवर्तन हो जाता है।

धातु की चालकता :-

1. इसकी चालकता मुक्त इलेक्ट्रॉनों के चलने के कारण होती है।

2. ताप बढ़ने पर इसकी चालकता कम हो जाती है।

3. चालक में विद्युतधारा प्रवाहित करने पर उसमें कोई रासायनिक परिवर्तन नहीं होता।

प्रबल विद्युत् अपघट्य और दुर्बल विद्युत् अपघट्य क्या है ?

प्रबल विद्युत् अपघट्य :-

यदि विलयन में यौगिक के सभी अणु आयनिक होते हैं तो उस विद्युत् अपघट्य को प्रबल विद्युत् अपघट्य कहते हैं।

जैसे :- NaCl , HCl , NaOH आदि।

दुर्बल विद्युत् अपघट्य :-

यदि विलयन में यौगिक के कुछ ही अणु आयनिक होते हैं सभी नहीं होते तो विद्युत् अपघट्य को दुर्बल विद्युत् अपघट्य कहते हैं।

जैसे :- CH₃COOH , NH₄OH आदि।

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