जेनर डायोड क्या है
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जेनर डायोड क्या है (Zener Diode) –
यह विशेष रूप से बनाया गया P-N संधि डायोड होता है जो अत्क्रम अभिनति में भंजन विभव पर कार्य हेतु प्रयुक्त किया जाता है।
भंजन विभव का मान डोपिंग घनत्व पर निर्भर करता है।
अधिक डोपिंग घनत्व के लिए भंजन विभव का मान कम होता है।
उत्क्रम अभिनत में जेनर डायोड पर भंजन विभव आरोपित करने पर वह धारा को सुगमतापूर्वक प्रवाहित होने देता है किन्तु धारा प्रवाह के बावजूद P-N संधि नष्ट नहीं होती।
जैसे ही आरोपित विभव भंजन विभव से कम होता है जेनर डायोड सामान्य डायोड की तरह कार्य करने लगता है।
जेनर डायोड 2 बोल्ट से 200 वोल्ट तक के भंजन हेतु निर्मित किया जा सकता है।
जेनर डायोड को चित्र के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है।
वोल्टेज नियंत्रक के रूप में उपयोग-
जेनर डायोड का उपयोग मुख्यतः वोल्टेज नियंत्रक के रूप में किया जाता है।
वोल्टेज नियंत्रक के रूप में जेनर डायोड एक अनियंत्रित शक्ति स्रोत को नियंत्रित शक्ति स्रोत के रूप में परिवर्तित कर देता है।
वोल्टेज नियंत्रक के रूप में जेनर डायोड के उपयोग हेतु परिपथ चित्र में प्रदर्शित किया गया है।
इसके लिए जेनर डायोड को परिवर्ती दिष्टधारा वोल्टेज V के साथ प्रतिरोध R के द्वारा उत्क्रम अभिनति में जोड़ दिया जाता है।
इस प्रकार यह वोल्टेज प्रतिरोध R और जेनर डायोड के बोच बँट जाता है।
जेनर डायोड के साथ समान्तर क्रम में लोड RL जुड़ा होता है जिसके सिरों के बीच की निर्गत स्थिर वोल्टेज Vo प्राप्त होता है।
मानलो वोल्टेज स्रोत से बहने वाली धारा I है जिसमें से Iz भाग जेनर डायोड में से तथा शेष IR भाग लोड प्रतिरोध RL में से प्रवाहित होता है।
तब किरचॉफ के प्रथम नियम से,
I = Iz + IR ……(1)
अब यदि जेनर डायोड के सिरों के बीच वोल्टेज अर्थात् जेनर भंजन विभव V2 तथा लोड प्रतिरोध के सिरों के बीच वोल्टेज (निर्गत वोल्टेज) Vo हो तो
Vz = Vo……(2)
जहाँ,
Vz = Iz + Rz ……..(3)
तथा
Vo = IR RL ……..(4)
यहाँ Rz जेनर डायोड का प्रतिरोध है।
सप्लाई वोल्टेज V, प्रतिरोध R तथा जेनर डायोड के बन्द पाश में किरचॉफ के द्वितीय नियम का उपयोग करने पर
V=RI + Iz Rz
या V=RI + Vz. [समीकरण (3) से]
या Vz = V – RI …(5)
स्थितियों –
अब तीन स्थितियाँ हो सकती हैं –
(i) यदि V<Vz तो जेनर डायोड में कोई धारा नहीं बहेगी।
अत: समीकरण (5) से Vz = V
V= Vo. [समीकरण (2) से]
(ii) यदि V = Vz तो समीकरण (2) से Vz = Vo = V
(iii) यदि V>Vz तो इस स्थिति में धारा के मान में (या I के मान में) तेजी से वृद्धि होती है जिससे R के सिरों के बीच विभवान्तर में वृद्धि हो जाती है।
फलस्वरूप Vz या Vo का मान नियत बना रहता है।
इस प्रकार निवेशी वोल्टेज का मान जेनर भंजन विभव के मान से अधिक होने पर भी निर्गत वोल्टेज नियत बना रहता है।