मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग :-
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(मुक्त इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग) धातुओं में मुक्त इलेक्ट्रॉनों की संख्या अधिक होती है। ये मुक्त इलेक्ट्रॉन किसी बर्तन में बंद गैस के अणुओं की भाँति धातु के अन्दर स्थित धनायनों
( इलेक्ट्रॉन निकल जाने पर परमाणु में परिवर्तित हो जाते हैं। ) के बीच के रिक्त स्थानों में तीव्र वेग से अनियमित रूप से गति करते हैं ,
तापीय गति :-
यह गति धातुओं की तापीय चाल ऊर्जा के कारण होती है। अतः इसे तापीय गति भी कहते हैं।
मुक्त इलेक्ट्रॉनों की अधिकतम तापीय चाल 10⁶ मीटर/सेकण्ड की कोटि की होती है।
गति के दौरान ये इलेक्ट्रॉन धनायनों से टकराते रहते हैं ,
जिससे प्रत्येक टक्कर के पश्चात् उनकी गति की दिशा बदलती जाती है।
अतः ऐसा कहा जा सकता है कि किसी विशेष दिशा में उनकी नेट गति शून्य होती है ,
जिससे धातुओं में कोई धारा प्रवाहित नहीं होती।
जब किसी चालक के दोनों सिरों के बीच बैटरी जोड़कर विभवांतर लगाया जाता है ,
तो चालक के प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र उत्पन्न हो जाता है ,
जिससे इलेक्ट्रॉन क्षेत्र की विपरीत दिशा में त्वरित हो जाते हैं।
किन्तु इस दौरान उनकी चाल लगातार बढ़ती नहीं जाती। इसका कारण यह है कि
इलेक्ट्रॉन धातु के धनायनों से टकराते रहते हैं , जिससे बैटरी द्वारा प्राप्त उनकी ऊर्जा कम हो जाती है।
अतः अन्त में सभी मुक्त इलेक्ट्रॉन एक नियत औसत वेग से क्षेत्र की विपरीत दिशा में गति करने लगते हैं।
इस नियत औसत वेग को ही अनुगमन वेग कहते हैं।
किसी चालक में इलेक्ट्रॉन विद्युत् क्षेत्र के प्रभाव में एक नियत औसत वेग से प्रवाहित होते हैं।
इस नियत औसत वेग को अनुगमन वेग कहते हैं। इसे Vd से प्रदर्शित करते हैं।
अनुगमन वेग का मान बहुत ही कम होता है। इसका मान लगभग 10⁻⁴ मीटर/सेकण्ड होता है।
यह मान अनियमित तापीय वेग 10⁶ मीटर/सेकण्ड की तुलना में बहुत कम होता है।
विद्युत् धारा का प्रवाह अनुगमन वेग के कारण होता है।
विद्युत धारा और अनुगमन वेग में सम्बन्ध :-
मानलो किसी चालक तार के अनुप्रस्थ परिच्छेद का क्षेत्रफल A है।
उसके प्रति एकांक आयतन में इलेक्ट्रॉनों की संख्या n है। यदि इलेक्ट्रॉनों का अनुगमन वेग Vd हो तो
1 सेकण्ड में तार के किसी अनुप्रस्थ परिच्छेद से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = nA.vd
t सेकंड में तार के अनुप्रस्थ परिच्छेद से गुजरने वाले इलेक्ट्रॉनों की संख्या = nAvd.t
यदि प्रत्येक इलेक्ट्रॉन पर e आवेश हो , तो t सेकण्ड में तार के किसी अनुप्रस्थ परिच्छेद से गुजरने वाला आवेश
Q = nAvd.te
परन्तु I = Q/t
I = neAvd ……(1)
यही विद्युत् धारा और अनुगमन वेग में सम्बन्ध है।
अब धारा घनत्व J =I /A
अतः समीकरण (1) से ,
J = nevd
यही चालक के धारा घनत्व एवं अनुगमन वेग में सम्बन्ध है।
एकल स्लिट द्वारा प्रकाश का विवर्तन :-
चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता :-
कूलॉम का व्युत्क्रम वर्ग-नियम:-