परावैद्युत माध्यम क्या है

परावैद्युत माध्यम क्या है (Dielectric Medium)

जानिए , परावैद्युत माध्यम क्या है

परावैद्युत वे पदार्थ हैं जो अपने में से विद्युत् को प्रवाहित नहीं होने देते किन्तु विद्युत् प्रभाव का प्रदर्शन करते हैं।

इनमें मुक्त इलेक्ट्रॉन का अभाव होता है।

विद्युत्रोधी पदार्थ होते हैं जो विद्युत् क्षेत्र में रखे जाने पर ध्रुवित (Polarised) हो जाते हैं।

हम जानते हैं कि प्रत्येक पदार्थ अणुओं से मिलकर बना होता है।

अणु विद्युत् रूपेण उदासीन होते हैं यद्यपि उनमें विपरीत प्रकार के आवेशित कण (इलेक्ट्रॉन और प्रोटॉन) मौजूद रहते हैं।

नाभिक के अन्दर धनावेशित प्रोटॉन होते हैं,

जबकि नाभिक के बाहर ऋणावेशित इलेक्ट्रॉन उसके चारों ओर वितरित रहते हैं।

आवेश का केन्द्र (Centre of Charge) –

यह एक ऐसा बिन्दु होता है जहाँ पर समस्त आवेश को केन्द्रित माना जा सकता है

(यह द्रव्यमान केन्द्र से सम्पाती होता है)।

स्पष्ट है कि प्रत्येक अणु में आवेश के दो केन्द्र होते हैं-(i) धनावेश का केन्द्र और (ii) ऋणावेश का केंद्र ।

परावैद्युत के प्रकार –

परावैद्युत दो प्रकार के होते हैं –

(i) ध्रुवीय परावैद्युत (Polar Dielectrics) –

ध्रुवीय परावैद्युत वे पदार्थ होते हैं जिनके अणुओं के धनावेशों का केन्द्र और ऋणावेशों का केन्द्र सम्पाती नहीं होते।

ध्रुवीय परावैद्युत् का प्रत्येक अणु वैद्युत द्विध्रुव की भाँति कार्य करता है।

अतः जब किसी परावैद्युत को किसी विद्युत् क्षेत्र में रखा जाता है तो उसके अणु बल आघूर्ण का अनुभव करते हैं और क्षेत्र की दिशा में संरेखित होने का प्रयास करते हैं ।

H2O, HCI आदि ध्रुवीय परावैद्युत हैं।

ध्रुवीय परावैद्युत माध्यम क्या है

(ii) अध्रुवीय परावैद्युत (Non-polar Dielectrics) –

अध्रुवीय परावैद्युत वे पदार्थ होते हैं जिनके अणुओं के धनावेशों का केन्द्र और ऋणावेशों के केन्द्र से सम्पाती होता है।

इस प्रकार अध्रुवीय परावैद्युत के अणुओं में वैद्युत द्विध्रुव आघूर्ण नहीं होता है।

जब अध्रुवीय परावैद्युत को किसी विद्युत् क्षेत्र में रखा जाता है जो धनावेश और ऋणावेश थोड़ा-सा विस्थापित हो जाते हैं।

फलस्वरूप उनके केन्द्र सम्पाती नहीं रह पाते।

इस प्रकार अध्रुवीय परावैद्युत को किसी विद्युत् क्षेत्र में रखे जाने पर उसके अणुओं में द्विध्रुव आघूर्ण उत्पन्न हो जाता है।

अध्रुवीय परावैद्युत माध्यम क्या है

विद्युत् क्षेत्र लगाये जाने पर अध्रुवीय परावैद्युत के अणुओं के धनावेशों के केन्द्र और ऋणावेशों के केन्द्र विस्थापित हो जाने की क्रिया को परावैद्युत का ध्रुवण (Polarisation) कहते हैं।

परावैद्युत सामर्थ्य (Dielectric Strength)-

मानलो एक समान्तर प्लेट संधारित्र की प्लेटों के मध्य परावैद्युत माध्यम का एक आयताकार टुकड़ा स्थित है।

जब प्लेटों के मध्य विभवान्तर बढ़ाया जाता है तो विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता बढ़ने लगती है।

फलस्वरूप अधिक-से-अधिक अणु क्षेत्र की दिशा में संरेखित होने लगते हैं।

यदि विभवान्तर को क्रमशः बढ़ाते जायें तो एक स्थिति ऐसी आती है जबकि सभी अणु क्षेत्र के अनुदिश संरेखित हो जाते हैं।

इसके आगे विभवान्तर को और बढ़ाने पर इलेक्ट्रॉन अणुओं से पृथक् होने लगते हैं तथा परावैद्युत माध्यम चालक बन जाता है।

विद्युत् क्षेत्र या विभव प्रवणता के उस अधिकतम मान को, जिसे आरोपित करने पर परावैद्युत माध्यम से इलेक्ट्रॉन पृथक् नहीं होते, परावैद्युत माध्यम की परावैद्युत सामर्थ्य कहते हैं ।

 किसी चालक के पृष्ठ पर आवेश का वितरण (Distribution of Charge over the Surface of the Conductor) –

हम जानते हैं कि जब किसी चालक को आवेश दिया जाता है तो सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर हो रहता है।

किसी चालक के एकांक क्षेत्रफल पर आवेश की मात्रा को आवेश का पृष्ठ घनत्व (Surface Density of charge) कहते हैं।

इसे σ से प्रदर्शित करते हैं।

आवेश के पृष्ठ घनत्व का मान दो बातों पर निर्भर करता है –

(i) चालक के आकार पर और (ii) चालक के समीप अन्य चालक या विद्युतरोधी की उपस्थिति पर।

(i) चालक के आकार पर-

यदि चालक गोलाकार है तो उसके पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर आवेश का पृष्ठ घनत्व एकसमान होता है।

यदि गोलीय चालक की त्रिज्या r हो तथा उसको Q आवेश दिया जाय तो आवेश का पृष्ठ घनत्व σ = Q /4πr2

अन्य आकार के चालक के नुकीले सिरे पर आवेश का पृष्ठ घनत्व सर्वाधिक होता है।

चित्र में बिन्दुदार रेखाएँ आवेश के पृष्ठ घनत्व को प्रदर्शित करती हैं।

चालकों में आवेश का वितरण

(ii) चालक के समीप अन्य चालक या विद्युतरोधी की उपस्थिति पर –

यदि आवेशित चालक के समीप पर विद्युतरोधी पदार्थ लाया जाय तो चालक के उस भाग पर जो विद्युतरोधी के समीप है , आवेश का पृष्ठ घनत्व बढ़ जाता हैं ।

चालक पदार्थ लाने पर पृष्ठ घनत्व का मान विद्युतरोधी की तुलना में अधिक बढ़ जाता है।

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता :-

 एकल स्लिट द्वारा प्रकाश का विवर्तन :-

चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता :-

 दण्ड चुम्बक पर बल आघूर्ण :-

कूलॉम का व्युत्क्रम वर्ग-नियम:-

विद्युत शक्ति की परिभाषा , मात्रक एवं विमीय सूत्र:-

पोलेराइड किसे कहते हैं :-

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Author: educationallof

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