ठोस किसे कहते हैं

ठोस किसे कहते हैं

ठोस किसे कहते हैं

प्रत्येक ठोस में उसके अणु या परमाणु के स्थान नियत (Fixed Location) होते हैं तथा उनके बीच की औसत दूरी नियत होती है।

अणुओं या परमाणुओं के बीच की औसत दूरी नियत होने के कारण ही प्रत्येक ठोस की निश्चित आकृति तथा आकार होता है।

अणुओं और परमाणुओं की आन्तरिक व्यवस्था के आधार पर ठोसों को दो वर्गों में वर्गीकृत किया गया है-

(1) क्रिस्टलीय ठोस और

(2) अक्रिस्टलीय ठोस

 1. क्रिस्टलीय ठोस (Crystalline Solids) –

क्रिस्टलीय ठोस वे होते हैं जिनके अणु या परमाणु विशिष्ट ज्यामितीय आकृति में सममित रूप से व्यवस्थित होते हैं।

उनमें त्रिविमीय (Three-Dimensional) सममितता पायी जाती है

अर्थात् क्रिस्टलीय ठोस के अणु या परमाणु नियमित, पुनरावृत्त त्रिविमीय पैटर्न में व्यवस्थित होते हैं।

दूसरे शब्दों में, सभी क्रिस्टलीय ठोस छोटे-छोटे एकसमान वास्तु खण्डों (Building Blocks) के एक दूसरे पर संयोग से बने होते हैं। इस प्रकार दीर्घ परास कोटि (Long Range Order) की उपस्थिति क्रिस्टलीय ठोस का सुस्पष्ट गुण होता है।

सोडियम क्लोराइड, हीरा, शक्कर, गंधक, चाँदी आदि क्रिस्टलीय ठोस हैं।

क्रिस्टलीय ठोसों में निम्न विशेषताएँ होती हैं –

(i) इनके अणु या परमाणु निश्चित ज्यामितीय आकृति में व्यवस्थित होते हैं ।

(ii) इनमें दीर्घ परास कोटि पायी जाती है अर्थात् क्रिस्टल एक दिये गये पैटर्न के तीनों विमाओं में आवर्ती रूप से (Periodically) पुनरावृत्ति के फलस्वरूप बनता है।

(iii) इनका एक निश्चित गलनांक होता है।

(iv) ये विषमदैशिक (Anisotropic) होते हैं अर्थात् भिन्न-भिन्न दिशाओं में इनके भौतिक गुण, जैसे विद्युत् चालकता, अपवर्तनांक, ऊष्मीय चालकता, यान्त्रिक सामर्थ्य (Mechanical strength) आदि भिन्न भिन्न होते हैं।

(v) ये वास्तविक ठोस होते हैं।

2. अक्रिस्टलीय ठोस (Amorphous Solids)-

अक्रिस्टलीय ठोस के अणु या परमाणु सममित व्यवस्थित नहीं होते हैं।

अक्रिस्टलीय ठोसों में दीर्घ परास कोटि नहीं पायी जाती है।

अक्रिस्टलीय टोस्ट में अणुओं या परमाणुओं को व्यवस्था किसी द्रव में व्यवस्था के समान होती है,

किन्तु दोनों व्यवस्थाओं में अंतर होता है।

अक्रिस्टलीय ठोसों में अणुओं या परमाणुओं की स्थिति एक-दूसरे के सापेक्ष स्थिर होती है,

जब एवों में उनके अणुओं या परमाणुओं की स्थिति एक-दूसरे के सापेक्ष गतिशील होती है।

अक्रिस्टलीय ठोस का काचाभ ठोस (Glassy Solids) भी कहते हैं।

काँच, रबर, प्लास्टिक आदि अक्रिस्टलीय ठोस हैं। रूप मे

अक्रिस्टलीय ठोसों में निम्न विशेषताएँ पायी जाती हैं –

(i) इनके अणु या परमाणु सममित रूप से व्यवस्थित नहीं होते हैं।

( ii) इनमें दीर्घ परास कोटि नहीं पायी जाती है अपितु लघु परास कोटि (Short Range Order) पायी जाती है।

(iii) इनका कोई निश्चित गलनांक नहीं होता।

(iv) इनमें समदैशिक (Isotropic) गुण पाया जाता है अर्थात् सभी दिशाओं में इनके भौतिक गुण वही

(v) ये वास्तविक ठोस नहीं होते अपितु ये अतिशीतित (Super Cooled) द्रव होते हैं।

क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोसों में अन्तर

क्रमांक क्रिस्टलीय ठोस अक्रिस्टलीय ठोस
1. क्रिस्टलीय ठोस के अणु या परमाणु तीनों विमाओं में एक निश्चित क्रम में सममित रूप से व्यवस्थित होते हैं। अक्रिस्टलीय ठोस के अणु या परमाणु निश्चित क्रम में सममित रूप से व्यवस्थित नहीं होते हैं।
2. इनमें दीर्घ परास कोटि पायी जाती है। इनमें लघु प्रयास कोटि पायी जाती है।
3. इसका गलनांक निश्चित होता है। इसका गलनांक निश्चित नहीं होता है।
4. इनमें विषमदैशिक गुण होता है। इसमें समदैशिक गुण होता है।
5. ये वास्तविक ठोस होते हैं। ये अतिशीतित द्रव होते हैं।

चित्र  (a) में क्रिस्टलीय ठोस तथा  (b) में अक्रिस्टलीय ठोस प्रदर्शित किये गये हैं।

प्रत्येक ठोस, दो परमाणुओं A और B से मिलकर बना है।

 

परमाणु A को काले डॉटों (Black Dots) से तथा परमाणु B को वृत्तों से प्रदर्शित किया गया है।

प्रत्येक परमाणु तीन B परमाणुओं से तथा प्रत्येक B परमाणु दो A परमाणु से घिरा हुआ है।

क्रिस्टलीय ठोस , ठोस किसे कहते हैं

अक्रिस्टलीय ठोस , ठोस किसे कहते हैं

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता :-

 एकल स्लिट द्वारा प्रकाश का विवर्तन :-

चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता :-

 दण्ड चुम्बक पर बल आघूर्ण :-

कूलॉम का व्युत्क्रम वर्ग-नियम:-

विद्युत शक्ति की परिभाषा , मात्रक एवं विमीय सूत्र:-

पोलेराइड किसे कहते हैं :-

तरंग प्रकाशिकी किसे कहते हैं ? बताइए

educationallof
Author: educationallof

FacebookTwitterWhatsAppTelegramPinterestEmailLinkedInShare
FacebookTwitterWhatsAppTelegramPinterestEmailLinkedInShare
error: Content is protected !!
Exit mobile version