
Mulethi ke fayde
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Mulethi ke fayde
मुलहठी या मुलेठी
मुलहठी की पैदावार अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में होती है, इसका पौधा तीन फुट के करीब लम्बा होता है, पत्ते काफी घने और हरे होते हैं।
इसकी फलियां 1 इंच तक लम्बी होती हैं, इसकी जड़ें छाल, बीज पत्ते सबके सब ही काम आते हैं।
खांसी रोगों की शत्रु-
मुलहठी के बारे में यह बात प्रसिद्ध है कि हर प्रकार के खांसी रोगों की मुलहठी शत्रु हैं।
यही नहीं खांसी की जितनी भी चूसने वाली गोलियां बाजारों में बिकती हैं, उन सब में मुलहठी का ही सत डाला जाता है।
मूत्र दाह तथा शूल को भगाए-
मूत्रदाह के लिए मुलहठी की जड़ का रस निकालकर रोगी को सुबह के समय निहार मुंह पिलानें से यह रोग दूर हो जाता है।
शूल रोगियों को मुलहठी का चूर्ण, काला नमक और अजवायन के साथ मिला कर देने से लाभ होता है।
हृदय रोग तथा ब्लड प्रैशर को दूर करता है।
- इन रोगों में मुलहठी के चूर्ण को शहद में मिलाकर देने से हृदय रोगी चालीस दिन में ठीक हो जाते हैं। चूर्ण की मात्रा 1/10 ग्राम होनी चाहिए। बच्चों के लिए इसे आधा कर लें।
- यदि शरीर में सूजन आ जाए तो मुलहठी एवं काले तिल को दूध 1 में पीसकर शरीर के रोग वाले भागों पर लेप करें, शीघ्र ही रोग दूर हो जायेगा। खुराक 1/10 ग्राम से 1/2 ग्राम तक काफी रहती है, बच्चों को आधी खुराक दें।
सत्यानाशी
यह बूटी अर्थात् इसके बीज अमेरिका से भारत में आये हैं।
बूटी के अन्दर से एक प्रकार का पीला सा दूध निकलता है।
आंखों के लिए-
जब किसी की आंख दर्द करने लगे और लाल हो जाए तो सत्यानाशी के दूध को सुरमे की सलाई से आंख में डालने से लाभ होता है।
मलेरिया और कोढ़ के रोग को ठीक करे-
इसके पत्तों से रस निकालकर मलेरिया रोगियों को दिया जाए तो बुखार भागता है।
कोढ़ के रोगियों को पिलाने से उनका रोग ठीक हो जाता है।
बच्चों के पेट के कीड़ों को मारे-
जिन बच्चों के पेट में कीड़े पैदा हो जाते हैं, उनके लिए सत्यानाशी का तेल चीनी या बताशे में मिलाकर दिया जाए तो कीड़े मर जाते हैं।