
Hing khane ke fayde
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Hing khane ke fayde
हींग
हींग पैदा भारत में नहीं होती बल्कि इसे ईरान, काबुल, अफगानिस्तान जैसे देशों से मंगवाया जाता है।.
- हिस्टीरिया के रोगियों के लिए हींग को पीसकर दाल सब्जी में डालकर निरन्तर दिया जाए तो रोगों से मुक्ति मिलती है।
- यदि दांत में सुराख हो तो उसमें हींग का टुकड़ा भर दें, नहीं तो हींग को मुंह में रखकर उसे ढ़ीला छोड़कर पानी को निकलने दें, थोड़ी देर में दर्द से आराम मिलेगा।
गर्दन में दर्द के लिए –
जरा सी हींग की गोली पानी के साथ लेने से गर्दन का दर्द ठीक हो जाता है।
अफीम का नशा उतारने के लिए जरा सी हींग खिला दें।
पीपल
पीपल का वृक्ष हिन्दू धर्म में ब्रह्मा का रूप समझ कर पूजा जाता है।
इसलिए अब इस का अधिक परिचय देने की आवश्यकता नहीं, इस पर बेर जैसे फल आते हैं।
पीपल मूत्र संग्रहणीय, स्तर संग्रहक पौष्टिक एवं ब्रण नाशक है।
बीजीकरण के लिए इसके फल, जड़, लवक एवं कोपल की दूध में डालकर उसे हल्की आंच पर पकाना चाहिए,
पकाने पर इसको छान लें। फिर इसमें मधु अथवा चीनी जरूरत के अनुसार डालकर रोगी को 100 ग्राम पिला दें।
इसके पश्चात् 200 ग्राम गाय का दूध पीने से और भी लाभ होता है।
हमारे देश में जो जादू टोना परम्परा चली आ रही है
उसके मानने वालों का यह मत है कि यदि किसी को जहरीला सांप काट ले तो उसके कान में पीपल की टहनी को कान पर फेरते हुए भगवान शिव का पाठ करते हुए निम्न मन्त्र को पढ़ें।
ॐ नमोः शिवाय। ॐ नमोः शिवाय। ॐ नमोः शिवाय। ॐ नमोः शिवाय। ॐ नमोः शिवाय।
जब उस टहनी का रंग काला या नीला पड़ जाए तो दूसरी टहनी से शुरू करें, सात बार इसे करने से रोगी ठीक हो जायेगा।
ऐसे प्रयोग से कुछ लोगों ने किये हैं जिनमें सफलता मिली है।
पीपल की छाल, फलं, पत्ते, लकड़ी सबके सब ही काम आते हैं।
कुछ लोग पीपल की उपासना करके भी रोग निवारण करते हैं।
कत्था
भारत में कत्या अनेक रोगों का उपचार करता है, वहां यह पान खाने वालों के लिए भी आनन्दमयी है।
- पके हुए पत्ते का फल, भारी प्यास, हिचकी और वात पित्त जैसे रोगों को भगाता है।
- दाँत रोगों के लिए कत्थे का शर्बत पीना काफी लाभदायक है, और साथ ही शर्बत से तिसार और आमतिसार जैसे रोगों को भगाता है।