स्थिर वैद्युत आवरण

स्थिर वैद्युत आवरण (Electrostatic Shielding )

स्थिर वैद्युत आवरण –

हम जानते हैं कि आवेश के एकसमान गोलीय कवच के अन्दर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता शून्य होती है ,

अतः आवेश का मान भी शून्य होता है।

यदि चालक गोलीय कवच को कोई आवेश दिया जाये तो यह आवेश उसके बाह्य पृष्ठ पर समान रूप से वितरित हो जाता है।

अतः उसके अन्दर गुहिका में कोई आवेश नहीं होता जिससे विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता शून्य होती है।

यह तथ्य केवल गोलीय कवच के लिए ही सत्य नहीं है , अपितु गुहिका युक्त प्रत्येक चालक के लिए सत्य होता है , चाहे गुहिका का आकार कुछ भी हो।

इस तथ्य को गॉस के प्रमेय से आसानी से समझाया जा सकता है।

स्थिर वैद्युत आवरण

मानलो A गुहिका युक्त एक चालक है। इसे +q आवेश दिया गया है।

यह आवेश चालक के बाह्य पृष्ठ पर समान रूप से वितरित हो जायेगा।

गुहिका के पृष्ठ के बिल्कुल निकल गॉसीय पृष्ठ की कल्पना करें।

गॉसीय पृष्ठ के अन्दर कोई आवेश नहीं है।

अतः इससे गुजरने वाला सम्पूर्ण विद्युत् फ्लक्स शून्य होगा।

फलस्वरूप गुहिका के अन्दर विद्युत् क्षेत्र अनुपस्थित होगा।

किसी चालक में गुहिका के अन्दर विद्युत् क्षेत्र का समाप्त हो जाना या अनुपस्थित रहना स्थिर वैद्युत आवरण कहलाता है।

इस प्रकार यदि गुहिका युक्त किसी चालक को किसी बाह्य विद्युत् क्षेत्र में रख दिया जाये तो गुहिका के अन्दर कोई विद्युत् क्षेत्र नहीं होगा।

व्यावहारिक उपयोग :-

यदि आप कार में यात्रा कर रहे हो और बिजली गिरने वाली हो ,

तो खुले मैदान में या पेड़ के नीचे आश्रम लेने के बजाय खिड़की बन्द करके कार के अन्दर रहना अधिक उपयुक्त होगा ,

क्योंकि सम्पूर्ण आवेश कार की बाह्य सतह पर ही होगा।

कार के अन्दर प्रत्येक बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता शून्य होगी , चाहे कार की बॉडी में कितना भी आवेश हो।

इस प्रकार आप कार के अन्दर सुरक्षित रहेंगे।

नोट :-

यदि खोखले चालक के गुहिका में एक आवेश +q रख दिया जाये ,

तो खोखले चालक के आन्तरिक पृष्ठ पर – q आवेश.तथा बाह्य पृष्ठ पर + q आवेश प्रेरित हो जाता है।

खोखले चालक के अन्दर विभव (Potential Inside a Hollow Conductor ) :-

जब किसी खोखले चालक को आवेशित किया जाता है तो सम्पूर्ण आवेश उसके बाह्य तल पर समान रूप से वितरित हो जाता है

जिससे उसके अंदर कोई आवेश नही रहता अर्थात खोखले चालक के अंदर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता शून्य होती है।

अतः एकांक धनावेश को उसके अन्दर एक से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता।

इसलिए खोखले चालक के अन्दर प्रत्येक बिन्दु पर विभव समान होता है।

चालक के नुकीले भागों की क्रिया :-

जैसा कि ऊपर बताया गया है कि किसी चालक के नुकीले भाग पर आवेश का पृष्ठ घनत्व सर्वाधिक होता है ,

अतः जब वायु के कण किसी आवेशित चालक के नुकीले भाग के सम्पर्क में आते हैं तो वे भी आवेशित हो जाते हैं और प्रतिकर्षित होकर दूर चले जाते हैं।

फलस्वरूप वायु के नये कण उनका स्थान ग्रहण कर लेते हैं और यही प्रक्रिया चलती रहती है।

वायु के कणों द्वारा आवेश के बाहर जाने की क्रिया को संवहन विसर्जन (Convention Discharge) कहते हैं। वायु की इस संवहन धारा को वैद्युत पवन (Electric wind ) कहते हैं।

चालक के नुकीले भागों की क्रिया

चित्र में वैद्युत पवन को प्रदर्शित किया गया है। इसमें C एक मोमबत्ती तथा F उसकी ज्वाला है।

जब इसे आवेशित चालक A के नुकीले सिरे P के पास रखते हैं जो ज्वाला F पवन की दिशा में दूर मुड़ जाती है।

इस प्रकार स्पष्ट है कि नुकीले भागों पर आवेश का निरावेशक प्रभाव सर्वाधिक होता है।

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Author: educationallof

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