अजवाइन खाने के फायदे
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अजवाइन खाने के फायदे –
हमारे देश के करीब-करीब हर प्रांत में अजवायन की पैदावार खूब होती है।
वास्तव में यह गरीब और आम लोगों के लिए प्राकृतिक जड़ी-बूटी है, इसका फल जो बीज बनकर हमारे सामने आता है, वह बारीक दानेदार होता है, जो कि अधिक उपयोगी और गुणकारी है।
अजीर्ण, अतिसार, पेट का दर्द, कब्ज, खांसी जैसे रोगों में अजवायन का प्रयोग काफी लाभदायक माना गया है।
जिन लोगों को खांसी के कारण बहुत कष्ट रहता है उन्हें अजवायन के बीजों का चूर्ण, मुलाट्टी के चूर्ण के साथ शहद में मिलाकर सुबह शाम सेवन करवाया जाए तो खांसी रोग से मुक्ति मिल जाती है।
जीरा
जोरा दो प्रकार का होता है-सफेद जीरा और काला जीरा।
हमारे देश में अधिकतर सफेद जीरा ही अधिक चलता है, जबकि काला जीरा अफगानिस्तानी, क्षेत्रों में अधिक होता है।
यह कोई जंगली चूटी नहीं बल्कि इसकी खेती की जाती है।
इसका पौधा दो तीन फुट तक ऊंचा होता है।
शाखाएं बहुत पतली होती हैं। छोटे-छोटे पत्तों के साथ सफेद रंग के फूल खिलते हैं।
जीरे के अन्दर हल्के पीले रंग का तिल पाया जाता है।
जीरा को गर्म मसालों के बीच में डालकर भी हमारे खाने-पीने का एक स्वादिष्ट अंग माना जाता है, जो दाल आदि सब्जियों में डालते हैं।
- बुखार रोगों में गुड़ के साथ इसका चूर्ण बनाकर देने से बुखार उतर जाता है।
- अतिसार रोगों में जीरे को भून कर उसका चूर्ण एक चम्मच, दही के साथ, रोगी को खिला दें तो लाभ होगा।
- सुजाक के रोगियों तथा जिन्हें पेशाब करते समय जलन होती है।
- उनको जीरा 4 चम्मच खुन, खराबा 2 चम्मच, इन सबको मिलाकर कूट-पीसकर बारीक कपड़े में छाल लें फिर किसी शीशी में बन्द करके रखें, समय आने पर रोगी को 2 चम्मच हर रोज सुबह ठंडे पानी के साथ दें।
- जिन नारियों को बच्चा होने पर दूध कम उतरता है, उनके लिए भी एक चम्मच जीरा दूध के साथ देने से, दूध आने लगता है।
- हिचकी रोग में देशी घी के साथ एक चम्मच जीरा देने से हिचकी रुक जाती है।
काला जीरा
इसकी पैदावार हिमालय की पहाड़ियों में अधिक होती है। जरूरत पड़ने पर यह अफगानिस्तान से भी मंगवाया जाता है।
परन्तु पिछले कुछ सालों से कश्मीर में इसकी खेती की ओर काफी ध्यान दिया जाता है।
इसमें सफेद जीरे वाले सारे गुण हैं, परन्तु इसके साथ-साथ यह सफेद जीरे से कुछ अधिक शक्तिशाली और तेज होता है।
बवासीर रोगियों के लिए काले जीरे को गर्म पानी में उबालकर रोगी को कुछ समय तक उस पानी में बैठाया जाए तो इससे कुछ ही दिनों में मस्से झड़ कर गिरने लगते हैं।
पेट दर्द के लिए जीरे का अर्क निकाल कर गर्म पानी में मिलाकर देने से पेट दर्द दूर हो जाता है।
पेट रोगों में काला जीरा काफी उपयोगी माना जाता है।
यदि इसको काले नमक में मिलाकर पीसकर हर रोज खाने के पश्चात् सेवन किया जाए तो पेट रोग से मुक्ति मिल जाती है।
हैजे के रोगी को पीपर मिट का सत और अजवायन के बीजों का सत कपूर के सत में मिलाकर देने से हैजा रोग भागता है।
पेचिश के रोगी को दस बूंद पानी में मिलकर दे दें तो पेचिश ठीक हो जायेगी। गैस रोगी काले नमक में मिलाकर इसका प्रयोग करके लाभ उठा सकते हैं।