फ्यूज तार किसे कहते हैं?

फ्यूज तार किसे कहते हैं?

फ्यूज तार किसे कहते हैं?

किसी विद्युत् परिपथ में बहने वाली धारा को नियंत्रित करने के लिए फ्यूज तार का प्रयोग किया जाता है।

यह उच्च विशिष्ट प्रतिरोध और कम गलनांक वाले पदार्थ ( सामान्यतः टिन व सीसा के मिश्रधातु) का बना छोटा सा तार होता है ,

जिसमें से होकर अधिक से अधिक एक निश्चित प्रबलता ( 2 एम्पियर , 5 ऐम्पियर या 10 ऐम्पियर ) की धारा ही प्रवाहित हो सकती है।

जब किसी परिपथ में सीमा से अधिक धारा प्रवाहित होती है ,

तो अत्यधिक गर्म होकर फ्यूज तार पिघलकर टूट जाता है जिससे विद्युत् प्रवाह रुक जाता है।

इस प्रकार विद्युत् परिपथ में फ्यूज तार लगे होने के कारण विद्युत् उपकरण सुरक्षित रहते हैं।

फ्यूज तार की क्षमता आवश्यकतानुसार अधिकतम धारा सीमा 2 ऐम्पियर , 5 ऐम्पियर या 10 ऐम्पियर से थोड़ी सी कम होती है।

घरों में प्रयुक्त फ्यूज तार की क्षमता 5 ऐम्पियर से कुछ कम होती है।

थर्मोपाइल में एक पार्श्व पर लगे शंकु को बेलनाकार या आयताकार बनायें तो क्या होगा ?

पीतल के शंक्वाकार होने के कारण ही उसके सम्मुख रखी वस्तु से विकिरित सम्पूर्ण ऊष्मीय विकिरण इस विशेष पार्श्व पर फोकस हो जाते हैं।

किन्तु यदि शंकु को बेलनाकार या आयताकार बनायें तो सम्पूर्ण ऊष्मीय विकिरण इस पार्श्व तल पर फोकस नहीं हो सकेंगे ,

जिससे थर्मोपाइल की सुग्राहीता कम हो जायेगी।

यदि किसी धातु की प्लेट पर एक ही आवृत्ति का प्रकाश डाला जाये तो भी उत्सर्जित प्रकाश-इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जाएं भिन्न भिन्न होती है। क्यों ?

जो इलेक्ट्रॉन धातु की सतह पर होते हैं।

उन पर धनायनों का आकर्षण बल कम होता है ,

किन्तु जो इलेक्ट्रॉन धातु के अन्दर होते हैं उन पर धनायनों का आकर्षण बल अधिक होता है।

अतः धातु के अन्दर के इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकलने के लिए अधिक कार्य करना पड़ेगा।

इस प्रकार जब धातु के अन्दर के इलेक्ट्रॉनों को फोटॉनों के द्वारा ऊर्जा दी जाती है

तो उसका एक भाग आकर्षण बल के विरुद्ध कार्य करने में व्यय हो जाता है जिसके कारण इन इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा कम हो जाती हैं।

जबकि धातु की सतह पर स्थित इलेक्ट्रॉनों को बाहर निकलने के लिए आकर्षण बल के विरुद्ध कम कार्य करना पड़ता है।

अतः इन इलेक्ट्रॉनों की ऊर्जा अपेक्षाकृत अधिक होती है।

दोलन करते हुए चुम्बक के नीचे धातु की एक प्लेट रखने पर वह शीघ्र ही विरामावस्था में आ जाता है , क्यों ?

हमने देखा है कि दोलन करते हुए चुम्बक के नीचे धातु की एक प्लेट रखने पर वह शीघ्र ही विरामावस्था में आ जाता है।
क्योंकि दोलन करते हुए चुम्बक के नीचे धातु की प्लेट रखने पर प्लेट में भँवर धाराएँ उत्पन्न हो जाती है

जो लेंज के नियामानुसार चुम्बक की गति का विरोध करती हैं।

अतः चुम्बक शीघ्र ही विरामावस्था में आ जाता है।

एक विद्युत् परिपथ अचानक तोड़ दिया जाता है। उसमें चिंगारी क्यों निकलती है ?

विद्युत् परिपथ को अचानक तोड़ने पर परिपथ से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स का मान एकदम शून्य हो जाता है

अर्थात परिपथ से बद्ध चुम्बकीय फ्लक्स में परिवर्तन की दर अधिक होती है।

अतः प्रेरित विद्युत् धारा बहुत तीव्र होती है। फलस्वरूप चिंगारी निकलने लगती हैं।

विद्युत् वाहक बल और विभवान्तर में अन्तर

पायसों के अनुप्रयोग

कण व तरंग में अंतर

अमीटर और वोल्टमीटर में अंतर

विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र और द्रव्य चुम्बकीय क्षेत्र में अंतर

क्रिस्टलीय और अक्रिस्टलीय ठोसों में अन्तर 

प्रतिरोध प्रतिघात और प्रतिबाधा में अन्तर 

प्रत्यावर्ती धारा और दिष्ट धारा में अन्तर 

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Author: educationallof

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