विद्युत् फ्लक्स (Electric flux)

विद्युत फ्लक्स

विद्युत् फ्लक्स (Electric Flux) – विद्युत् क्षेत्र में स्थित किसी क्षेत्रफल से अभिलम्बवत् गुजरने वाली कुल बल रेखाओं की संख्या को विद्युत् फ्लक्स कहते हैं। इसे ΦE से प्रदर्शित करते हैं।

धनात्मक विद्युत् फ्लक्स –

जब किसी पृष्ठ से गुजरने वाली विद्युत् बल रेखाएँ बाहर की ओर जा रही होती हैं, तो विद्युत् फलक्स धनात्मक होता है। इस स्थिति में विद्युत् बल रेखाएँ अपसरित होती हैं।

ऋणात्मक विद्युत् फ्लक्स –

जब किसी पृष्ठ से गुजरने वाली विद्युत् बल रेखाएँ अन्दर की ओर आ रही होती हैं, तो विद्युत् फ्लक्स ऋणात्मक होता है। इस स्थिति में विद्युत् बल रेखाएँ अभिसरित होती हैं।

चित्र  में बन्द पृष्ठ S1 के लिए विद्युत् फ्लक्स धनात्मक, S2 के लिए ऋणात्मक तथा S3 के लिए लगभग शून्य है।

माप –

यदि विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता E तथा उसके लम्बवत् स्थित पृष्ठ का क्षेत्रफल dS हो, तो उस पृष्ठ से सम्बद्ध विद्युत् फ्लक्स  ΦE= E.dS

विद्युत् फ्लक्स का माप

किन्तु यदि विद्युत् क्षेत्र E , क्षेत्रफल dS वाले पृष्ठ के अभिलम्ब से θ कोण बनाये तो अभिलम्ब की दिशा में विद्युत् क्षेत्र को तीव्रता का घटक E cosθ  होगा। अत: इस स्थिति में पृष्ठ से सम्बद्ध विद्युत् फ्लक्स

ΦE= E.cosθ .dS

ΦE= E .dS cosθ.    …… (1)

या ΦE= E.dS

यदि 0 = 90° अर्थात् पृष्ठ विद्युत् क्षेत्र के समान्तर हो, तो

ΦE= E .dS cos 90° = 0

इस प्रकार यदि पृष्ठ विद्युत् क्षेत्र के समान्तर है, तो उससे गुजरने वाले विद्युत् फ्लक्स का मान शून्य होता है।

यदि θ = 0° अर्थात् पृष्ठ विद्युत् क्षेत्र के लम्बवत् हो, तो

ΦE= E .dS cos 0° = EdS. (अधिकतम)

इसी प्रकार, यदि पृष्ठ विद्युत् क्षेत्र के लम्बवत् है, तो उससे गुजरने वाले फ्लक्स का मान अधिकतम होता है।

समीकरण (1) में dS बड़े पृष्ठ S का अल्प खण्ड हो सकता है। ऐसी स्थिति में बड़े पृष्ठ को छोटे छोटे पृष्ठ dS में विभाजित किया जा सकता है। अतः पृष्ठ S से गुजरने वाला कुल विद्युत् फ्लक्स इन छोटे पृष्ठों से गुजरने वाले विद्युत् फ्लक्सों के योगफल के बराबर होगा।

अतः पृष्ठ S से गुजरने वाला कुल विद्युत् फ्लक्स

ΦE= ∫ E.cosθ .dS = ∫ E.dS

विद्युत् फ्लक्स का मात्रक (Unit of Electric Flux) –

सूत्र-  ΦE= E.dS से ,

ΦE का मात्रक = E का मात्रक x ds का मात्रक

SI पद्धति में ΦE का मात्रक = (न्यूटन/ कूलॉम )x मीटर2

= न्यूटन मीटर प्रति कूलॉम (Nm2 C -1 )

SI पद्धति में विद्युत् फ्लक्स का अन्य मात्रक वोल्ट-मीटर (Vm) है।

विद्युत् फ्लक्स का विमीय सूत्र (Dimensional Formula of Electric flux) –

सूत्र-  ΦE= E.dS से ,

ΦE का विमीय सूत्र = E का विमीय सूत्र x dS का विमीय सूत्र

= [MLT-3A-1 ][L2] = [ML3T-3A-1 ]

 घन कोण (Solid Angle) –

द्विविमीय ज्यामिति में हम जानते हैं कि किसी वृत्त की परिधि और उसकी त्रिज्या में एक निश्चित अनुपात (2πr/r = 2π) होता है। इस गुण के आधार पर किसी समतल में कोण को रेडियन में परिभाषित किया जाता है। r त्रिज्या के किसी वृत्त के dl लम्बाई के चाप द्वारा वृत्त के केन्द्र O पर अन्तरित कोण dθ को निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है –

dθ=dl /r रेडियन

इसी तरह त्रिविमीय ज्यामिति में गोले के पृष्ठीय क्षेत्रफल और उसकी त्रिज्या के वर्ग में भी एक निश्चित अनुपात (4πr/ r = 4π) होता है। इसके पर जमक में पन को को परिभाषित किया जाता है।

मानलो O केन्द्र और r त्रिज्या का एक गोला है। इसके पृष्ठ पर क्षेत्रफल अवयव dS की कल्पना करें । यदि इस क्षेत्रफल अवयव की परिधि पर स्थित समस्त बिन्दुओं को गोले के केन्द्र से मिला दें तो  0 शीर्ष वाला एक शंकु (Cone) बन जायेगा। बिन्दु 0 पर बनने वाले इस कोन को घन कोण कहते हैं।

घन कोण

घन कोण का सूत्र –

घन कोण dω को निम्न सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है-

dω = dS / r2

घन कोण एक विमाहीन राशि है। इसका SI मात्रक स्टेरेडियन (Steradian) होता है।

स्पष्ट है कि गोले के सम्पूर्ण पृष्ठ द्वारा उसके केन्द्र पर अन्तरित घन कोण ω = 4πr2 /r2 = 4π स्टेरेडियन होगा , क्योंकि गोले का सम्पूर्ण पृष्ठ 4πr2  होता है।

अब त्रिविमीय आकाश में बिन्दु 0 से दूरी पर एक तिर्यक पृष्ठ AB (जिसका क्षेत्रफल ds है) को कल्पना करें। इसके द्वारा बिन्दु O पर अंतरित घन कोण की गणना करती है।

विन्दु 0 को केन्द्र मानकर OA = r त्रिज्या का एक गोला खींचे। मानलो यह गोला शंकु OAB पर पृष्ठ AC काटता  है। तब पृष्ठ AB और पृष्ठ AC द्वारा बिन्दु पर अंतरित घनकोण समान होगा।

किन्तु गोलीय पृष्ठ अवयव AC द्वारा बिन्दु O पर अंतरित

घन कोण dω =क्षेत्रफल AC / r

∴ पृष्ठ AB द्वारा बिन्दु पर अंतरित घन कोण

घन कोण dω =क्षेत्रफल AC / r2

क्षेत्रफल –

मानलो AB के मध्य बिन्दु P से बाहर की ओर खींचा गया अभिलम्ब PN रेखा OP के साथ कोण θ बनाता है। चूँकि OP पृष्ठ AC के लम्बवत् है, पृष्ठ AB और पृष्ठ AC के अभिलम्बों के बीच का कोण θ होगा। अत: AB और AC के बीच का कोण भी θ होगा।

तिर्यक पृष्ठ द्वारा बनाया गया घन कोण

इस प्रकार क्षेत्रफल AC = क्षेत्रफल ABx cos B

= ds cosθ

अतः पृष्ठ AB द्वारा बिन्दु पर अंतरित घन कोण

dω = ds cosθ / r2

यदि किसी भी आकृति के बंद पृष्ठ द्वारा उसके अन्दर किसी भी बिन्दु पर अंतरित कोण ω हो, तो

ω = ∫s dW = ∫s ds dosθ / r = 4πr/ r = 4π

इस प्रकार किसी भी आकृति के बंद पृष्ठ द्वारा उसके अन्दर स्थित किसी भी विन्दु पर अंतरित घन कोण का मान 4π स्टेरेडियन होता है।

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