
आक का पत्ता के फायदे
आक का पत्ता के फायदे
यह बिन मूल का पौधा है जो भारत में खुले क्षेत्रों, मैदानों, सूनी तथा बंजर जमीनों में पाया जाता है,
इसके पत्ते हरे और फूल सफेद होते हैं।
कद में यह दो तीन फुट तक ही ऊंचा होता है।
- सांप के काटे जाने पर रोगी को उस समय तक आक के पत्ते खिलाते रहें जब तक रोगी उल्टियां न करने लगे।
- आक के पत्तों को आग पर सेंककर उसका रस निकालकर दांत पर मलने से दांत रोग ठीक हो जाते हैं, बहरे लोगों के कानों में एक-एक बूंद रात को डालें तो बहरापन दूर हो जायेगा।
- पागल कुत्ते के काटने पर आक के दूध में काली मिर्च पीसकर छः दिन तक ऐसे रोगी को एक-एक चम्मच पिलाने से कुत्ते का जहर समाप्त हो जायेगा।
- बवासीर के मस्सों पर आक का दूध दिन में तीर-चार बार लगाने से बवासीर में आराम मिलता है। मस्से झड़ जाते हैं।
- मिरगी के रोगी को तलवी पर एक मास तक मालिश करने से मिरगी रोग ठीक हो जाता है।
- जिस आदमी के मुंह पर लकवा मारने लगे उसके मुंह पर आक दूध का पाछा लगाने से लकवा रोग ठीक हो जाता है।
गठिया रोगियों के लिये आक एक वरदान है-
1 किलों आक की जड़ को 4 किलो पानी में डालकर हल्की आग पर पकायें।
जब पानी आधा रह जाये तो उसमें दो किलो गेहूं डाल दें।
गेहूं डालने से पहले आक की जड़ों को पानी में से निकालकर अलग कर दें।
जब गेहूं उस पानी में पक जाए और पानी समाप्त हो जाए
तो उसे नीचे उतार कर एक दो दिन धूप में सुखाकर उस गेहूं पर गठिया रोगियों को गुड़
तथा देसी घी के साथ खिलायें तो पुराने से पुराना गठिया 51 दिनों के उपचार के पश्चात् समाप्त हो जायेगा।
- आक की जड़ और काली मिर्च को पीसकर चूर्ण तैयार करें। इसे आधा चम्मच हर रोज सेवन करने से पुरानी से पुरानी खांसी चली जायेगी।
- खुजली के लिए आक की जड़ की राख में सरसों अथवा नारियल का तेल मिलाकर रोज सुबह-शाम लगाने से खुजली रोग भागता नजर आता है।
- आक की जड़ के डंठल की सिग्रेट तथा बीड़ी की भांति ही आग पर लगाकर पीते रहें तो हर प्रकार का सिर दर्द ठीक हो जाता है।
- आक की जड़ और पीपल की छाल की भस्म को मिला कर लगाएं तो नासूर भी ठीक हो जाता है।