
Piplamool
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Piplamool –
पीपरामूल क्या है?
इस बूटी की भी एक बेल होती है, पत्तियां पान जैसी होती हैं। इसके पौधे की हर गांठ पर पत्ते होते हैं।
इन पत्तों की जड़ में ही पीपर लगती है, जो देखने में शहतूत जैसी होती है, इसकी जड़ को पीपरमूल कहते हैं।
यह पेट रोगों के लिए अधिक लाभकारी है।
पुन्नवा विषखपरा
यह लाल और लाल फल वाला दो किस्म का होता है। इसका पौधा जमीन पर ही फैला रहता है,
जड़ सफेद और मोटी होती है, डंठल रस भरे नरम और पत्ते भी रस से भरे होते हैं।
खून वहर्त को रोके-
जब कभी घाव से खून बहने लगे तो इसकी जड़ को पानी में घिसकर लगाने से खून बहना बन्द हो जातां है।
आंख रोगों को ठीक करें- जो लोग आंख रोगों से परेशान हैं अथवा जिनकी आंखों में खुजली होती रहती है,
उन्हें पुन्नवा विषखपरा की जड़ की रसौत के साथ मिला कर गुलाब जल में घिस कर हर रोज सुबह-शाम लगाना चाहिए।
पेशाब रोगों के लिए –
जिन लोगों का पेशाब रुक जाता है अथवा खुल कर पेशाब नहीं आता, उनके लिए-
10 ग्राम पुन्नवा के पत्ते और 4 ग्राम काली मिर्च के पत्तों को मिलाकर कूट-पीसकर कपड़े में छान लें।
फिर इन्हें पानी के साथ सेवन करें। दिन में दो बार सेवन कर लगता है। दो चार दिन के पश्चात् पेशाब खुलकर आने
पीलिया को भगाएं-
पुन्नवा की जड़ के दो टुकड़े काले धागे में पिरो कर पीलिया रोगी के गले में पहनाने से कुछ ही दिनों में पीलिया रोग से मुक्ति मिल जायेगी।
तपेदिक रोग भागे-
पुन्नवा की जड़ को छाया में सुखाकर, फिर उसे पीसकर चूर्ण बनायें,
फिर सुबह शाम 1/10 अथवा 1 छोटा चम्मच पानी या गाय के दूध के साथ खिलाने से त.दिक रोग भागता नजर आयेगा।
प्रसव रोग बच्चा पैदा होने में देरी होती है-
पुन्नवा की जड़ को पानी में घिसकर उसे नारी की नाभि और नाक पर लेप कर दें।
बस कुछ ही समय के पश्चात् बच्चे का जन्म हो जायेगा।