
Akarkara ke fayde
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Akarkara ke fayde
लकवा रोगियों के लिए-
अकरकरा की सूखी डंडी महुए के तेल मे मिलाकर मालिश करने से लाभ पहुंचता है।
कुष्ठ रोगियों के लिए-
अकरकरा के पत्तों का रस निकालकर उनके जख्मों पर लगाया जाए तो काफी आराम मिलता है।
दांत रोगियों के लिए-
अकरकरा की जड़ को सुखा कर बनाया गया चूर्ण, काफी लाभदायक है,
इसे उंगली से पूरे दांतों पर मलें, इससे दांतों का दर्द भी ठीक हो जायेगा, साथ ही दांत भी शक्तिशाली हो जायेंगे।
चोप चीनी
इसकी लताएं झाड़ियों पर तथा धरती पर फैली रहती हैं।
इस लता की जड़ को ही चोप चीनी कहते हैं।
- शक्ति वर्धन चोप चीनी जड़ को सुखा कर बारीक पीस लें। फिर एक चम्मच सुबह गाय के दूध के साथ सेवन करें तो आपकी खोई हुई शक्ति वापस आ जायेगी।
- आमवात वात रक्त, अपसामर जीर्ण वात विकार, कार्य पातुक्षीणता ग्रन्थि विकार तथा सुजाक आतशक गैस रोगों में चोप चीनी को दूध में उबालकर उसमें मस्तगी इलायची एवं दाल चीनी को डालकर कुछ दिन तक सेवन करने से लाभ होता है।
- चोप चीनी का चूर्ण, काला नमक डालकर तैयार करके रखें, वह ऊपर लिखें सब रोगों के लिए उपयोगी माना जाता है।
गूलर
भारतवर्ष के हर भाग में यह जंगलों में बागों में पाया जाता है,
इसका वृक्ष 15 मीटर तक ऊंचा और काफी फैला होता है,
पत्ते काफी बड़े होते हैं।
- रक्तपित के रोगों में गूलर की छाल और फलों को काम में लाया जाता है।
- रक्तप्रदर अति आर्तव गर्भपात की संभावना रक्तमय आदि रोगों में गूलर बहुत लाभदायक है, इसके दूध को गौ दूध में मिलाकर देने से काफी रोगों से बचा जा सकता है।
- विषक बुखार में इसके फलों को कूट-पीसकर शोध तथा गांठ पर लेप करने से बुखार दूर हो जाता है।
बरगद
यह वृक्ष खुले स्थानों पर प्राकृतिक रूप से पैदा होता हे,
विशालकाय वृक्ष पीपल से मिलता-जुलता है और वैसे ही फैला रहता है।
- बरगद का दूध संग्रहणीय एवं व्रणरीपक है, यह दांत पीड़ा और कमर दर्द जैसे रोगों में अति लाभकारी माना जाता है।
- जिन लोगों की उंगलियां पानी में रहने के कारण सूज जाती हैं, बरगद के दूध को उनके वरणों पर लगाने से लाभ होता है।
- नारी स्तन की शिथिलता में वट की जटा को पीसकर उसका लेप तैयार करके लगाने से लाभ होता है।
- स्वप्नदोष के रोगी को इसके दूध को बताशे में डालकर रात को सोते समय खिलाने से लाभ होता है।
- यह प्राकृतिक पौधा, पहले वर्षा के होते ही जन्म लेता है, इस पर गोल पीले रंग का फूल आता है।