उत्तल लेंस की अभिसारी क्रिया और अवतल लेंस की अपसारी क्रिया –
Table of Contents
अवतल और उत्तल लेंस –
उत्तल लेंस किरणों को अभिसरित कर देता है ( एक बिन्दु पर केन्द्रित कर देता है ) ।
अतः उत्तल लेंस को अभिसारी लेंस (Convergent lens) भी कहते हैं।
अवतल लेंस किरणों को अपसरित कर देता है ( फैला देता है ) । ये किरणें एक बिन्दु से आती हुईं प्रतीत होती हैं।
अतः अवतल लेंस को अपसारी लेंस (Divergent lens) भी कहते हैं।
इन तथ्यों को स्पष्ट करने के लिए यह मानते हैं कि लेंस छोटे छोटे प्रिज्मों से मिलकर बना है ,
जिनका कोण निरन्तर बदलते रहता है।
प्रिज्म में यह गुण होता है कि वह किरणों को आधार की ओर मोड़ देता है।
जिस प्रिज्म का कोण जितना अधिक होता है , वह प्रकाश किरणों को उतना ही अधिक मोड़ता है।
उत्तल लेंस में प्रत्येक प्रिज्म का आधार लेंस के केन्द्रीय भाग की ओर होता है ,
अतः प्रिज्म पर आपतित समान्तर किरणें लेंस से अपवर्तन के पश्चात एक बिन्दु पर मिल जाती हैं।
अवतल लेंस में प्रत्येक प्रिज्म का आधार लेंस के केन्द्रीय भाग के ऊपर की ओर होता है।
अतः प्रिज्म पर आपतित समान्तर किरणें लेंस से अपवर्तन के पश्चात फैल जाती हैं। (उत्तल और अवतल लेंस )
लेंसों से बने प्रतिबिम्बों की रचना के नियम :-
(1). जो किरण मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित होती है , वह लेंस से अपवर्तन के पश्चात मुख्य फोकस से होकर जाती है (उत्तल लेंस में )
या मुख्य फोकस से होकर आती हुई प्रतीत होती है। ( अवतल लेंस में ) ।
(2). जो किरण प्रथम मुख्य फोकस से होकर आपतित होती है ( उत्तल लेंस में )
या प्रथम मुख्य फोकस की दिशा में आपतित होती है ( अवतल लेंस में ) वह किरण अपवर्तन के पश्चिम मुख्य अक्ष के समान्तर हो जाती है।
(3). जो किरण प्रकाश केन्द्र से होकर जाती है , वह बिना विचलन के सीधी चली जाती है।
व्यवहार में लेंस द्वारा किसी वस्तु का प्रतिबिम्ब बनाने के लिए उपर्युक्त तीनों किरणों में से किन्हीं भी दो किरणों को लेना पर्याप्त होता है।
यदि अपवर्तन के पश्चात किरणें किसी बिन्दु पर मिलती हैं तो प्रतिबिम्ब वास्तविक बनता है ,
किन्तु यदि किरणों को पीछे बढ़ाने पर किसी बिन्दु पर मिलती हैं , तो प्रतिबिम्ब आभासी बनता है। (उत्तल और अवतल लेंस )
उत्तल लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना :-
1. जब वस्तु अनन्त पर हो –
यदि वस्तु अनन्त पर है , तो उससे आने वाली किरणें परस्पर समान्तर होंगी।
यदि ये किरणें मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित होती है , तो ये किरणें अपवर्तन के पश्चात फोकस से होकर जावेगीं।
इस प्रकार , वस्तु का प्रतिबिम्ब (a) मुख्य फोकस पर , (b) बिन्दु के आकार का और (c) उल्टा तथा वास्तविक बनेगा।
2. जब वस्तु अनन्त और 2F के बीच हो –
मानलो एक वस्तु AB मुख्य अक्ष के लम्बवत् अनन्त और 2F के बीच रखी हुई है।
A से चलने वाली एक किरण मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित होती है और अपवर्तन के पश्चात मुख्य फोकस F से होकर जाती है।
दूसरी किरण प्रकाश केन्द्र O में से सीधा निकल जाती है।
दोनों अपवर्तित किरणें एक दूसरे को A’ पर काटती हैं। अतः A’ , A का वास्तविक प्रतिबिम्ब होगा।
A’ से मुख्य अक्ष पर A’B’ लम्ब डालते हैं। AB के बीच स्थित प्रत्येक बिन्दु का प्रतिबिम्ब A’B’ के बीच बनता है।
अतः A’B’ ही वस्तु AB का वास्तविक प्रतिबिम्ब है।
इस प्रकार , वस्तु का प्रतिबिम्ब (a) F और 2F के बीच , (b) वस्तु से छोटा और (c) उल्टा तथा वास्तविक बनेगा।
3. जब वस्तु 2F पर हो –
एक वस्तु AB मुख्य अक्ष के लम्बवत् 2F पर रखी है।
A से चलने वाली एक किरण मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित होती है
और अपवर्तन के पश्चात मुख्य फोकस F से होकर चली जाती है।
दूसरी किरण प्रकाश केन्द्र O से होकर सीधी निकल जाती है। दोनों किरणें एक दूसरे को A’ पर काटती है।
अतः A’ ,A का वास्तविक प्रतिबिम्ब है।A’ से मुख्य अक्ष पर A’B’ लम्ब डालते हैं।
A’B’ ही वस्तु AB का वास्तविक प्रतिबिम्ब है।
इस प्रकार वस्तु का प्रतिबिम्ब (a) 2F पर ही लेंस के दूसरी ओर , (b) वस्तु के बराबर और (c) उल्टा तथा वास्तविक बनेगा।
4.जब वस्तु 2F और F के बीच हो –
वस्तु AB मुख्य अक्ष के लम्बवत् F और 2F के बीच रखी है।
A से चलने वाली एक किरण मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित होती है
और अपवर्तन के पश्चात मुख्य फोकस F से होकर जाती है।
दूसरी किरण प्रकाश केन्द्र O से होकर सीधी निकल जाती है।
दोनों अपवर्तित किरणें एक दूसरे को A’ पर काटती हैं।
A’ से मुख्य अक्ष पर A’B’ लम्ब डालते हैं।
A’B’ ही वस्तु AB का वास्तविक प्रतिबिम्ब है।
इस प्रकार, वस्तु का प्रतिबिम्ब (a) अनन्त तथा 2F के बीच , (b) वस्तु से बड़ा और (c) उल्टा तथा वास्तविक बनेगा।
5. जब वस्तु फोकस F पर हो –
एक वस्तु AB मुख्य अक्ष के लम्बवत् फोकस F पर रखी है।
A से चलने वाली एक किरण मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित होती है।
और अपवर्तन के पश्चात मुख्य फोकस F से होकर जाती है।
दूसरी किरण प्रकाश केन्द्र O से होकर सीधी निकल जाती है।
दोनों अपवर्तित किरणें परस्पर समान्तर होती हैं , अतः अनन्त पर काटेंगी ।
इस प्रकार , वस्तु का प्रतिबिम्ब (a) अनन्त पर , (b) वस्तु से बहुत बड़ा और (c) उल्टा तथा वास्तविक बनेगा।
6. जब वस्तु फोकस F और प्रकाश केन्द्र के बीच हो –
एक वस्तु AB मुख्य अक्ष के लम्बवत् फोकस F और प्रकाश केन्द्र O के बीच रखी है।
A से चलने वाली एक किरण मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित होती है
और अपवर्तन के पश्चात मुख्य फोकस F से होकर जाती है।
दूसरी किरण प्रकाश केन्द्र O से होकर सीधी निकल जाती है।
दोनों अपवर्तित किरणें पीछे बढ़ाने पर A’ पर मिलती हैं।
A’ , A का आभासी प्रतिबिम्ब है।
A’ से मुख्य अक्ष पर A’B’ ही वस्तु AB का आभासी प्रतिबिम्ब है।
इस प्रकार , वस्तु का प्रतिबिम्ब (a) वस्तु की ओर , (b) वस्तु से बड़ा और (c) सीधा तथा काल्पनिक (या आभासी) बनेगा।
अवतल लेंस द्वारा प्रतिबिम्ब का बनना –
माना कि एक वस्तु AB अवतल लेंस के सामने मुख्य अक्ष के लम्बवत् रखी है।
A से चलने वाली एक किरण मुख्य अक्ष के समान्तर आपतित होती है
और अपवर्तन के पश्चात F से होकर आती हुई प्रतीत होती है।
दूसरी किरण प्रकाश केन्द्र O से होकर सीधी निकल जाती है।
दोनों अपवर्तित किरणें आगे नहीं काटती बल्कि पीछे बढ़ाने पर A’ पर मिलती हैं।
A’ , A का आभासी प्रतिबिम्ब होगा। A’ से मुख्य अक्ष पर A’B’ लम्ब डालते हैं।
A’B’ ही वस्तुAB का आभासी प्रतिबिम्ब है।
इस प्रकार , वस्तु का प्रतिबिम्ब (a) उसी ओर फोकस F तथा प्रकाश केन्द्र O के बीच , (b) वस्तु से छोटा और (c) सीधा तथा आभासी बनेगा।
वस्तु को अवतल लेंस के आगे किसी भी स्थान पर रखें , उसका प्रतिबिम्ब सदैव उसी ओर फोकस और प्रकाश केन्द्र के बीच , वस्तु से छोटा , सीधा और आभासी बनता है।
ज्यों ज्यों वस्तु को लेंस से दूर ले जाते हैं , त्यों त्यों प्रतिबिम्ब छोटा होता जाता है।
इसके विपरीत , ज्यों ज्यों वस्तु को लेंस के पास लाते हैं , त्यों त्यों प्रतिबिम्ब का आकार बढ़ता जाता है , किन्तु सदैव वस्तु से छोटा होता है।
नोट – यदि वस्तु अवतल लेंस के सामने अनन्त पर हो , तो उसका प्रतिबिम्ब फोकस पर , बिन्दु के आकार का सीधा तथा आभासी बनेगा ।
गोलीय पृष्ठ पर प्रकाश का अपवर्तन –
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