
आलू खाने के फायदे
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आलू खाने के फायदे – आलू की पैदावार सर्वप्रथम पेरू से आरम्भ हुई।
करीब 2000 वर्ष पूर्व से ही पेरू में इसकी खेती की जाती थी।
बहुत अधिक पैदावार होने के कारण वहां के गरीब किसानों का यह मुख्य भोजन था।
वे लोग इसे वताता कहते थे।
धीरे-धीरे इसकी खेती यूरोप, एशिया और अफ्रीका में भी होने लगी।
भारत में आलू का पौधा लाने का श्रेय अंग्रेजों को है जो इसे पोटेटो के नाम से जानने लगे।
लेकिन इसका आलू नाम भारत में प्रचलित हुआ।
विश्व भर में आलू का उपयोग बहुतायत में होता है।
यह काफी लम्बे अर्से तक सुरक्षित रखा जा सकता है।
आलू की फसल जून-जुलाई में बोई जाती है तथा नवम्बर-दिसम्बर में आलू की खेती तैयार होते लगती है।
जमीन के अन्दर मिट्टी में ही इसके कंद फैलते हैं तथा जड़ों द्वारा ही आलू में भरपूर विटामिन, खनिज पदार्थ, लवण, धातु अत्यधिक पाया जाता है।
वर्ष भर इसका उपयोग समान रूप से कर सकते हैं क्योंकि यह हर ऋतु के अनुकूल है और एक स्वादिष्ट सब्जी के रूप में स्वीकार की जाती है।
गुणवत्ता की दृष्टि से आलू हर उम्र के लिए सर्वोत्तम आहार है।
आलू में लोहा, कार्बोहाइड्रेट, मैगनीज विशेष रूप से विटामिन सी विद्यमान है।
आलू की तासीर –
तासीर में आलू ठंडा एवं रूक्ष है। पेट में मल को बांधता है।
आलू में निशास्ता बहुत अधिक मात्रा में होती है जो कि शक्ति बढ़ाने में बहुत मदद करता है।
आलू हर प्रकार से खाने योग्य सब्जी है।
इससे हमें अत्यन्त बलवर्धक एवं पौष्टिक तत्व भी प्राप्त होते हैं।
आलू को अगर छिलके सहित उबालने के पश्चात् छिलका बाद में उतार कर पकाया जाए तो अधिक स्वास्थ्यवर्धक है, क्योंकि आलू के तह में मनसिल होती है जो कि उबालने पर आलू में समा जाती है।
इस प्रकार आलू अधिक सुपाच्य हो जाता है।
आलू में कैलोरी एवं पानी बहुत अधिक मात्रा में होने के कारण इसके साथ किसी न किसी अनाज का सेवन भी आवश्यक है।
अकेले आलू के सेवन से स्फूर्ति और शक्ति तो मिलती है परन्तु शारीरिक उन्नति नहीं हो पाती।
घी में भूनने से आलू कब्जकारक होता है।
निशास्ता, लवण एवं सभी विटामिन पाये जाने के कारण आलू गुणकारी है।
मोटे लोगों को आलू खाने से मोटापे में वृद्धि होती है, साथ ही अफारा और छाती में जलन भी करता है।
श्रमजीवियों, बच्चों एवं युवाओं के लिए आलू लाभदायक है, परन्तु परिश्रम न करने वाले तथा वृद्धों के लिए मधुमेह का डर रहता है।
आलू के साथ किसका प्रयोग करना चाहिए –
आलू के साथ अदरक एवं अजवायन का उपयोग करना लाभप्रद है।
तरह-तरह के स्वादों में आलू का उपयोग किया जाता है।
सभी प्रकार की सब्जियों में आलू का योगदान बराबर का है।
हरी मेथी हो या गोभी, पालक पनीर या अकेला आलू क्यों न हो स्वाद से खाया जाता है।
अकस्मात् घर में अतिथि आ जायें और कुछ न हो तो भी आलू की जायकेदार सब्जी अवश्य उपलब्ध रहती है।
घरेलू उपचारों में भी आलू का उपयोग सराहनीय है।
कच्चे आलू को साफ चकले या पत्थर पर घिसकर लगातार लगाने से वर्षों पुराने नेत्र रोग जैसे फुली, जाला, आदि ठीक हो जाते हैं।
जल जाने पर आलू को पीसकर उसकी लुगदी (पेस्ट) जले हुए स्थान पर लगाने से फफोले नहीं उभरते हैं, साथ ही जलन का शमन होता है।
पित्त प्रकृति वालों के लिए आलू गरम होता है।
पित्त प्रकृति वालों के लिए एक आलू को गरम राख में दबा कर भून लें।
छीलकर मैश करें तथा आधी चम्मच देशी घी में मेथी दाने का तड़का देकर काली मिर्च पाउडर और नमक डालकर खाने से पित्त में तुरन्त आराम मिलता है।
कच्चे आलू की पुल्टिस बनाकर कमर पर लगाने से कमर दर्द में आराम मिलता है।
भुने आलू के मसूड़ों और दांतों की हड्डिायें के लिए लाभदायक रहते हैं।
पांच सितारा होटल हो या सड़क किनारे का ढ़ाबा, सर्दी हो या गर्मी, आलू हर जगह सदैव तैयार मिलता है।
किसी भी स्वाद में चाहे सब्जी हो या सूप, चिप्स या परांठे में भरावन, उबला या कोरा भुना हुआ ही क्यों न हो आलू का स्वाद ही निराला है।
आलू सचमुच ही रसोई का राजा है।