
अश्वगंधा के फायदे
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अश्वगंधा के फायदे –
यह बूटी भारत के अनेक भागों में प्राकृतिक रूप से पैदा होती है,
इसके अन्दर उड़नशील तेल, विथेनियाल हेन्ट्रियाकायन्टेन-फाइटोस्टेराल, तथा तीन विभिन्न क्षाराम पाये जाते हैं।
- धातु रोगों में इसका प्रयोग लाभदायक होता है।
- प्रदर रोग में भी इसका प्रयोग अच्छा माना गया है। इन रोगों के लिए इसका सेवन अश्वगंधा चूर्ण 1 चम्मच चीनी में मिलाकर सुबह शाम गाय के दूध सेवन करने से रोगी को लाभ होता है।
- शोध औश्र गलाग्रन्थि पर गाय के पेशाब से इसे पोरू को थोड़ा गर्म करके लेप करने से लाभ होता है।
- स्वप्न दोष के रोगियों के लिए अश्वंग, विधारा, जायफल, छोटी इलायची, नागमोथ, कौंच के बीज, गौरव शतावरी, त्रिफला, लाजवन्ती, खरा और वंशलोचन 10-10 ग्राम लेकर इन सबको कूट-पीसकर छाल लें। इस चूर्ण के बराबर की मिश्री लें, कूट-पीसकर मिलाकर चूर्ण तैयार कर लें।
- पांच ग्राम गाय के दूध के साथ सुबह-शाम गोली के सेवन करने से रोगों से मुक्ति मिलेगी।
इसकी जड़ भी काम में लायी जाती है।
मंजिष्ठा
भारत की उपयोगी जड़ी-बूटियों में मजीठ भी एक स्वास्थ्य रक्षक जड़ी-बूटी है।
इसकी पैदावार अधिकतर पहाड़ी क्षेत्रों में ही होती है।
विशेष रूप से यह हिमालय पर्वत की नीलगिरी चोटी के क्षेत्रों में मिलेगी, इसक पौधा काफी फैला होता है।
मजीठ की जड़ काफी लाभदायक और गुणकारी है।
चर्म रोगों में इसकी जड़ को पीस कर लगाने से काफी लाभ होता है।
यदि इसकी जड़ को मकान के बाहर लगा दिया जाए तो बुरी नजर वाले का मुंह काला होता है।
मासिक धर्म के रोगों के लिए-
जिन औरतों में मासिक धर्म में बाधा पड़ती है और कोई कष्ट होता है।
सफेद पानी आता है, उनके लिए मजीठ के बीजों को एक लीटर पानी में उबालें जब पानी आधा रह जाए
तो उसे नीचे उतार कर ठंडा करके फिर किसी साफ कपड़े में छान कर बोतल में डालकर रखें।
दिन में तीन बार एक-एक चम्मच औरत को पिलाने से उसकी मासिक धर्म क्रिया ठीक हो जाती है।