माध्यिका (Median)
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परिभाषा :- जब पदों को परिमाण के अनुसार आरोही या अवरोही क्रम में व्यवस्थित किया जाए तब बीच वाले पद को माध्यिका कहते हैं।
अर्थात यह चर का वह मान है जो पूरे श्रेणी को दो बराबर भागों में बांटता है आधे पद इससे छोटे और आधे पद इससे बड़े होते है।
इसे M द्वारा प्रदर्शित करते हैं।
माध्यिका गणना विधि –
1. यदि व्यक्तिगत श्रेणी में पदों की संख्या n विषम हो , तो माध्यिका (n+1)/2 वां पद होगीं।
2. यदि व्यक्तिगत श्रेणी मे पदों की संख्या n सम हो , तो n/2 वां और {(n/2) +1 } वां दो माध्य पद होंगे।
इन दो पदों का समान्तर माध्य माध्यिका होगी।
3. सतत् श्रेणी (Continuous series ) मे सर्वप्रथम N/2 का मान ज्ञात करते हैं।
फिर N/2 जिस संचयी बारम्बारता के अंतर्गत वर्ग होता है।
यहां माध्यिका ज्ञात करने के लिए निम्न सूत्र का प्रयोग करते है।
माध्यिका = l₁ +(N/2 -f) ⨯ i /f
जहां l₁ माध्यिका वर्ग की निम्न सीमा है , f माध्यिका वर्ग की बारम्बारता है , i इस वर्ग के वर्ग अंतराल की चौड़ाई है , f माध्यिका वर्ग से पहले की सभी बारम्बारताओं का योग है।
गुण ( Median’s merit ) –
1. इसे आसानी से समझा जा सकता है और परिभाषा स्पष्ट होती है।
2. इसकी गणना शीघ्रता से हो सकता है व इसकी स्थिति को यर्थाथतः निश्चित किया जा सकता है।
3. निरीक्षण किये गए सभी पदों का मान बिना ज्ञात किये इसे शीघ्रता और सरलता से ज्ञात किया जा सकता है।
इसे पदों के परिमाण के अनुसार व्यवस्थित किया जा सकता है।
122 विद्यार्थियों के ऊंचाई की माध्यिका ज्ञात करने के लिए आवश्यक नहीं है कि उन सभी की ऊंचाई को ज्ञात किया जाये।
उन्हें आरोही या अवरोही क्रम में खड़ा कर सकते है।
और मध्य के विद्यार्थी अर्थात 61 वें विद्यार्थी की ऊँचाई माध्यिका ऊँचाई होगी।
4. यह किसी अत्यधिक बड़े व छोटे मान से प्रभावित नहीं होता है।
एक लम्बा एवं एक बौने की ऊँचाई का किसी व्यक्ति की माध्यिका ऊँचाई पर प्रभाव नहीं पड़ेगा।
5. कुछ और पदों को बढ़ाकर इसके मान मे विशेष अन्तर नहीं होता।
6. बारम्बारता लेखाचित्र मे इसे निरीक्षण से ही ज्ञात किया जा सकता है।
7. बुद्धि , ईमानदारी जैसे गुणात्मक मापों मे माध्यिका से अच्छे परिणाम मिल सकते हैं।
8. यह दृढतः परिभाषित है।
9. विवृत (Open) वर्गों के बंटनो के लिए इसकी गणना की जा सकती है।
दोष (Median’s demerit ) –
1.माध्यिका का बीजीय प्रतिपादन नहीं हो सकता यदि राशियों की माध्यिकाएं अलग अलग ज्ञात हो तो उनकी सम्मिलित मध्यिका दी हुई माध्यिकाओ से प्राप्त नहीं की जा सकती है।
2. यह कभी कभी वास्तविक आंकड़ों का प्रतिनिधि नहीं हो सकता।
3. यदि सिरे के पदों को अधिक भार दिया जाता हो ,तो यह लाभप्रद नहीं है क्योंकि यह सभी बारम्बारता को समान समझता है।
4. जब median और पदों की संख्या ज्ञात हो , तो पदों का योग ज्ञात नहीं हो सकता।
5. इसे ज्ञात करने के लिए सामग्री को आरोही या अवरोही क्रम में लगाना पड़ता है जिसमें समय नष्ट होता है।
6. प्रेक्षणों की सम संख्या की स्थिति में इसे यर्थाथता ज्ञात नहीं किया जा सकता है।
उपयोग (Median’s uses ) –
1. जब श्रेणी के दोनों ओर के अंत के पदों मान ज्ञात न हो , तो इसका प्रयोग करते हैं।
2. जब राशियों के संख्यात्मक मान सम्भव न हो जैसे बुद्धि , रंग , योग्यता आदि तब इसका प्रयोग करते हैं।