
Kahwa tea ke fayde
Table of Contents
Kahwa tea ke fayde
हल्का बादामी रंग चाय का, भला ये भी कोई चाय होती है, पर ये सच है कि किसी शीशे के गिलास या कप में हल्का बादामी रंग का मीठा पानी,
इलायची तथा बादाम के छोटे-छोटे टुकड़ों से सजा, दालचीनी की भीनी-भीने खुशबू से महकता ये बादामी पानी ही कहवा चाय है,
न तो दूध की जरूरत न ही ढेर सी चाय पत्ती की, बस दो-तीन चाय के पत्ते, चीनी से बनी यह कहवा कई तरह से उपयोगी है।
कहवा चाय के शौकीन कश्मीरी और ईरानी ज्यादा हैं।
लेकिन धीरे-धीरे कहवा चाय के प्रेमियों की संख्या भी बढ़ती जा रही हैं।
कहवा चाय को बनाना भी अपने आप में एक कला है।
कहवा चाय कैसे बनायें –
चाय बनाते समय पानी उबलने पर बहुत थोड़ी-सी पत्ती डालकर दो-चार बार उबालने पर दालचीनी का थोड़ा-सा पाउडर,
बादाम के टुकड़े तथा खस-खस डाली जाती है।
सबका मिश्रण तैयार करके कहवा बहुत ही जायकेदार होता है।
यह कहवा चाय भी बड़ी मस्त चीज है।
कहवा चाय के फायदे –
- खांसी हो या जुकाम इसका सेवन करने से खांसी जुकाम सिर दर्द छू-मन्तर हो जाता है।
- बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए विशेष रूप से लाभदायक है।
- इससे पोलियों से शिशुओं की रक्षा की जा सकती है।
चाय में डाली जाने वाली सभी चीजों को अपना अलग-अलग महत्व है।
- बादाम शक्तिवर्धक होता है।
- दालचीनी भी गुणों से परिपूर्ण है।
- खस-खस में हल्का सा नशा होता है।
- कुछ लोग सर्दियों में थोड़ी सी अदरक भी डालने लगे हैं, लेकिन कश्मीरी या ईरानी अदरक का प्रयोग नहीं करते हैं।
कहवा चाय किसमें बनाया जाता हैं?
जिस बर्तन में कहवा चाय को बनाया जाता है उसे समांवर कहते हैं।
समांवर का जन्मदाता ईरान है।
भारत में इस बर्तन को लाने वाला जैनुल आबदीन बादशाह था।
कश्मीर का शासक जैनुल आबदीन ईरान का रहने वाला था।
जैनुल आबदीन ईरान से अनेक नायाब कारीगर, फलों के पेड़ तथा बर्तनों को कश्मीर लाये।
इन्हीं में समांवर भी था।
अरब के सभी देशों में आज भी समांवर किसी न किसी रूप में इस्तेमाल होता है।
पीतल या तांबे के बने समांवर में कहवा चाय का स्वाद ही निराला होता है।
आजकल कुछ लोग इसे स्टील के भगोने में भी बनाते हैं।
समांवर की आकृति गोलाकार लंबाई युक्त होती है।
बीचों-बीच में एक धौंकनी-सी बनी होती है, जिसमें जले हुए कच्चे कोयले डाले जाते हैं।
धौंकनी के बाहर वाले हिस्से में पानी भरा जाता है।
धौंकनी के नीचे जालीदार स्टैण्ड बना होता है जिसमें कोयले की राख गिरती है।
कश्मीर में विवाह हो या कोई बड़ा उत्सव, चार-पांच समांवर बड़ी से बड़ी तादात में लोगों को फटाफट गरम चाय देने में सक्षम होते हैं
पहले समय में ये समांवर बहुत बड़े-बड़े तथा भारी होते थे।
इन समावरों के बाहर आयतें उर्दू भाषा में लिखी होती थीं।
कुछ समांवरों पर बड़ी खूबसूरत चित्रकारी भी बनी होती थी।
लेकिन आज हल्के, आकर्षक तथा सीधे सरल नमूनों में भी समांवर उपलब्ध हैं।
इन समांवरों पर चित्रकारी या पवित्र आयतें नहीं लिखी होती हैं।
यद्यपि आधुनिक कहवा चाय के प्रेमी इस समांवर को ड्रांईंग रूम की शोभा बनाकर रखते हैं,
लेकिन वहीं कश्मीरी रसोई का यह अहम बर्तन है।
सर्दी हो या गर्मी दोनों ही मौसम में कहवा चाय फायदेमन्द होती है।
Learn more
Kahwa tea ke fayde