
JATAMANSI BENEFITS
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Jatamansi benefits – जटामांसी को अंग्रेजी में ‘Spikenard’ कहा जाता है। जटामांसी को ‘muskroot’ भी कहते हैं।
जटामांसी का उपयोग निद्रा लाने वाली तथा हृदय को तात्कालिक बदलने वाली एक अच्छी औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता है।
आयुर्वेद में जटामांसी का प्रयोग अत्यन्त प्राचीन काल से पाया जाता है।
- बढ़े हुए रक्तचाप को घटाने में
- हृदय को स्थायी बल देने में इसका प्रभाव अद्भुत है।
- यह शरीर के अंगों में उठने वाले दर्द को दूर करती है ।
- स्नायुविक दौर्बल्य की अवस्था में शक्तिवर्धक के रूप में काम करती है।
यूरोप के सबसे प्राचीन ग्रंथ हिप्पोक्रेट के औषधि विधान (फार्मकोपिया) में इसका उल्लेख है।
इसका ज्ञान सर्पगंधा से पहले लोगों को हुआ, ऐसा कहा जाता है।
बाबर द्वारा हस्तलिखित ग्रंथों में इस सुगन्धित बूटी का उल्लेख है।
जटामांसी के गुण –
आयुर्वेद के अनुसार जटामांसी के गुण इस प्रकार हैं-
वात, पित्त और कफ के लिए –
यह रोधक, कटु और स्वाद में मीठी होती है। यह वात, पित्त और कफ तीनों का शमन करने वाली है।
शरीर की जलन को शांत करती है तथा कुष्ठ, रक्त में विष-प्रवेश एवं विसर्प को अच्छा करती है।
त्वचा के लिए –
त्वचा पर चन्दन की तरह लगाने पर यह उसको कोमल बनाती है, ज्वर का नाश करती है तथा ऊपर चर्म रोगों को दूर करती है।
जटामांसी क्या है?
यह सदाबहार बूटी है।
इसका पृथ्वी के नीचे रहने वाला अंश ही औषधि के रूप में प्रयुक्त होता है।
जटामांसी अंगुली जितनी मोटी और भूरे रंग की होती है।
यह सर्वत्र छोटे-छोटे रोम रूपी मूलों से भरी रहती है।
इसमें से एक मंद मधुर सुगन्ध निकलती है।
जटामांसी कहा पाया जाता है?
हिमालय क्षेत्र में यह प्रचुरता से उत्पन्न होती है।
पश्चिम बंगाल के गंगा तटवर्ती स्थलों में भी यह प्राप्त होती है।
संस्कृत में इसे जटामांसी, भूतजटा तथा तपस्वी कहते हैं।
इसको चूर्ण रूप में एक अथवा दो चम्मच की मात्रा में दे सकते हैं या काढ़े के रूप में शहद के साथ दे सकते हैं।
काढ़ा बनाने के लिए तीन-चार टुकड़े किसी मिट्टी के बर्तन में एक गिलास पानी के साथ तब तक उबालना चाहिए जब तक पानी आधा न रह जाए।
सामर्थ्य से अधिक श्रम करने के कारण जिनको अच्छी या पूरी नींद नहीं आती,
घुमटा या चक्कर आते हैं, स्नायुविक दुर्बलता अनुभव होती है,
उनको फिर शक्तिदान देने में यह एक आदर्श औषधि है।
आधे से एक तक चाय का चम्मच भर जटामांसी का मधु या मिश्री के घोल के साथ सेवन रक्तचाप को ठीक करके अभीष्ट सामान्य स्तर पर बनाये रखने में बड़ा उत्तम कार्य करता है।
इस प्रयोग से हृदय रोगों में भी अच्छा लाभ होता है।
श्वेत कूमाण्ड, शतमूली अथवा ब्रह्मी के रस के साथ जटामांसी का सेवन उन्माद रोग में अच्छा प्रभाव दिखाता है।
जटामांसी निश्चय ही अच्छी नींद लाने वाली औषधि है।
जटामांसी का बालों पर भी आश्चर्यजनक प्रभाव होता है।
इससे मस्तिष्क शीतल रहता है तथा बालों का गंजापन दूर होता है।
यह शरीर में कोशिकाओं को ठीक रखकर स्वस्थ रखती है।
अतः इसका प्रयोग नित्य हितकर है।
इससे प्रतिदिन हवन भी किया जाता है। Jatamansi benefits