विक्षेप चुम्बकत्वमापी (Deflection Magnetometer)
Table of Contents
विक्षेप चुम्बकत्वमापी
उस उपकरण को , जिसमें चुंबकीय सुई में विक्षेप उत्पन्न करके चुंबकीय मापन किया जाता है, विक्षेप चुंबकत्वमापी कहते हैं ।
यह स्पर्शज्या नियम पर आधारित है।
रचना –
विक्षेप चुंबकत्व मापी चित्र में प्रदर्शित किया गया है।
इसमें अचुंबकीय पदार्थ का बना एक वृत्तीय बॉक्स होता है , जिसे दिक् सूचक बॉक्स कहते हैं ।
इस बॉक्स में एक वृत्तीय पैमाना होता है , जो 0 डिग्री से 90 डिग्री तक चार भागों में अंकित होता है।
इस पैमाने के केंद्र पर एक कीलक पर एक छोटी सी चुंबकीय सुई टिकी रहती है
जो क्षैतिज तल में स्वतंत्रापूर्वक घूम सकती है।
चुंबकीय सुई के लम्बवत् एक लंबा तथा हल्का एलुमिनियम का संकेतक लगा होता है,
जिसके सिरे वृत्तीय पैमाने पर घूमते हैं ।
वृत्तिय पैमाने के नीचे एक समतल दर्पण लगा होता है।
पाठ्यांक लेते समय संकेतक और उसका प्रतिबिंब एक ही सीध में होना चाहिए ।
बॉक्स पर एक कांच का धक्कन लगा होता है , जिसे धूल के कणों , हवा के झोंकों आदि से चुम्बकीय सुई की सुरक्षा हो सके ।
दिक् सूचक बॉक्स को लकड़ी की बनी आयताकार पट्टी के मध्य बने खाँचे पर रखा जाता है तथा उसे खाँचे पर घुमाया जा सकता है ।
इस स्थिति में लकड़ी की पट्टी पर बने पैमानों का शून्य वृत्तीय पैमाने के केंद्र पर होता है।
दिक् सूचक बॉक्स के दोनों ओर लकड़ी की पट्टी को विक्षेप चुंबकत्वमापी की भुजाएं कहते हैं ।
इन भुजाओं पर चुंबक को रखने पर चुंबकीय सुई में विक्षेप होता है ।
विक्षेप चुम्बकत्वमापी में होने वाली संभावित त्रुटियां एवं उनके निवारण –
(1). चुंबकीय सुई के कीलक का वृत्तिय पैमाने के केंद्र पर न होना –
यदि चुम्बकीय सूई का कीलक वृत्तीय पैमाने के केंद्र पर नहीं है तो संकेतक के एक सिरे का पाठ्यांक अधिक तथा दूसरे का पाठ्यांक कम होगा ।
इसे उत्केन्द्रता की त्रुटि (Error of eccentricity) भी कहते हैं।
इस त्रुटि के निवारण के लिए संकेतक के दोनों सिरों का पाठक लेते हैं
दोनों पाठकों का माध्य निकालने का पर शुद्ध पाठ्य अंक प्राप्त हो जाता है ।
यदि संकेतक के पहले सिरे का पाठ्यांक θ1 तथा दूसरे सिरे का θ2 हो तो शुद्ध पाठ्य θ = θ1 +θ2 / 2.
(2). चुम्बक के चुंबकीय अक्ष का उसके ज्यामितीय अक्ष से सम्पाती न होना –
चुम्बकीय सूई को चुम्बक के बढ़ाये गये चुम्बकीय अक्ष पर रखा जाना चाहिए।
प्रयोगिक कार्यों में चुम्बकीय सूई को चुम्बक के ज्यामितीय अक्ष पर रखा जाता है।
यदि चुम्बक के चुंबकीय अक्ष और ज्यामितीय अक्ष सम्पाती न हो तो प्रेक्षित पाठ्यांक , वास्तविक पाठ्यांक से भिन्न होगा।
इस त्रुटि के निवारण के लिए एक बार पाठ्यांक लेने के बाद चुंबक को उसी स्थान पर पूनः फलक को पलट कर रखते हैं और पूनः पाठक लेते है ।
इस प्रकार उपयुक्त दोनों त्रुटियों के निराकरण हेतु विक्षेप चुंबकत्वमापी के चार पाठ्यांक लिए जाते हैं ,
जिसका माध्य सही पाठ्यांक होता है।
(3). चुम्बक के दोनों ध्रुवों का चुम्बक के मध्य बिंदु से समान दूरी पर न होना –
यदि चुम्बक के दोनों ध्रुव उसके मध्य बिंदु से समान दूरी पर न हो तो चुम्बक के एक ध्रुव को चुंबकीय सुई की ओर रखने पर पाठ्यांक कम और चुम्बक के दूसरे ध्रुव को सुई की ओर रखनेपर पाठ्यांक अधिक होगा।
इस त्रुटि के निवारण के लिए एक बार पाठ्यांक लेने के बाद उसी स्थान पर चुम्बक के ध्रुवों को बदल कर रखते हैं, जिसका माध्य सही पाठ्यांक होता है।
इस प्रकार उपरोक्त तीनों प्रकार की त्रुटियों के निवारण हेतु विक्षेप के आठ पाठ्यांक लिये जाते हैं , जिसका माध्य सही पाठ्यांक होता है ।
(4).भुजाओं के पैमाने के 0 चीन्ह का वृत्तिय पैमाने के केंद्र पर न होना –
यदि भुजाओं के पैमाने का शून्य चिन्ह वृत्तीय पैमाने के केंद्र पर नहीं है तो चुंबक को विक्षेप चुंबकत्वमापी की एक भुजा पर रखने पर विक्षेप कम तथा दूसरी भुजा पर रखने पर विक्षेप अधिक होगा ।
इसे स्केल त्रुटि (Error of scale) भी कहते हैं ।
इस त्रुटि के निवारण के लिए चुम्बक को एक भुजा पर रखकर आठ पाठ्यांक नोट करते हैं ।
तत्पश्चात चुम्बक को उतनी ही दूरी पर दूसरी भुजा पर रखकर पुनः आठ पाठ्यांक नोट कर लेते हैं।
इस प्रकार , दोनों भुजाओं पर विक्षेप के सोलह पाठ्यांक प्राप्त होते हैं ।
इसका माध्य ही शुद्ध विक्षेप का मान होता है।
चुम्बकीय आघूर्ण (Magnetic Moment)