Integrated Circuit in hindi

एकीकृत परिपथ I.C. (Integrated Circuit I.C.)

Integrated Circuit –

एकीकृत परिपथ उस परिपथ को कहते हैं जिसमें बहुत से प्रतिरोधक R., संधारित्र C, डायोड, ट्रांजिस्टर आदि अर्द्धचालक के छोटे-से ब्लॉक, जिसे चिप (Chip) कहते हैं,

पर बने होते हैं तथा आंतरिक रूप से सम्बन्धित होते हैं।

चिप का आकार 1 मिमी x 1 मिमी या उससे भी छोटा हो सकता है।

Integrated Circuit

परिपथ में घटकों के आधार पर एकीकृत परिपथ को निम्न वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है –

(i) स्माल स्केल इंटीग्रेशन SSI-

इसमें घटकों की संख्या ≤ 10 होती है।

(ii) मीडियम स्केल इंटीग्रेशन MSI-

इसमें घटकों की संख्या ≤100 होती है।

(iii) लार्ज स्केल इंटीग्रेशन LSI –

इस परिपथ में घटकों की संख्या ≤ 1000 होती है।

(iv) वेरी लार्ज स्केल इंटीग्रेशन VLSI-

इसमें घटकों की संख्या 1000 से अधिक होती है।

एकीकृत परिपथ बनाने की विधियाँ-

एकीकृत परिपथ बनाने की प्रक्रिया बहुत जटिल है।

नीचे एक सिलिकॉन वेफर (Silicon wafer) से प्रारम्भ करके एकीकृत परिपथ बनाने की विभिन्न प्रक्रियाओं का वर्णन संक्षेप में किया जा रहा है –

(I) एपिटैक्सियल संवृद्धि (Epitaxial growth)-

इसके अंतर्गत सिलिकॉन वेफर पर इच्छित n – प्रकार या p- प्रकार की पर्तों का संवर्धन किया जाता है।

(ii) ऑक्सीकरण (Oxidation)-

सिलिकॉन चिप के ऊपर विद्युतरोधी SiO2, की पर्त ऑक्सीकरण द्वारा प्राप्त की जाती है

जो सिलिकॉन चिप के एक क्षेत्र को दूसरे क्षेत्र से पृथक करती है।

(iii) फोटो लिथोग्राफी (Photo lithography) –

इस प्रक्रिया में फोटोग्राफी विधि से चिप के विभिन्न क्षेत्रों का चयन किया जाता है ताकि विभिन्न क्षेत्रों में विभिन्न घटकों का निर्माण किया जा सके।

(iv) विभिन्न अशुद्धियों का विसरण (Diffusion of different impurities) –

इस विधि में सिलिकॉन चिप पर विभिन्न युक्तियाँ प्राप्त करने के लिए विभिन्न अशुद्धियों का विसरण किया जाता है।

(v) धातुलेपन (Metallisation)-

इस प्रक्रिया में धातु फिल्मों का निक्षेपण (Deposite) किया जाता है जो इच्छित परिपथ प्राप्त करने के लिए चिप पर बने विभिन्न घटकों को परस्पर जोड़ता है।

एकीकृत परिपथ की विशेषताएँ –

(i) वे आकार में छोटे होते हैं।

(ii) वे अधिक विश्वसनीय होते हैं क्योंकि उनमें संयोजन कम होते हैं।

(iii) उनकी कीमत कम होती है।

(iv) उनको संचालित करने में कम शक्ति व्यय होती है।

(v) परिपथों की संख्या कम होने के कारण उनका वजन कम होता है

(vi) वे लघुपथन प्रभाव से दूर होते हैं।

(vii) उन्हें आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाया जा सकता है।

एकीकृत परिपथ की सीमायें—

(i) उच्च शक्ति एकीकृत परिपथ का निर्माण सम्भव नहीं है।

(ii) यदि एकीकृत परिपथ का कोई भी एक घटक उचित रूपसे कार्य नहीं कर रहा है तो पूरे IC को बदलना पड़ता है।

(iii) चिप की सतह पर ट्रांसफॉर्मर और प्रेरकत्व का निर्माण सम्भव नहीं है। उन्हें अलग से जोड़ना पड़ता है।

(iv) वे अधिक आवृत्ति पर कम प्रभावी होते हैं।

उपयोग –

IC परिपथों का उपयोग बहुतायत रूप से टेलीविजन, रेडियो, कम्प्यूटर आदि में किया जाता है।

IC तकनीकी के विकसित होने के कारण ही बाजार में अत्यधिक संख्या में कम्प्यूटर उपलब्ध हुए हैं।

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Author: educationallof

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