समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं

समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं (Equipotential Surface)

समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं –

वह पृष्ठ जिसके प्रत्येक बिन्दु का विभव समान रहता है, समविभव पृष्ठ कहलाता है।

यदि किसी बिन्दु आवेश Q के चारों ओर r त्रिज्या के गोले की कल्पना करें तो

इस गोले के पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विभव [ V = 1/ 4πε0 K . Q/ r ] समान होगा।

अत: इस गोले का पृष्ठ समविभव पृष्ठ होगा।

समविभव पृष्ठ किसे कहते हैं

स्पष्ट है कि यदि बिन्दु आवेश Q को केन्द्र मानकर r1 , r2 , r3 ,  ….. त्रिज्या के संकेन्द्री गोले खींचे जायें तो उनके पृष्ठ अलग-अलग समविभव पृष्ठ होंगे।

हम जानते हैं कि एकांक धनावेश को बल रेखाओं के लम्बवत् एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जायें तो किये गये कार्य का मान शून्य होता है।

हम यह भी जानते हैं कि समविभव पृष्ठ में एकांक धनावेश को एक विन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता।

अतः विद्युत् बल रेखाएँ समविभव पृष्ठ के अभिलम्बवत् होती है।

नोट: (i) मानलो समविभव पर दो विन्दु A और B हैं।

यदि एकांक धनावेश को B से A तक लाने में किया गया कार्य

W हो तो

विभवान्तर  VA-VB = W

समविभव पृष्ठ पर , VA  = VB 

समीकरण (1) से,

W = 0

अतः समविभव पृष्ठ पर एकांक धनावेश को एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु एक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता।

 (ii) यदि दो समविभव पृष्ठ एक-दूसरे को काटें तो कटान बिन्दु पर विभव के दो मान होंगे, जो कि सम्भव नहीं है।

अतः दो समविभव पृष्ठ एक-दूसरे को नहीं काटते।

समविभव पृष्ठ के गुण-

समविभव पृष्ठ के निम्न गुण हैं:

(i) पृष्ठ के प्रत्येक बिन्दु पर विभव का मान समान होता है।

(ii) एकांक धनावेश को इस पृष्ठ के एक बिन्दु से दूसरे बिन्दु तक ले जाने में कोई कार्य नहीं करना पड़ता।

(iii) विद्युत् बल रेखाएँ समविभव पृष्ठ के अभिलम्बवत् होती हैं।

(iv) दो समविभव पृष्ठ एक-दूसरे को कभी नहीं काटते।

(v) किसी विद्युत् चालक का पृष्ठ सदैव समविभव पृष्ठ होता है।

इसका कारण यह है कि चालक के पृष्ठ के सभी बिन्दु एक-दूसरे के विद्युत् सम्पर्क में होते हैं।

यदि सभी बिन्दुओं के विभव समान नहीं हैं तो आवेश अधिक विभव वाले बिन्दु से कम विभव वाले बिन्दु की ओर उस समय तक प्रवाहित होगा जब तक कि उन बिन्दुओं का विभव समान नहीं हो जाता।

अत: विद्युत् चालक का पृष्ठ सदैव समविभव पृष्ठ होता है।

समविभव पृष्ठ का महत्व (Importance of equipotential surfaces)-

समविभव पृष्ठ किसी आवेश या आवेशों के निकाय के विद्युत् क्षेत्र का चित्रात्मक प्रतिरूप प्रस्तुत करता है।

जहाँ विद्युत् क्षेत्र प्रबल होता है, वहाँ समविभव पृष्ठ पास-पास होते हैं तथा जहाँ विद्युत् क्षेत्र दुर्बल होता है वहाँ समविभव पृष्ठ दूर दूर होते हैं।

विद्युत् बल रेखाएं  समविभव पृष्ठ के अभिलम्बवत् होती हैं।

नीचे चित्रों में कुछ आवेश निकायों के दूर लिए समविभव पृष्ठों को बिन्दुदार वक्रों से प्रदर्शित किया गया है।

समविभव पृष्ठ

दिष्टीकरण किसे कहते हैं

विद्युत् आवेश का क्वाण्टीकरण

विद्युत् वाहक बल और विभवान्तर में अन्तर

पायसों के अनुप्रयोग

कण व तरंग में अंतर

अमीटर और वोल्टमीटर में अंतर

विद्युत् चुम्बकीय क्षेत्र और द्रव्य चुम्बकीय क्षेत्र में अंतर

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Author: educationallof

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