विद्युत क्षेत्र की परिभाषा , मात्रक एवं विमीय सूत्र (परिक्षण आवेश):-

विद्युत क्षेत्र की परिभाषा :-

किसी विद्युत आवेश के चारों ओर का वह क्षेत्र जहाँ तक उसका प्रभाव होता है , विद्युत क्षेत्र कहलाता है।

विद्युत क्षेत्र की तीव्रता (Intensity of Electric Field) :-

विद्युत क्षेत्र के प्रभाव की माप जिस भौतिक राशि से की जाती है , उसे विद्युत क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं।

विद्युत् क्षेत्र के किसी बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की माप उस बिन्दु पर रखे एकांक धनावेश पर लगने वाले बल से की जाती है।
वह “विद्युत् क्षेत्र के किसी बिन्दु पर स्थित एकांक धनावेश जितने बल का अनुभव करता है , उसे उस बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता कहते हैं।” यह एक सदिश राशि हैं। इसकी दिशा वह होती है , जिसमें एकांक धनावेश पर बल लगता है।

[ परीक्षण आवेश (Test Charge) :-

एक कूलॉम आवेश , आवेश की एक बड़ी राशि है। एक कूलॉम धनावेश का अर्थ 6.25 ×10¹⁸  इलेक्ट्रॉनों का पदार्थ से बाहर निकलना या एक कूलॉम ऋणावेश का अर्थ 6.25 × 10¹⁸ इलेक्ट्रॉनों की अधिकता है। एक कूलॉम आवेश को किसी विद्युत् क्षेत्र में रखने पर इस आवेश का स्वयं का भी एक क्षेत्र निर्मित हो जाता है जिससे उस विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता प्रभावित हो जाती है जिसमें इसे रखा गया है। अतः एक परीक्षण आवेश की कल्पना की गई , परीक्षण आवेश वह आवेश होता है जिसे किसी विद्युत् क्षेत्र में रखने पर उस क्षेत्र की तीव्रता में कोई परिवर्तन नहीं होता।

परीक्षण आवेश के आधार पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता को निम्न प्रकार से परिभाषित किया जाता है –

किसी बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता उस बिन्दु पर रखे परीक्षण धनावेश पर लगने वाले बल और परीक्षण धनावेश के मान के अनुपात के बराबर होती है।
इस प्रकार ,

यदि विद्युत् क्षेत्र के किसी बिन्दु पर रखे परीक्षण धनावेश q₀ पर लगने वाला बल F हो , तो उस बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता

E = F / q₀ …..(1)

सदिश रूप में ,

⃗E⃗ = ⃗⃗F/ q₀

यदि किसी बिन्दु पर विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता ज्ञात हो , तो समीकरण की सहायता से उस बिन्दु पर रखे किसी आवेश पर लगने वाले बल का मान ज्ञात किया जा सकता है।

इस प्रकार यदि E तीव्रता वाले विद्युत् क्षेत्र के किसी बिन्दु पर q आवेश रख दिया जाए तो

उस पर लगने वाला बल F = qE होगा।

विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक :-

समीकरण (1) से ,

E = F / q₀
E का मात्रक = F का मात्रक / q₀ का मात्रक
इस प्रकार ,
S.I. पद्धति में E का मात्रक = न्यूटन /कूलॉम

अतः S.I. पद्धति में विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता का मात्रक न्यूटन/कूलॉम

तथा C.G.S. पद्धति में डाइन /स्थैत कूलॉम होता है।
विमायें :-
समीकरण (1) से ,
E = F / q₀
E का मात्रक = F का मात्रक / q₀ का मात्रक
= [MLT ] / AT
= [MLT-³ A-¹ ]

नोट :- विद्युत् क्षेत्र की तीव्रता को संक्षेप में विद्युत् क्षेत्र भी कहते हैं।

चुम्बकीय क्षेत्र की तीव्रता

educationallof
Author: educationallof

59 thoughts on “विद्युत क्षेत्र की परिभाषा , मात्रक एवं विमीय सूत्र (परिक्षण आवेश):-

  1. Pingback: - educationallof
  2. You really make it seem so easy with your presentation but I find this matter
    to be really something which I think I would never understand.
    It seems too complex and very broad for me.

    I’m looking forward for your next post, I’ll try
    to get the hang of it!

  3. Howdy would you mind letting me know which hosting company you’re using?
    I’ve loaded your blog in 3 different browsers and I must say this blog loads
    a lot quicker then most. Can you suggest a good internet hosting provider
    at a reasonable price? Thank you, I appreciate it!

  4. I do not know whether it’s just me or if everyone else experiencing issues with your website.
    It seems like some of the text on your content are running off the screen. Can somebody else please comment and let me know if this is happening to them as well?
    This might be a problem with my browser because I’ve had this happen before.
    Cheers

  5. F*ckin¦ tremendous issues here. I am very happy to peer your article.
    Thanks so much and i’m looking forward to
    touch you. Will you kindly drop me a e-mail?

  6. Hi, I do believe this is a great web site. I stumbledupon it 😉 I am
    going to come back once again since i have saved as a favorite it.
    Money and freedom is the greatest way to change, may you be rich and continue to help others.

  7. With havin so much content do you ever run into any issues of
    plagorism or copyright infringement? My blog has a lot of completely unique content I’ve either written myself or outsourced but
    it looks like a lot of it is popping it up all over the web without my
    agreement. Do you know any techniques to help reduce content from being stolen? I’d really appreciate
    it.

Comments are closed.

error: Content is protected !!