मॉडुलन (Modulation ) किसे कहते हैं?

मॉडुलन (Modulation)

श्रव्य आवृत्ति की तरंगों को रेडियो आवृत्ति की तरंगों (वाहक तरंग) के साथ अध्यारोपण करना मॉडुलन (Modulation) कहलाता है।

अध्यारोपण के फलस्वरूप प्राप्त परिणामी तरंग को मॉडुलित तरंग (Modulation Waves) कहते हैं।

कम आवृत्तियों के सिग्नल को लम्बी दूरियों तक सम्प्रेषित नहीं किया जा सकता।

अतः इन्हें एक प्रक्रिया द्वारा उच्च आवृत्ति के सिग्नल जिसे वाहक सिग्नल (Carrier signal) कहते हैं ,के ऊपर आरोपित किया जाता है , इसे ही मॉडुलन कहते हैं।

इस प्रकार मॉडुलन वह प्रक्रिया है जिसमें निम्न आवृत्ति के सिग्नल (श्रव्य ) को उच्च आवृत्ति के वाहक तरंग पर अध्यारोपित किया जाता है

जिससे वाहक तरंग कुछ गुणों जैसे आयाम , आवृत्ति या कला में निम्न आवृत्ति के सिग्नल के तात्क्षणिक मान के अनुसार परिवर्तन होता है।

मॉडुलन की आवश्यकता 

श्रव्य आवृत्ति का परास 20Hz से 20kHz तक होता है। इस परास के सिग्नल को लम्बी दूरी तक प्रेषित करना सम्भव नहीं है।

इसके कारण निम्न हैं –

(१) इनकी ऊर्जा बहुत कम ( लगभग 10⁻¹²eV) होती है।

वायुमण्डल में प्रसारण के समय ऊर्जा ह्रास के कारण इनका आयाम घटता जाता है और अंत में लगभग शून्य हो जाता है।

अतः तरंगें समाप्त हो जाती है।

(२) विद्युत् – चुम्बकीय तरंगों को प्रसारित करने के लिए प्रयुक्त ऐण्टिना की लम्बाई को सम्प्रेषित की जाने वाली तरंगों के तरंगदैर्ध्य की कोटि का होना चाहिए।

चूंकि λ = c/υ होती है।

श्रव्य आवृत्ति परास के लिए ऐण्टिना की आवश्यक लम्बाई 3⨯18⁸/20,000 = 1.5⨯10⁴ मीटर से 3⨯10⁸/20 = 1.5⨯10⁷ मीटर के मध्य होना चाहिए

जो कि व्यवहार में सम्भव नहीं है।

अब यदि 3000 किलो हर्ट्ज या 3 मेगा हर्ट्ज या इससे अधिक आवृत्ति की रेडियो तरंगों को प्रसारित करना चाहें

तो इसके लिए आवश्यक ऐण्टिना की लम्बाई 3⨯10⁸/3⨯10⁶ = 100 मीटर या इससे कम होगी।

इस लम्बाई के ऐण्टिना का निर्माण आसानी से किया जा सकता है।

(३) सामान्यतः कई प्रेषित्रों से एक साथ सिग्नल प्रसारित किये जाते हैं।

ये सिग्नल आपस में मिल सकते हैं। उन्हें पृथक् करना सम्भव नहीं होगा।

इस समस्या से मुक्ति पाने के लिए आवश्यक है कि प्रत्येक प्रेषित्र को उच्च आवृत्ति पर एक निश्चित आवृत्ति बैण्ड आबंटित कर दिया जाये जिससे वे आपस में मिश्रित न हो पायें।

अतः श्रव्य आवृत्ति की तरंगों को प्रसारित करने के लिए उन्हें मेगा हर्ट्ज या आवृत्ति क्रम की रेडियो तरंगों के साथ अध्यारोपित किया जाता है।

इन रेडियो तरंगों को वाहक तरंग (Carrier waves) कहते हैं। यह प्रक्रिया मॉडुलन (Modulation) कहलाती है।

श्रव्य आवृत्ति की तरंगों को रेडियो आवृत्ति की तरंगों (वाहक तरंग) के साथ अध्यारोपण करना मॉडुलन कहलाता है।

अध्यारोपण के फलस्वरूप प्राप्त परिणामी तरंग को मॉडुलित तरंग (Modulation Waves) कहते हैं।

श्रव्य आवृत्ति की तरंगें मॉडुलक तरंग (Modulation waves ) कहलाती हैं।

मॉडुलन के प्रकार (Kind of Modulation) :-

वाहक तरंग (Carrier waves) को निम्न समीकरण द्वारा व्यक्त किया जाता है –

e = E sin (ωt + θ)

जहाँ e वाहक तरंग का तात्क्षणिक मान , E आयाम (अधिकतम मान) , ω कोणीय आवृत्ति तथा θ कला कोण है।

E , ω और θ के संगत मॉडुलन के तीन प्रकार होते हैं –

(1). आयाम मॉडुलन

(2). आवृत्ति मॉडुलन

(3). कला मॉडुलन।

आयाम मॉडुलन (Amplitude modulation) :-

इस प्रकार के मॉडुलन में ωc ( कोणीय आवृत्ति ) तथा θ कला कोण को नियत रखकर वाहक तरंग के आयाम Ec मे श्रव्य आवृत्ति तरंगों ( मॉडुलक तरंगों ) के आयाम के अनुसार परिवर्तन किया जाता है।

अतः जब श्रव्य आवृत्ति तरंगों को वाहक तरंगों के साथ इस प्रकार अध्यारोपित कराया जाता है

कि मॉडुलित तरंग का आयाम , मॉडुलक तरंग के आयाम का रैखिक फलन हो , तो इस प्रकार के मॉडुलन को आयाम मॉडुलन कहते हैं।

इसमें मॉडुलक तरंग की आवृत्ति तथा कला वाहक तरंग की आवृत्ति तथा कला के समान होते हैं।

ग्राफीय निरूपण :-

क्रमशः मॉडुलक सिग्नल वाहक तरंग तथा आयाम मॉडुलित तरंग प्रदर्शित किये गये हैं।

चित्र से स्पष्ट है कि वाहक तरंग का आयाम मॉडुलक सिग्नल के आयाम के साथ साथ घटता बढ़ता है।

इस प्रकार मॉडुलित तरंग का आयाम ओनियत नहीं रहता।

अतः AM मॉडुलित तरंग के आवरण मे वहीं परिवर्तन दिखाई देता है , जो मॉडुलक सिग्नल मे होता है।

आयाम मॉडुलन

मॉडुलित तरंग का व्यंजक :-

e = Ec sin ωc t – mₐEc/2 cos(ωc+ωm)t + mₐEc/2 cos(ωc-ωm)t

आयाम मॉडुलन

समीकरण से स्पष्ट है कि

1. आयाम मॉडुलित तरंग , तीन ज्यावक्रीय तरंगों जिनके आयाम क्रमशः Ec , mₐEc/2 तथा mₐEc/2 के योग के तुल्य होती है।

2. आयाम मॉडुलित तरंग मे तीन कोणीय आवृत्तियों ωc, (ωc + ωm) तथा (ωc – ωm) समाहित होती हैं।

इनमें से प्रथम आवृत्ति वाहक तरंग की आवृत्ति होती है।

अतः आयाम मॉडुलन की प्रक्रिया में वाहक तरंग की आवृत्ति अपरिवर्तित रहती है।

किन्तु दो नई आवृत्तियाँ (ωc + ωm) तथा (ωc – ωm) उत्पन्न हो जाती है।

मॉडुलन गुणांक (Modulation factor ):-

वाहक तरंग के आयाम में अपने प्रारंभिक आयाम से अधिकतम परिवर्तन और वाहक तरंग के प्रारंभिक आयाम के अनुपात को मॉडुलन गुणांक कहते हैं।

सूत्र के रूप में ,

मॉडुलन गुणांक = वाहक तरंग के आयाम में अपने प्रारंभिक आयाम से अधिकतम परिवर्तन / वाहक तरंग का प्रारंभिक आयाम

mₐ = KₐEm / Ec

मॉडुलन गुणांक को मॉडुलन सूचकांक (Modulation intex ) या मॉडुलन की गहराई (Depth of modulation) भी कहते हैं।

आयाम मॉडुलन मे Kₐ का मान 1 रखा जाता है। अतः
mₐ = Em / Ec

अतः मॉडुलक सिग्नल के आयाम और वाहक तरंग के आयाम के अनुपात को मॉडुलन गुणांक कहते हैं।

mₐ का मान सामान्यतः 0 से 1 के बीच होता है।

प्रायः mₐ को प्रतिशत में दर्शाया जाता है।

अतः इसे प्रतिशत मॉडुलन कहा जाता है।

प्रतिशत मॉडुलन mₐ = E max – E min / E max + E min ×100%

विभिन्न स्थितियां :-

1. यदि mₐ = 0 हो , तो KₐEm = 0 होगा अर्थात वाहक तरंग के आयाम में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

अतः कोई मॉडुलन नहीं होगा।

2. यदि mₐ = 50% =1/2 हो , तो समीकरण से E max = 3E min

इस स्थिति में मॉडुलित तरंग चित्र (c) में दर्शाये अनुसार होगी।

अतः वाहक तरंग मॉडुलन के अधीन होती है।

3. यदि mₐ = 100% =1 हो तो समीकरण से E min =0 होगा।

इस स्थिति में मॉडुलित तरंगचित्र (d) में दर्शाये अनुसार होगी। स्पष्ट है कि वाहक तरंग पूर्णतः मॉडुलित होगी।

4. यदि mₐ > 1 हो , तो मॉडुलन को अति मॉडुलन (Over modulation) कहा जाता है।

इस स्थिति में मॉडुलित तरंग में दर्शाये अनुसार होगी।

स्पष्ट है कि मॉडुलित तरंग मॉडुलक सिग्नल के ऋणात्मक शिखर मान पर अनुपस्थित रहेगी।

मॉडुलन गुणांक का महत्व :-

मॉडुलन गुणांक प्रेषित सिग्नल की गुणता तथा क्षमता को निर्धारित करता है।

यदि गुणांक कम हो तो वाहक तरंग के आयाम मे परिवर्तन कम होगा।

अतः प्रेषित किया जाने वाला सिग्नल प्रबल नहीं होगा। मॉडुलन गुणांक का मान जितना अधिक होगा , अभिग्रहण पर श्रव्य सिग्नल उतना ही प्रबल एवं स्पष्ट होगा।

अतिमॉडुलन की स्थिति में अभिग्रहण पर श्रव्य सिग्नल मे विकृति उत्पन्न हो जायेगी।

अतः प्रबल एवं स्पष्ट अभिग्रहण के लिए मॉडुलन गुणांक का मान 1 से अधिक नहीं होना चाहिए।

आवृत्ति वर्णक्रम (Frequency spectrum ) :-

मॉडुलित तरंग की आवृत्ति तथा उसके संगत आयाम को प्रदर्शित करने वाले ग्राफ को आवृत्ति वर्णक्रम कहते हैं।

इस प्रकार समीकरण से यह स्पष्ट है कि आयाम मॉडुलित तरंग मे तीन आवृत्तियाँ ωc, (ωc + ωm) तथा (ωc – ωm) उपस्थित होती हैं

जिनके आयाम क्रमशः Ec , mₐEc/2 तथा mₐEc/2 होती है।

आवृत्ति (ωc + ωm) को उच्च पार्श्व आवृत्ति (upper side frequency) तथा (ωc – ωm) को निम्न पार्श्व आवृत्ति (lower side frequency) कहते हैं।

AM में आवृत्ति वर्णक्रम

मॉडुलक सिग्नल पूर्णतः ज्यावक्रीय नहीं होता।

इसे कई भिन्न भिन्न आयामों और आवृत्तियों वाली तरंगों के अध्यारोपण का परिणामी माना जा सकता है।

इनमें से प्रत्येक मॉडुलक सिग्नल के संगत वाहक तरंग के दोनों ओर पार्श्व आवृत्तियों ( ωc + ωm) तथा (ωc – ωm) का एक जोड़ा प्राप्त होता है।

इस प्रकार वाहक तरंग के दोनों ओर पास पास आवृत्तियों का एक समूह प्राप्त होता है।

पार्श्व आवृत्तियों के इन समूहों को पार्श्व बैण्ड कहते हैं।

वाहक तरंग से उच्च आवृत्ति की ओर वाले समूह को उच्च पार्श्व बैण्ड USD कहते हैं तथा निम्न आवृत्ति की ओर वाले समूह को निम्न पार्श्व बैण्ड LSB कहते हैं।

मॉडुलक सिग्नल इन्हीं दोनों पार्श्व बैण्डों मे निहित होता है.

बैण्ड की कोणीय चौड़ाई = (ωc+ωm)-(ωc-ωm) = 2 ωm

बैण्ड चौड़ाई =2 ωm / 2π = 2 x 2πfm /2π = 2fm

अतः आयाम मॉडुलन मे बैण्ड चौड़ाई , मॉडुलक सिग्नल की आवृत्ति के दुगुने के बराबर होती है।

आयाम मॉडुलन AM से लाभ :-

1. AM सिगनलों को उत्पन्नकरने एवं अभिग्रहण करने के लिए आवश्यक उपकरण सरल और सस्ते होते हैं।

2. इस मॉडुलन के लिए प्रयुक्त वाहक तरंग की आवृत्तियाँ कम (0.5 से 20MHz) होती हैं।

3. आयाम मॉडुलन में मॉडुलक सिग्नल को प्रेषित करने की विधि आसान होती है।

आयाम मॉडुलन के दोष :-

1. AM की दक्षता कम होती है।

इसमें सूचनाएं या संदेश सिग्नल पार्श्व बैण्डों में होते हैं , वाहक तरंग में नहीं।

यह पाया गया है कि AM में एक तिहाई शक्ति ही पार्श्व बैण्डों में होती है , शेष शक्ति वाहक तरंग में निहित होती है।

अतः उपयोगी शक्ति कम होने के कारण इसकी दक्षता कम होती है।

2. इसका प्रसारण परास कम होता है।

उपयोगी शक्ति कम होने के कारण सिग्नल को अधिक दूरी तक प्रसारित नहीं किया जा सकता।

3. इसकी गुणता कम होती हैं।

4. AM संचरण शोर युक्त होता है।

वायुमंडलीय और वैद्युतीय व्यवधानों के कारण मूल सिग्नल में अवांछित सिग्नल सम्मिलित हो जाते हैं।

अवांछित सिग्नल ही शोर कहलाते हैं।

5. AM में अभिग्रहण की तद् रूपता (Fidelity) कम होती हैं।

श्रव्य सिग्नल का आवृत्ति परास 20Hz से 20kHz होता है।

अतः बैण्ड चौड़ाई 40kHz होनी चाहिए।

किन्तु आसपास के रेडियो स्टेशनों के कारण किसी प्रकार के व्यवधान को ध्यान में रखते हुए बैण्ड चौड़ाई केवल 20kHz रखी जाती है।

6. VHF और UHF प्रसारण में अनुपयोगी है।

आवृत्ति मॉडुलन (Frequency Modulation , FM) :-

इस प्रकार के मॉडुलन में Ec और θ को नियत रखकर वाहक तरंग की आवृत्ति में मॉडुलक तरंग की आवृत्ति के अनुसार परिवर्तन किया जा सकता है।

जब मॉडुलक तरंगों को वाहक तरंगों कके साथ इस प्रकार अध्यारोपण कराया जाता है

कि मॉडुलित तरंग की आवृत्ति मॉडुलक तरंग के आयाम का रैखिक फलन हो , तो इस प्रकार के मॉडुलन के आवृत्ति मॉडुलन कहते हैं।

इसमें मॉडुलित तरंग के आयाम तथा कला वाहक तरंग के आयाम तथा कला के समान होते हैं।

आवृत्ति मॉडुलन का ग्राफीय निरूपण :-

चित्र a , b और c में क्रमशः वाहक तरंग , न्यून आवृत्ति सिग्नल तथा FM मॉडुलित तरंग प्रदर्शित किये गये है ,

चित्र से स्पष्ट है कि मॉडुलित तरंग का आयाम स्थिर है जबकि आवृत्ति में परिवर्तन हो रहा हैं।

जिस क्षण मॉडुलक सिग्नल का आयाम अधिक होता है उस क्षण मॉडुलित तरंग की आवृत्ति अधिक तथा जिस क्षण मॉडुलक सिग्नल का आयाम कम होता है

उस क्षण आवृत्ति कम होती है।

आवृत्ति मॉडुलन

आवृत्ति में विचलन के लिए व्यंजक :-

आवृत्ति मॉडुलन में वाहक तरंग की आवृत्ति उसके अमॉडुलित मान से जितनी मात्रा में परिवर्तित होती है , उसे विचलन (Deviation) कहते हैं।

f – fc = KEm sinωm t

f = fc + KEm sinωm t

यही आवृत्ति में विचलन के लिए व्यंजक है।

sinωm t का अधिकतम मान +- 1होता है।

अतः समीकरण से ,

δ max = +- KEm

तथा समीकरण से ,

f max = fc +- KE m

आवृत्ति मॉडुलन की गहराई :-

आवृत्ति मॉडुलन में अधिकतम आवृत्ति विचलन और मॉडुलक सिग्नल की आवृत्ति के अनुपात को मॉडुलन की गहराई कहते हैं।

सूत्र के रूप में ,

मॉडुलन की गहराई = अधिकतम आवृत्ति विचलन / मॉडुलक सिग्नल की आवृत्ति

mf = δ max / fm = +- KE m / fm

स्पष्ट है कि मॉडुलक तरंग की आवृत्ति कम होने पर मॉडुलक की गहराई अधिक होती है।

मॉडुलन की गहराई को मॉडुलन सूचकांक भी कहते हैं। इसका कोई मात्रक नही होता है।

आवृत्ति मॉडुलन का आवृत्ति वर्णक्रम :-

1. आवृत्ति मॉडुलित तरंग में वाहक तरंग की आवृत्ति fc के साथ साथ अनंत संख्या में पार्श्व बैण्ड भी होते हैं

जिनकी आवृत्तियाँ fc+- fm , fc +-2fm , fc +-3fm …… होती है।

इस प्रकार पार्श्व बैण्ड वाहक आवृत्ति से fm , 2fm , 3fm …… अन्तराल पर होते हैं।

2. पार्श्व बैण्ड आवृत्तियाँ वाहक तरंग की आवृत्ति के दोनों ओर सममित होती हैं

अर्थात वाहक आवृत्ति से समान अन्तरालों में पार्श्व बैण्ड जोड़ो के आयाम समान होते हैं।

3. पार्श्व बैण्डों की संख्या मॉडुलन गुणांक mf पर निर्भर करती है।

आवृत्ति विचलन δ कआ मान बढ़ने पर पार्श्व बैण्डों की संख्या बढ़ती है , यदि fm नियत हो।

इसी प्रकार fm को बढ़ाने पर पार्श्व बैण्डों की संख्या घटती है , यदि δ नियम हो।

4. आवृत्ति मॉडुलित तरंग में श्रव्य सिग्नल पार्श्व बैण्ड में निहित होता है।

अतः किसी विशिष्ट पार्श्व बैण्ड जोड़े की बैण्ड चौड़ाई = 2nfm ,

जहाँ n विशिष्ट पार्श्व बैण्ड जोड़े की संख्या है।

आवृत्ति वर्णक्रम

आवृत्ति मॉडुलन (FM) के लाभ :-

1. आवृत्ति मॉडुलन संचरण की दक्षता अधिक होती है , क्योंकि इसमें मॉडुलित तरंग का आयाम नियत रहता है जिससे प्रसारित शक्ति नियत रहती है।

2. इसमें आयाम नियत रहता है।

अतः आयाम नियंत्रक का उपयोग करके शोर के स्तर को कम किया जा सकता है , क्योंकि शोर परिवर्तित आयाम के रूप में उपस्थित रहता है।

3. आवृत्ति मॉडुलन की क्रियाएं VHF और UHF बैण्ड में होती है , जहाँ शोर की मात्रा अत्यंत ही न्यून होती है।

4. इसमें आवृत्ति विचलन को बढ़ाकर शोर को कम किया जा सकता है।

5. इसमें अभिग्रहण की तद् रूपता (Fidelity) उच्च होती हैं , क्योंकि इसमें अधिक संख्या में पार्श्व बैण्ड उपस्थित रहते हैं।

6. आवृत्ति मॉडुलन में कई स्वतंत्र प्रेषित उसी आवृत्ति परास में बिना व्यवधान के एक साथ उपयोग में लाये जा सकते हैं।

आवृत्ति मॉडुलन के दोष :-

1. इसमें AM की तुलना में 10 गुना अधिक चैनल परास की आवश्यकता होती है।

2. इसमें AM की तुलना में अभिग्रहण क्षेत्रफल कम होता है।

3. FM प्रेषित और अभिग्राही जटिल और महँगे होते हैं।

आयाम मॉडुलन और आवृत्ति मॉडुलन की तुलना –

आयाम मॉडुलन , AM आवृत्ति मॉडुलन, FM
1. इसमें वाहक तरंग का आयाम मॉडुलन सिग्नल के तात्क्षणिक मान के अनुसार परिवर्तित होता है।
2. इसकी दक्षता कम होती है।
3. इसमें प्रेषित शक्ति का केवल एक तिहाई भाग ही उपयोगी होता है।
4. इसमें मॉडुलन सिग्नल शोर युक्त होता है।
5. AM प्रसारण MF और HF आवृत्ति परास में होता है।
6. इसकी गुणता कम होती है।
7. इसमें प्रयुक्त उपकरण सरल एवं सस्ते होते हैं।
1. इसमें वाहक तरंग की आवृत्ति मॉडुलन सिग्नल के तात्क्षणिक मान के अनुसार परिवर्तित होता है।
2. इसकी दक्षता अधिक होती है।
3. इसमें प्रेषित संपूर्ण शक्ति उपयोगी होती है।
4. इसमें मॉडुलन सिग्नल में शोर की मात्रा बहुत ही कम होती है।
5. FM प्रसारण VHF और UHF आवृत्ति परास में होता है।
6. इसकी गुणता अधिक होती है।
7. इसमें प्रयुक्त उपकरण जटिल एवं महँगे होते हैं।

कला मॉडुलन (Phase modulation , PM ) :-

इस प्रकार के मॉडुलन में , Ec और ωc को नियत रखकर वाहक तरंग की कला में मॉडुलक तरंग की कला के अनुसार परिवर्तन किया जाता है।

जब किसी मॉडुलक तरंग को वाहक तरंगों के साथ इस प्रकार अध्यारोपित कराया जाता है

कि मॉडुलित तरंग की कला मॉडुलक तरंग की कला का रैखिक फलन हो , तो इस प्रकार के मॉडुलन को कला मॉडुलन कहते हैं।

इसमें मॉडुलित तरंग के आयाम तथा आवृत्ति , वाहक तरंग के आयाम तथा आवृत्ति के समान होते हैं।

a , b और c में क्रमशः वाहक तरंग , मॉडुलक सिग्नल और PM मॉडुलित तरंग प्रदर्शित किये गये हैं।

PM तरंग की कला में सीधे सीधे परिवर्तन दिखलाई नहीं पड़ रहा है

अपितु आवृत्ति में परिवर्तन दिखलाई पड़ रहा है , क्योंकि ज्यावक्रीय समीकरण

E = E₀ sin(ωt+φ) में आवृत्ति ω , कला कोण (ωt+φ) में ही समाहित होता है।

कला मॉडुलन

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