भारत में फसल ऋतु
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भारत में फसल ऋतु
कृषि की विशेषता ऐसी है कि कहीं पूरे साल खेती की जा सकती है तो कहीं केवल वर्षा ऋतु में।
हमें पता है कि भारत में सालभर एक जैसी जलवायु नहीं होती।
इस कारण यहाँ सालभर एक जैसी फसल नहीं उगाई जाती। इसके उदाहरण भारत के विभिन्न भागों में उपलब्ध हैं।
जैसे छत्तीसंगढ़ के सिंचित क्षेत्रों में बारिश में धान, ठंड में गेहूँ या सब्जियाँ तथा गर्मी के मौसम में सब्जियों की खेती की जाती है।
वर्ष के विभिन्न मौसम में फसल की किस्में बदल जाती हैं।
भारत में वर्ष को फसलों के उत्पादन की दृष्टि से तीन ऋतुओं में विभाजित किया गया है।
इन तीनों ऋतुओं में भारत में उगाए जाने वाली फसलों में भिन्नता है।
इस कारण तीनों ऋतुओं में भारत में अलग फसल देखने को मिलती हैं, जो अग्रांकित हैं।
1. खरीफ :
इस ऋतु का आरम्भ मानसून के आगमन के साथ ही हो जाता है।
मानसूनी वर्षा लगभग पूरे भारत में होती है। इससे खेती के लिए पानी की उपलब्धता आसानी से हो जाती है।
इसलिए इस ऋतु में देश के लगभग पूरे कृषि भूमि पर खेती की जाती है।
इस ऋतु में मुख्यतः अधिक आर्दता और उच्च तापमान वाली फसलें उपजाई जाती हैं।
इस मौसम की मुख्य फसलें धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, मडुआ, तुअर, मूंग, उड़द, तिल, मूँगफली, सोयाबीन आदि हैं।
2. रबी :
खरीफ समाप्त होते ही रबी की खेती शुरू हो जाती है जो पूरे शीत ऋतु तक चलती है।
इस ऋतु में वर्षा बहुत कम होती है। वर्षा के कम हो जाने के कारण कृषि सिंचित अथवा नमी वाले प्रदेशों में ही की जाती है।
इस ऋतु में बोई गई भूमि का रकबा खरीफ की तुलना में बहुत कम हो जाता है।
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इस ऋतु में शीत बर्दाश्त करने वाली फसलें बोई जाती हैं। रबी की प्रमुख फसलें गेहूँ, जौ, तोरिया, सरसों. अलसी, मसूर, चना आदि है।
शीतकाल में जहाँ कुछ वर्षा होती है या सिंचाई द्वारा पानी की उपलब्धता अधिक है वहाँ धान की फसल भी ली जाती है।
उदाहरण के लिए इस काल में पश्चिम बंगाल में धान की खेती की जाती है।
3. जायद :
शीत ऋतु के बाद इस ऋतु का आगमन होता है। इसे गरमा कृषि भी कहते हैं।
इस मौसम में वर्षा नहीं होती है। इसलिए इस समय केवल उन्हीं भागों में खेती की जाती है जहाँ सिंचाई की पर्याप्त सुविधा उपलब्ध है।
इस मौसम में बोया गया क्षेत्र और भी संकुचित हो जाता है।
आमतौर पर इस मौसम में नदियों के किनारे, झील के निकट निम्न मैदानों के सिंचाई सुविधायुक्त भागों तक ही फसल को क्षेत्र सीमित हो जाता है।
अधिकांश भूमि पड़ती पड़ी रहती है। यह मौसम ग्रीष्म काल की फसलों का है।
इसमें उच्च तापमान सहने वाली फसलों का उत्पादन होता है। इस मौसम की प्रमुख फसलें खीरा, ककड़ी, तरबूज, सब्जियाँ आदि हैं।
इस मौसम में सिंचाई आधारित धान की भी खेती की जाती है जो छत्तीसगढ़ के मैदानी भागों में देखी जा सकती है।