इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी
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(Electron Microscope)
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी –
सिद्धांत :-
डी – ब्रॉगली सिद्धांत के अनुसार प्रत्येक द्रव्य कण के साथ तरंग सम्बद्ध रहती है।
यदि कोई m द्रव्यमान का इलेक्ट्रॉन v वेग से गतिशील है तो उससे समबद्ध तरंग का तरंगदैर्घ्य λ निम्न सूत्र द्वारा दिया जाता है-
λ = h/mv
जहाँ h प्लांक नियतांक है।
इलेक्टॉन के इसी तरंग प्रकृति का उपयोग इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की रचना में किया गया है।
तीव्र वेग से चलने वाले इलेक्ट्रॉन विद्युत् तथा चुम्बकीय क्षेत्रों द्वारा उसी प्रकार फोकस हो सकते हैं
जिस प्रकार प्रकाश की किरणें काँच के लेंसों द्वारा फोकस हो जाते हैं।
आवर्धन क्षमता :-
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की आवर्धन क्षमता बहुत अधिक होती है।
प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी से 2500 गुना तक आवर्धन किया जा सकता है
वही इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी से 5,00,000 गुना तक आवर्धन किया जा सकता है।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की कार्य विधि –
चित्र में इलेक्टॉन सूक्ष्मदर्शी का किरण आरेख दिया गया है।
यह सूक्ष्मदर्शी भी प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी की तरह ही कार्य करता है।
टंगस्टन के तन्तु F से उत्सर्जित होने वाले इलेक्ट्रॉनों को 50,000 से 60,000 वोल्ट का विभवान्तर आरोपित कर त्वरित किया जाता है।
जब इलेक्ट्रॉन उच्च वेग प्राप्त कर लेता है तब इन इलेक्ट्रॉनों को चुम्बकीय संग्राही लेंस की सहायता से वस्तु O पर फोकस किया जाता है।
यह वस्तु चुम्बकीय अभिदृश्यक लेंस के फोकस के थोड़ा पहले रखा होता है।
वस्तु O पर पड़ने वाले इलेक्ट्रॉन प्रकीर्णित होकर अभिदृश्यक लेंस पर आपतित होते हैं
और वस्तु O का प्रधान आवर्धित प्रतिबिम्ब I₁ बनाते हैं। यह प्रतिबिम्ब I₁ चुम्बकीय प्रक्षेपण लेंस के लिए वस्तु का कार्य करता है।
चुम्बकीय प्रक्षेपण लेंस I₁ का उल्टा तथा बड़ा प्रतिबिम्ब I₂ , लेंस से दूर प्रतिदीप्त पर्दे अथवा फोटोग्राफी प्लेट पर बनता है।
यह सम्पूर्ण उपकरण एक वायुरोधी धातु के बॉक्स में रखा होता है जिसमें उच्च कोटि का निर्वात् (Vacuum) होता है।
वस्तु का स्पष्ट प्रतिबिम्ब चुम्बकीय लेंसों के क्षेत्र की तीव्रता में परिवर्तन कर प्राप्त किया जा सकता है।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का उपयोग :-
उच्च विभेदन क्षमता तथा उच्च आवर्धकता के कारण इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी का उपयोग भौतिकी , रसायन , विज्ञान , धातुकर्म , उद्योग तथा चिकित्सा में उपयोग किया जाता है।
चिकित्सा में यह रोग फैलाने वाले उन सूक्ष्म कीटाणुओं , जीवाणु अथवा वाइरस को देखने के काम आती है
जो सामान्य सूक्ष्मदर्शी से नहीं देखे जा सकते हैं।
इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता (Resolving Power of Electron Microscope) :-
प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता प्रकाश के तरंगदैर्घ्य λ के व्युत्क्रमानुपाती होती है।
प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी में उपयोग किये जाने वाले प्रकाश का तरंगदैर्घ्य 6 × 10⁻⁷ मीटर के लगभग होता है।
डी – ब्रॉगली सिद्धांत के अनुसार जब इलेक्ट्रॉन गति में होते हैं , तो वे तरंगों के समान व्यवहार करते हैं।
जब इलेक्ट्रॉनों को 60,000 वोल्ट विभवांतर में त्वरित किया जाता है , तो इन इलेक्ट्रॉनों का तरंगदैर्घ्य 5×10⁻¹² मीटर होता है , जो सामान्य प्रकाश के तरंगदैर्घ्य का लगभग 1,20,000 का भाग है।
अतः इलेक्ट्रॉन सूक्ष्मदर्शी की विभेदन क्षमता प्रकाशिक सूक्ष्मदर्शी से लगभग 1,20,000 गुनी अधिक हो जाती है।