अनुदैर्ध्य तरंग में ध्रुवण क्यों नहीं होता ?

अनुदैर्ध्य तरंग में ध्रुवण क्यों नहीं होता

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अनुदैर्ध्य तरंग में ध्रुवण क्यों नहीं होता

ध्रुवण :- प्रकाश-तरंग द्वारा प्रकाश-संचरण की दिशा के लम्बवत् चारों ओर सममिति की कमी को प्रदर्शित करना प्रकाश का ध्रुवण कहलाता है।

प्रकाश के ध्रुवण की व्याख्या

अनुदैर्ध्य तरंग में कम्पन तरंग-संचरण की दिशा में होती हैं। अतः अनुदैर्ध्य तरंग में ध्रुवण नहीं होता।

( अनुदैर्ध्य तरंग में ध्रुवण क्यों नहीं होता )

जब कम ऊँचाई पर उड़ता हुआ वायुयान ऊपर से गुजरता है तो कभी कभी टी. वी. स्क्रीन पर चित्र कुछ हिलते हुए दिखाई पड़ते हैं क्यों?

Jab kam unchai par udta Hua vayuyan TV signal ko paraavartit kar deta Hai.

To Sidhe Aane wali signal aur pravritti signal Mein vyatikaran ki Karan TV screen par Chitra Kuchh hilte Hue Dikhai Dene lagte Hain.

साबुन के बुलबुले की पतली फिल्म पर या पानी की सतह पर तेल की बूँद की पतली फिल्म पर श्वेत प्रकाश डालने पर सुन्दर रंग दिखाई पड़ते हैं। क्यों?

“Sabun ke Bulbulay ki Patali Film ki upari satah aur niche सतह se paraavartit kirne ek-dusre ke sath vyatikaran Karti Hai.”

संपोषी व्यतिकरण Aur vinashi vyatikaran Ka Banna Tarang Dhairya per nirbhar karta hai.

swet Prakash Saat rangon Se Milkar banaa Hota Hai.

अतः Parivartan Ke Karan sabun ke Bulbule ki Patali film ya Pani Ki satah par Tel ki Boond ki Patali film per Swet Prakash dalne per film Rangeen Dikhai padati hai.

यंग के द्वि-स्लिट प्रयोग में व्यतिकरण प्रतिरुप प्रत्येक स्लिट से विवर्तन से किस प्रकार संबंधित है ?

यंग के द्वि-स्लिट प्रयोग में व्यतिकरण प्रतिरूप प्रत्येक स्लिट से विवर्तन में संबंध किस प्रकार होता है,

जानने से पहले हमें विवर्तन और व्यतिकरण क्या होता है इसे अच्छे से जानना होगा ,

तो देखते हैं कि प्रकाश का विवर्तन और व्यतिकरण क्या है।

व्यतिकरण किसे कहते हैं ?

व्यतिकरण (Interference):-

“जब समान आवृत्ति की दो प्रकाश-तरंगें किसी माध्यम में एक ही दिशा में चलती हैं तो प्रकाश की तीव्रता में परिवर्तन हो जाता है।

संपोषी व्यतिकरण ,अनुदैर्ध्य तरंग में ध्रुवण क्यों नहीं होता

इस घटना को प्रकाश का व्यतिकरण कहते हैं।”

प्रकाश का विवर्तन किसे कहते हैं ?

प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of light):-

“जब तरंगों के मार्ग में कोई अवरोध (Obstacle) आता है या तरंगें किसी छिद्र में से गुजरती हैं

तो तरंगें अवरोध या छिद्र के किनारों पर आंशिक रूप से मुड़ जाती हैं। इस घटना को तरंगों का विवर्तन कहते हैं।”

प्रकाश का विवर्तन

” यंग के द्वि-स्लिट प्रयोग में ,

पहले प्रत्येक स्लिट पर प्रकाश का विवर्तन होता है ,

फिर ये विवर्तित तरंगें परस्पर व्यतिकरण करती हैं।”

जब दूर से आनेवाले प्रकाश के मार्ग में एक छोटा सा वृत्तीय अवरोध रख दिया जाता है , तो अवरोध की छाया के केन्द्र में चमकीला धब्बा दिखाई देता है। क्यों ?

जब दूर से आनेवाले प्रकाश के मार्ग में एक छोटा सा वृत्तीय अवरोध रख दिया जाता हैं

तो वृत्तीय अवरोध के किनारे से प्रकाश का विवर्तन हो जाता है।

ये विवर्तित किरणें अध्यारोपित होकर संपोषी व्यतिकरण उत्पन्न करती है।

अतः छाया के केन्द्र पर चमकीला धब्बा दिखाई देता है।

संपोषी व्यतिकरण किसे कहते हैं ?

संपोषी व्यतिकरण :-

“माध्यम के जिस बिन्दु पर दोनों तरंगें समान कला में मिलती हैं

अर्थात दोनों तरंगों के श्रृंग या गर्त एक साथ पड़ते हैं ,

उस बिन्दु पर दोनों तरंगें एक-दूसरे के प्रभाव को बढ़ाती हैं।

अतः प्रकाश की परिणामी तीव्रता अधिकतम होती है।

इस प्रकार के व्यतिकरण को संपोषी व्यतिकरण कहते हैं।”

प्रकाश का विवर्तन किसे कहते हैं ?

प्रकाश का विवर्तन (Diffraction of light):-

“जब तरंगों के मार्ग में कोई अवरोध (Obstacle) आता है या तरंगें किसी छिद्र में से गुजरती हैं

तो तरंगें अवरोध या छिद्र के किनारों पर आंशिक रूप से मुड़ जाती हैं।

इस घटना को तरंगों का विवर्तन कहते हैं।”

अनुदैर्ध्य तरंग में ध्रुवण क्यों नहीं होता?

ध्रुवण:-प्रकाश-तरंग द्वारा प्रकाश-संचरण की दिशा के लम्बवत् चारों ओर सममिति की कमी को प्रदर्शित करना प्रकाश का ध्रुवण कहलाता है।

अनुदैर्ध्य तरंग में कम्पन तरंग-संचरण की दिशा में होती हैं।

अतः अनुदैर्ध्य तरंग में ध्रुवण नहीं होता।

प्रकाश तरंगें ध्रुवित की जा सकती हैं , ध्वनि तरंगें नहीं , क्यों ??

★ ध्रुवण की क्रिया अनुप्रस्थ तरंगों में होती हैं , अनुदैर्ध्य तरंगों में नहीं।

★ प्रकाश तरंगें अनुप्रस्थ होती हैं , जबकि ध्वनि तरंगें अनुदैर्ध्य होती हैं।

अतः प्रकाश तरंगें ध्रुवित होती है , ध्वनि तरंगें नहीं।

रंगीन काँच के स्थान पर पोलेराइड के बने धूप के चश्मों का क्या विशेष उपयोग हैं ?

रंगीन काँच द्वारा आपतित प्रकाश के कुछ भाग का अवशोषण हो जाता है।

अतः वस्तुएं धूमिल दिखाई देने लगती हैं।

पोलेराइड केवल उस ध्रुवित प्रकाश का अवशोषण करता है जो आँखों में चकाचौंध उत्पन्न करता है।

धूप के चश्मे (Sun glasses) में पोलेराइड का बना लेंस प्रयुक्त किया जाता है।

वस्तुओं से परावर्तित प्रकाश आंशिक समतल ध्रुवित होता है।

पोलेराइड आंशिक ध्रुवित प्रकाश के क्षैतिज कम्पनों को काट देता है।

फलस्वरूप चकाचौंध समाप्त हो जाती है।

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Author: educationallof

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